मुस्लिम युवक ने साध्वी हर्षा रिछारिया को भेजा शादी का प्रस्ताव, हिंदू युवती ने दिया कड़ा जवाब

भोपाल की साध्वी हर्षा रिछारिया को एक मुस्लिम युवक ने शादी का प्रस्ताव मेल से भेजा, जिस पर हर्षा ने कड़ा और बेबाक जवाब देते हुए इसे हिंदू अस्मिता से जोड़ा।

May 4, 2025 - 19:03
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मुस्लिम युवक ने साध्वी हर्षा रिछारिया को भेजा शादी का प्रस्ताव, हिंदू युवती ने दिया कड़ा जवाब

भोपाल। सोशल मीडिया पर अपनी बेबाक़ राय और हिंदू संस्कृति के प्रति अपने समर्पण के लिए पहचानी जाने वाली साध्वी हर्षा रिछारिया एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार कारण है एक ईमेल, जिसे उन्होंने खुद सार्वजनिक किया है। यह मेल उन्हें एक मुस्लिम युवक द्वारा शादी का प्रस्ताव भेजे जाने को लेकर था। हर्षा ने इस मेल पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे "हिंदू अस्मिता के प्रति जागरूकता" का विषय बताया है।

मेल में लिखा- 'आपसे ही शादी करूंगा, बस शर्त बताइए'

भोपाल निवासी असलम पठान नामक एक युवक ने हर्षा को मेल भेजते हुए लिखा –
"हेलो हर्षा, आपसे शादी करनी है, शर्त बताओ। जब भी भोपाल आओ, कहो तो कल ही कर लूंगा, लेकिन करूंगा आपसे ही।"

इस मेल का स्क्रीनशॉट खुद हर्षा रिछारिया ने सोशल मीडिया पर साझा किया है।

हर्षा का जवाब – 'हिंदू शेरों को छोड़कर सुअर नहीं चुनेंगी'

मेल पर प्रतिक्रिया देते हुए हर्षा ने सोशल मीडिया पर लिखा –
"तुमको क्या लगता है कि हिंदू शेरों को छोड़कर हमें सुअर पसंद आएंगे? अगर मैं आज हिंदू हूं, तो मेरे पूर्वजों ने धर्म परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई लड़ी होगी। आज उसी संघर्ष को मैं आगे बढ़ा रही हूं।"

हर्षा ने यह भी कहा –
"जो अपनी मां-बहनों के सगे नहीं, वे किसी और स्त्री के सगे क्या बनेंगे?"

कौन हैं हर्षा रिछारिया?

हर्षा मूल रूप से भोपाल, मध्य प्रदेश की रहने वाली हैं, लेकिन वर्तमान में उत्तराखंड में रहकर आध्यात्मिक साधना करती हैं। प्रयागराज महाकुंभ के दौरान जब वे ‘सबसे सुंदर साध्वी’ के तौर पर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं, तभी से वे विभिन्न हिंदू मंचों पर सक्रियता से हिस्सा लेती रही हैं।

क्या कहती है क़ानून व्यवस्था?

हर्षा रिछारिया की प्रतिक्रिया को लेकर जहां एक वर्ग समर्थन में है, वहीं कुछ लोग इसे सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाला भी बता रहे हैं। हालांकि, अभी तक इस मामले में किसी प्रकार की पुलिस शिकायत दर्ज नहीं हुई है

साइबर एक्सपर्ट्स के अनुसार, अनचाहे ईमेल या विवाह प्रस्ताव, यदि बार-बार और जबरदस्ती भेजे जाएं, तो यह आईटी एक्ट व महिला उत्पीड़न कानून के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में आ सकते हैं।


संपादकीय टिप्पणी:

यह घटना केवल एक व्यक्तिगत असहमति नहीं, बल्कि आज के सांप्रदायिक और सामाजिक ताने-बाने में महिलाओं की निजता, धार्मिक पहचान और डिजिटल स्पेस की सीमाओं को लेकर गंभीर विमर्श की मांग करती है।

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