वाराणसी नगर निगम में अफसरों की लापरवाही पर नगर आयुक्त की बड़ी कार्रवाई: "काम में कोताही अब नहीं चलेगी"

वाराणसी नगर निगम में नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने अफसरों की लापरवाही पर सख्त कार्रवाई की है। सारनाथ जोन कार्यालय में निरीक्षण के दौरान मिली गड़बड़ियों के बाद कई अधिकारियों और कर्मचारियों का वेतन रोका गया।

वाराणसी नगर निगम में अफसरों की लापरवाही पर नगर आयुक्त की बड़ी कार्रवाई: "काम में कोताही अब नहीं चलेगी"

वाराणसी, जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है, इन दिनों नगर निगम की कार्यप्रणाली को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में है। गुरुवार को वाराणसी नगर निगम के सारनाथ जोन कार्यालय में नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने जब अचानक औचक निरीक्षण किया, तो वहां की स्थिति देखकर वे बेहद नाराज हो गए। निरीक्षण के दौरान मिली अनियमितताओं और लापरवाहियों पर उन्होंने तत्काल कार्रवाई करते हुए कई अधिकारियों और कर्मचारियों का वेतन रोक दिया और स्पष्टीकरण की मांग की।

निरीक्षण ने खोली पोल

नगर आयुक्त का यह निरीक्षण पूरी तरह बिना सूचना के था। जब वे सारनाथ जोन कार्यालय पहुंचे, तो वहां की व्यवस्था में उन्हें कई खामियां देखने को मिलीं। कार्यालय में अनुशासन की कमी, कर्मचारियों की अनुपस्थिति और दस्तावेजों की असुरक्षा जैसे मुद्दे सामने आए। यह सब देखकर उन्होंने तुरंत कठोर निर्णय लेने का निर्देश दिया।

वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पर भी उठे सवाल

जोनल अधिकारी अनुपम त्रिपाठी और कर अधीक्षक विनय सागर, जो इस कार्यालय के संचालन के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं, उनकी कार्यशैली से नगर आयुक्त बेहद असंतुष्ट दिखे। जांच में सामने आया कि ये दोनों अधिकारी अपने पर्यवेक्षणीय कार्यों का ठीक से पालन नहीं कर रहे थे। परिणामस्वरूप, इन दोनों के वेतन को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया और उनसे पूछा गया कि क्यों न उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

गैरहाजिर कर्मचारी भी आए कार्रवाई की जद में

कार्यालय के जन्म-मृत्यु अनुभाग में तैनात लिपिक संदीप सिंह और जमादार विनोद कुमार निरीक्षण के समय अनुपस्थित पाए गए। आयुक्त ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए दोनों के खिलाफ "प्रतिस्पर्धी प्रविष्टि" करने का निर्देश दिया। इसका सीधा प्रभाव उनके सेवा रिकॉर्ड पर पड़ेगा और उनका वेतन भी अग्रिम आदेश तक रोक दिया गया है।

दस्तावेजों की सुरक्षा को लेकर चिंता

निरीक्षण के दौरान यह भी देखा गया कि पुराने दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए कोई व्यवस्थित प्रबंध नहीं है। इस संबंध में जब पटल सहायक से बात की गई तो उन्होंने रिकॉर्ड रूम निर्माण के लिए प्रस्ताव भेजने की बात कही। इस पर नगर आयुक्त ने तत्काल प्रभाव से संबंधित विभाग को निर्देश दिए कि इस पर शीघ्र आवश्यक कार्रवाई की जाए।

"कार्यशैली में पारदर्शिता और अनुशासन जरूरी"

नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने निरीक्षण के बाद कार्यालय के सभी कर्मचारियों को निर्देशित किया कि सरकारी कार्यालयों में अनुशासन और पारदर्शिता अनिवार्य है। उन्होंने सख्त लहजे में कहा, "कार्यक्षेत्र में किसी भी प्रकार की लापरवाही को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि भविष्य में भी ऐसी कोई स्थिति सामने आई, तो जिम्मेदारों के खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।"

क्यों है यह कार्रवाई अहम?

वाराणसी एक धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण शहर है। ऐसे में नगर निगम की भूमिका बेहद अहम हो जाती है। साफ-सफाई, जन सुविधाएं, टैक्स कलेक्शन, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जैसी आवश्यक सेवाओं का सुचारू संचालन जनता के विश्वास का विषय होता है। जब इसी विभाग में लापरवाही देखने को मिले, तो जनता में असंतोष स्वाभाविक है।

नगर आयुक्त की यह कार्रवाई इस दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है कि इससे एक सख्त संदेश दिया गया है कि जनता की सेवाओं से जुड़ी जिम्मेदारियों में कोताही अब नहीं चलेगी।

जनता की प्रतिक्रिया

नगर निगम के इस त्वरित और सख्त कदम पर शहरवासियों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने नगर आयुक्त की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कदमों से ही सिस्टम में सुधार संभव है। वाराणसी के एक स्थानीय व्यापारी अरुण कुमार ने कहा, “पहली बार लग रहा है कि कोई अधिकारी ईमानदारी से काम करना चाहता है। लापरवाह कर्मचारियों को दंड मिलना जरूरी है।”

भविष्य की दिशा और कार्यशैली

नगर निगम के सूत्रों की मानें तो इस तरह के निरीक्षण अब अन्य जोन कार्यालयों में भी किए जाएंगे। नगर आयुक्त ने निर्देश दिया है कि सभी कार्यालयों को हर सप्ताह कार्य रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। इसके साथ ही, कर्मचारियों की उपस्थिति के लिए बायोमेट्रिक सिस्टम को अनिवार्य किया जाएगा।

इसके अलावा, दस्तावेजों की सुरक्षा के लिए हर जोन में डिजिटल रिकॉर्ड सिस्टम शुरू करने की योजना पर भी विचार किया जा रहा है। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और जानकारी प्राप्त करना भी आसान होगा।


निष्कर्ष

वाराणसी नगर निगम में नगर आयुक्त द्वारा की गई यह कार्रवाई केवल एक औचक निरीक्षण नहीं, बल्कि जवाबदेही और पारदर्शिता को प्राथमिकता देने की दिशा में एक ठोस कदम है। इससे यह उम्मीद बंधती है कि सरकारी कार्यालयों में कार्य संस्कृति में बदलाव आएगा और जनता की सेवाओं में सुधार देखने को मिलेगा। अब देखना होगा कि यह सख्ती केवल एक जोन तक सीमित रहती है या नगर निगम के पूरे ढांचे को व्यवस्थित करने की दिशा में कोई स्थायी पहल बनती है।