लखनऊ, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में 60,244 नए सिपाहियों का प्रारंभिक प्रशिक्षण (जेटीसी) शुक्रवार से प्रदेश के 112 केंद्रों पर शुरू हो गया है। यह प्रशिक्षण एक महीने तक चलेगा, जिसके बाद इन सिपाहियों को नौ महीने के आधारभूत प्रशिक्षण के लिए रीजनल ट्रेनिंग सेंटर्स में भेजा जाएगा। इस व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य सिपाहियों को आधुनिक चुनौतियों से निपटने के लिए तकनीकी और शारीरिक रूप से सक्षम बनाना है।
आधुनिक अपराध और सुरक्षा पर विशेष ध्यान
नियमित प्रशिक्षण के साथ-साथ, इन नए सिपाहियों को कई विशेष क्षेत्रों में भी प्रशिक्षित किया जाएगा:
- तकनीकी और कानूनी ज्ञान: सिपाहियों को फॉरेंसिक साइंस, फॉरेंसिक मेडिसिन, साइबर क्राइम और कंप्यूटर साइंस का गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके अलावा, उन्हें हाल ही में लागू हुए नए कानूनों जैसे भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की भी जानकारी दी जाएगी।
- प्राथमिक उपचार: आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए उन्हें प्राथमिक उपचार का भी प्रशिक्षण मिलेगा।
आतंकवाद निरोधक और हथियार प्रशिक्षण
बढ़ते आतंकवादी खतरे और जटिल आपराधिक गतिविधियों को देखते हुए, सिपाहियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा:
- आतंकवाद निरोधक तकनीकें: उन्हें आतंकवादियों, नक्सलियों, डकैतों और कुख्यात अपराधियों से निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षण मिलेगा। इसमें दिन-रात फायरिंग की तकनीक सिखाई जाएगी, जिसकी 70 अंकों की परीक्षा होगी।
- आधुनिक हथियारों का उपयोग: सिपाहियों को 5.56 एमएम इंसास रायफल, एके-47, ग्लॉक पिस्टल, 9 एमएम पिस्टल, ग्रेनेड, 7.62 एमएम एसएलआर, .38 रिवाल्वर, 9 एमएम कारबाइन, रबर बुलेट फायरिंग, और जीएफ रायफल जैसे विभिन्न हथियारों को चलाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- विस्फोटक पहचान: आईईडी (Improvised Explosive Device), बूबी ट्रैप्स और विस्फोटकों की पहचान व उन्हें निष्क्रिय करने की जानकारी भी इस प्रशिक्षण का हिस्सा होगी।
- तलाशी के तरीके: आवासीय भवन, कार्यालय, गोदाम, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कार्डन एंड सर्च, वाहन जांच और सड़क पर छानबीन जैसी तलाशी प्रक्रियाओं का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।
शारीरिक चुस्ती और प्रशिक्षक फीडबैक
प्रशिक्षण में सिपाहियों की शारीरिक चुस्ती सुनिश्चित करने के लिए योग को भी शामिल किया गया है। उन्हें सशस्त्र और निहत्थे दुश्मन पर आक्रमण की तकनीकें भी सिखाई जाएंगी।
प्रशिक्षण के दौरान, सिपाहियों से प्रशिक्षकों के प्रदर्शन पर फीडबैक लिया जाएगा। इसमें प्रशिक्षक के समझाने का तरीका, पाठ्यक्रम पूरा करने की गति, विषय की गहराई, उच्चारण, और कमांड व कंट्रोल का स्तर शामिल होगा।
यह व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम उत्तर प्रदेश पुलिस को और अधिक पेशेवर और सक्षम बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे वे भविष्य की चुनौतियों का बेहतर ढंग से सामना कर सकेंगे।