नई दिल्ली: ईरान और इजराइल के बीच जारी सैन्य तनाव के बीच ईरान में फंसे 1300 से अधिक कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा गंभीर खतरे में पड़ गई है। छात्रों के परिवार और जम्मू-कश्मीर छात्र संघ (JKSA) ने भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तत्काल हस्तक्षेप कर इन छात्रों की निकासी की अपील की है। हवाई हमलों, मिसाइलों और बढ़ते सैन्य तनाव के बीच छात्र डरे हुए और असहाय महसूस कर रहे हैं।
युद्ध क्षेत्र में फंसे छात्र, जान का खतरा
जम्मू-कश्मीर छात्र संघ (JKSA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक भावुक पत्र में कहा, "हम JKSA, ईरान और इजराइल के बीच तनाव के बाद ईरान में पढ़ रहे सैकड़ों कश्मीरी छात्रों के सामने आने वाली विकट स्थिति के बारे में गहरी तत्परता और गंभीर चिंता के साथ आपको लिख रहे हैं। ईरान के परमाणु बुनियादी ढांचे पर हाल ही में इजराइल की ओर से किए गए हवाई हमलों और उसके बाद ईरान की जवाबी ड्रोन और मिसाइल कार्रवाई ने इस क्षेत्र को पूरे पैमाने पर संघर्ष के कगार पर ला खड़ा किया है।"
छात्र संघ ने बताया कि यह अस्थिर सुरक्षा माहौल हज़ारों भारतीय छात्रों को असुरक्षित और खतरे में डाल रहा है, जिनमें से अधिकांश कश्मीर घाटी से MBBS की पढ़ाई करने गए हैं। "ये छात्र अब खुद को एक एक्टिव मिलिट्री ज़ोन के बीच में पाते हैं, जहाँ उन्हें अपनी जान का खतरा है।"
कई छात्र ऐसे कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में नामांकित हैं जो महत्वपूर्ण सैन्य प्रतिष्ठानों और रणनीतिक स्थलों के बेहद करीब स्थित हैं। उन्हें लगातार एयर स्ट्राइक्स, एयर डिफेंस सायरन और अपने आस-पास बढ़ती सैन्य गतिविधियों की आवाज़ें सुनाई दे रही हैं। JKSA ने बताया कि कल रात (रविवार) से स्थिति तेज़ी से बिगड़ी है और कुछ छात्र ऐसे शहरों में भी हैं जहाँ सीधे इजराइली हवाई हमलों की खबरें हैं। छात्र डरे हुए हैं और पूरी तरह से असहाय महसूस कर रहे हैं।
हमले में घायल हुए 2 भारतीय छात्र, परिवार चिंतित
JKSA ने यह भी जानकारी दी कि तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज (हुज्जतदोस्त डॉरमेट्री) में इंटरनेशनल छात्रों के लिए लड़कों के छात्रावास के पास रविवार शाम को एक हमला हुआ। इस घटना में कश्मीर घाटी के दो भारतीय छात्र घायल हो गए। सौभाग्य से, दोनों की हालत स्थिर है और उन्हें सुरक्षा के लिए रामसर के एक नजदीकी गाँव में स्थानांतरित किया जा रहा है।
एक महिला ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उसकी बेटी कॉलेज के तीसरे साल में है और वह अब सदमे में है। उन्होंने बताया कि स्थानीय लोग भी इलाके से पलायन कर रहे हैं और छात्र मदद के लिए दूतावास से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी तक निकासी के लिए कोई अपडेट नहीं मिला है। उन्होंने सरकार से अपील की कि "वे भारतीय बच्चे हैं और उन्हें मदद मिलनी चाहिए।"
आरजेडी नेता मनोज झा ने भी विदेश मंत्रालय से छात्रों और अन्य भारतीयों की सुरक्षा और जल्द से जल्द निकासी पर विचार करने की अपील की है।