सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के 'साहसिक' फैसले की सराहना की: ठाणे में अवैध ढांचों को गिराने का आदेश बरकरार
सुप्रीम कोर्ट ने ठाणे में 17 अवैध ढांचों को गिराने के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश की सराहना की है। सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप से इनकार करते हुए कहा कि नगर निकायों की मिलीभगत से बने ये ढाँचे शहर के लिए खतरा हैं, जबकि याचिकाकर्ता ने 400 परिवारों के बेघर होने का दावा किया।

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के एक "साहसिक" फैसले की सराहना की है, जिसमें ठाणे में अवैध रूप से बने 17 ढांचों को गिराने का आदेश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई थी, लेकिन सर्वोच्च अदालत ने न सिर्फ किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप से इनकार कर दिया, बल्कि हाई कोर्ट के रुख की प्रशंसा भी की। बॉम्बे हाई कोर्ट ने यह आदेश 12 जून को दिया था।
हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती और सुप्रीम कोर्ट का रुख
बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को दानिश जहीर सिद्दीकी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस उज्जल भुइयां और मनोहन की अध्यक्षता वाली दो जजों की अवकाश पीठ ने इस अनुरोध को अस्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता से समीक्षा और राहत के लिए हाई कोर्ट में ही अपील करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन अवैध ढांचों को गिराने का आदेश हाई कोर्ट ने दिया है, वे नगर निकायों की मिलीभगत से बनाए गए थे।
"अपने शहर के बारे में सोचें..."
अदालत ने याचिकाकर्ता सिद्दीकी से कहा, "कृपया अपने शहर के बारे में सोचें। अन्यथा, हर जगह अतिक्रमण हो जाएगा। इसके बाद, आपके बॉम्बे पर अतिक्रमण हो जाएगा। बस इतना ही करना बाकी है।" सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि इन ढांचों को बिना किसी अनुमति के, और वह भी किसी तीसरे पक्ष की ज़मीन पर कब्ज़ा करके बनाया गया था।
याचिकाकर्ता सिद्दीकी ने दावा किया कि 17 इमारतों में से आठ को पहले ही ध्वस्त कर दिया गया है, जिससे कम से कम 400 परिवार बेघर हो गए हैं।
ठाणे की दरगाह पर अंतरिम रोक
वहीं, ठाणे की एक दरगाह को तोड़ने पर अंतरिम रोक की मांग को लेकर अदालत ने एक सप्ताह के लिए यथास्थिति (status quo) का आदेश दिया। पीठ ने अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई पर सात दिनों की अंतरिम रोक लगाने का निर्देश दिया और दरगाह ट्रस्ट को आदेश दिया कि वह ढांचे को गिराने के निर्देश वाले आदेश को वापस लेने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट जाए। न्यायालय 10 मार्च को हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ ट्रस्ट की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें ढांचे को गिराने का निर्देश दिया गया था।