WTC Final 2025: साउथ अफ्रीका का 33 साल का इंतजार खत्म! ऑस्ट्रेलिया को हराकर पहली बार बना वर्ल्ड चैंपियन, रबाडा-मार्करम बने हीरो
साउथ अफ्रीका ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप 2025 का फाइनल जीत लिया है, जो 33 साल बाद उनका पहला ICC खिताब है। लॉर्ड्स में 5 विकेट की जीत के हीरो कगिसो रबाडा (9 विकेट) और एडन मार्करम (136 रन) रहे।

लॉर्ड्स, इंग्लैंड: क्रिकेट इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है! टेम्बा बावुमा की कप्तानी में साउथ अफ्रीका ने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) 2025 का फाइनल जीतकर इतिहास रच दिया है। लॉर्ड्स में खेले गए इस मुकाबले में साउथ अफ्रीका ने डिफेंडिंग चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को महज़ चार दिन के भीतर 5 विकेट से धूल चटा दी। इस ऐतिहासिक जीत के साथ साउथ अफ्रीका का 33 साल लंबा ICC खिताब का इंतजार भी खत्म हो गया, और वह पहली बार सीनियर क्रिकेट में वर्ल्ड चैंपियन बनने का सम्मान हासिल कर चुका है। WTC के तीनों फाइनल में अब तक 3 अलग-अलग चैंपियन देखने को मिले हैं।
जीत के हीरो: रबाडा और मार्करम
साउथ अफ्रीका की इस शानदार जीत के स्टार रहे तेज़ गेंदबाज़ कगिसो रबाडा और ओपनर एडन मार्करम। रबाडा ने मैच में कुल 9 विकेट लेकर ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों की कमर तोड़ दी, जबकि मार्करम ने चौथी पारी में अपनी टीम के लिए शानदार 136 रन की शतकीय पारी खेली। कप्तान टेम्बा बावुमा ने भी हैमस्ट्रिंग की चोट से जूझते हुए बेहतरीन 66 रन का योगदान दिया, जो टीम की जीत में बेहद महत्वपूर्ण साबित हुए।
सालों की 'चोकर्स' इमेज से मुक्ति: 1998 के बाद पहला ICC खिताब
मैच के चौथे दिन जैसे ही काइल वेरेयना के बल्ले से विजयी रन निकला, लॉर्ड्स के ड्रेसिंग रूम में साउथ अफ्रीकी खिलाड़ी और सपोर्ट स्टाफ के साथ ही स्टेडियम में मौजूद हर साउथ अफ्रीकी फैन और आम क्रिकेट फैन भी खुशी से झूम उठे। आखिरकार, कई सालों से चली आ रही दिल तोड़ने वाली हार के बाद इस देश को क्रिकेट में बड़ी सफलता नसीब हुई। साउथ अफ्रीका ने आखिरी ICC खिताब 27 साल पहले 1998 में चैंपियंस ट्रॉफी (ICC नॉक आउट ट्रॉफी) के तौर पर जीता था, जिसके बाद से उसे अक्सर 'चोकर्स' कहा जाता रहा है। इस जीत ने उस धारणा को पूरी तरह बदल दिया है।
सारे 'अगर-मगर' को ठिकाने लगाया
ऑस्ट्रेलिया ने साउथ अफ्रीका के सामने जीत के लिए 282 रन का लक्ष्य रखा था। लॉर्ड्स पर चौथी पारी में सिर्फ 4 बार ही 200 प्लस रन का टोटल चेज़ हुआ था, जिसे देखते हुए साउथ अफ्रीका के लिए जीत थोड़ी मुश्किल लग रही थी। समस्या ये भी थी कि साउथ अफ्रीका ने इससे पहले सिर्फ 5 बार ही 250 प्लस रन का टोटल टेस्ट में चेज़ किया था, वो भी आखिरी बार उसने ऐसा साल 2008 में किया था।
लेकिन, एडन मार्करम और टेम्बा बावुमा ने जिस अंदाज़ में बैटिंग की, उसके बाद साउथ अफ्रीका के लिए कुछ भी अगर-मगर जैसा नहीं रहा और जीत की राह आसान हो गई। नतीजा ये हुआ कि साउथ अफ्रीका ने इतिहास रच दिया।
बावुमा-मार्करम की 147 रन की अहम पार्टनरशिप
282 रन का पीछा करते हुए साउथ अफ्रीका ने तीसरे दिन ही 2 विकेट पर 213 रन बना लिए थे, जिसमें तीसरे विकेट के लिए टेम्बा बावुमा और एडन मार्करम के बीच हुई शतकीय साझेदारी का अहम योगदान रहा। उस साझेदारी में हालांकि चौथे दिन का खेल शुरू होने पर कुछ खास बढ़ोत्तरी नहीं हुई। तीसरे दिन 65 रन बनाकर नाबाद रहने वाले टेम्बा बावुमा चौथे दिन अपने स्कोर में बस एक रन ही और जोड़ सके। उन्हें पैट कमिंस ने आउट किया। बावुमा और मार्करम के बीच तीसरे विकेट के लिए कुल 147 रन की पार्टनरशिप हुई।
मार्करम का शतक, जीत की मुहर
टेम्बा बावुमा और एडन मार्करम की साझेदारी भले ही टूट गई, मगर टूटने से पहले वे दोनों अपना काम कर चुके थे। उन्होंने अपनी टीम को उस मोड़ पर पहुंचा दिया था, जहाँ से जीत की डफली बजाना और WTC के खिताब पर कब्जा जमाना दोनों संभव था। अच्छी बात ये रही कि बावुमा के आउट होने के बाद मार्करम एक छोर संभाले खड़े रहे और टीम को जीत के करीब ले गए। हर साउथ अफ्रीकी फैन उनके बल्ले से विजयी रन देखने की उम्मीद कर रहा होगा, लेकिन ये नहीं हो पाया क्योंकि जीत से 7 रन पहले मार्करम की शानदार पारी का अंत हो गया, लेकिन तब तक काम पूरा हो चुका था। मार्करम ने 136 रन बनाए, जो हमेशा-हमेशा के लिए याद रखे जाएंगे।