ब्रजेश पाठक ने प्रेमानंद जी महाराज से लिया आशीर्वाद, भगवत प्राप्ति पर मिला आध्यात्मिक ज्ञान
यूपी के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने वृंदावन में प्रेमानंद जी महाराज से आशीर्वाद लिया। महाराज ने उन्हें मनुष्य जन्म के उद्देश्य, कर्तव्य कर्म और नाम जप के महत्व के बारे में बताया, साथ ही भय और प्रलोभन से दूर रहने का संदेश दिया।

उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक बुधवार (4 जून, 2025) को मथुरा के वृंदावन स्थित प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम पहुंचे. यहां पहुंचकर उन्होंने प्रेमानंद जी महाराज से आशीर्वाद लिया, जिन्होंने उपमुख्यमंत्री को भगवत प्राप्ति के आध्यात्मिक मार्ग पर महत्वपूर्ण ज्ञान दिया.
मनुष्य जन्म का उद्देश्य: भगवत प्राप्ति
प्रेमानंद जी महाराज ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से कहा कि हमारा मनुष्य जन्म केवल भगवत प्राप्ति के लिए हुआ है. उन्होंने शास्त्रों का उल्लेख करते हुए कहा कि "दुर्लभो मानुषो देहो" का अर्थ है कि मनुष्य का जन्म दुर्लभ है, और यह इसलिए कहा गया है क्योंकि यह साधन धाम और मोक्ष का द्वार है. उन्होंने समझाया कि अगर हम इस अवसर का सदुपयोग नहीं करते, तो परलोक में दुख पाते हैं और फिर भाग्य या ईश्वर को दोष देते हैं.
कर्तव्य कर्म और नाम जप से भगवत प्राप्ति
भगवत प्राप्ति के विषय पर प्रेमानंद जी महाराज ने प्रचलित धारणाओं को खारिज करते हुए कहा कि इसका मतलब केवल साधु महात्मा बन जाना या एकांत में बैठकर माला जपना नहीं है. उन्होंने समझाया कि भगवत प्राप्ति के लिए हमें अपने कर्तव्य कर्मों को ईमानदारी से करना चाहिए और नाम जप करना चाहिए. उन्होंने भगवान के आदेश "माम् मुनिश्वर युद्ध च" का उदाहरण दिया, जिसका अर्थ है युद्ध (अपने कर्तव्य कर्म) को करना और भगवान का स्मरण करते हुए करना.
उन्होंने डिप्टी सीएम से कहा कि जो पद उन्हें मिला है, जो समाज सेवा उन्हें मिली है, उसे सच्चाई और ईमानदारी से राष्ट्र सेवा की भावना और समाज सेवा की भावना से करें, और साथ में नाम जप करें. इसी से भगवत प्राप्ति हो जाएगी. उन्होंने तर्क दिया कि जब युद्ध जैसे कार्य से भगवत प्राप्ति हो सकती है, तो अन्य सभी कार्य तो सहज और सरल हैं.
प्रलोभन और भय से मुक्ति का संदेश
प्रेमानंद जी महाराज ने आगे कहा कि प्रलोभन और भय ये दो शब्द ऐसे हैं जो हमें नीचे गिरा देते हैं. उन्होंने जोर दिया कि किसी का भय नहीं मानना चाहिए और कोई प्रलोभन नहीं रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो विधान प्रभु ने रच दिया है, उसके विपरीत एक रोम भी उखाड़ना किसी की ताकत में नहीं है. "जो विधना ने लिख दिया छठे राव के अंक, राई घटे न तिल बढ़े रह निशंक" का उद्धरण देते हुए उन्होंने निर्भय रहने का संदेश दिया.
उन्होंने कहा कि अगर हम प्रलोभन से प्रभावित हो गए तो हम अपने धर्म से विचलित हो सकते हैं. लेकिन, अगर हम प्रलोभन से प्रभावित नहीं हुए, तो क्रमबद्ध तरीके से हमारा विकास संसार में भी होगा और परलोक में भी होगा. उन्होंने बताया कि यह अंतिम पद नहीं है, इसके आगे भी पद हैं, और सबसे बड़ा पद परम पद यानी भगवान की प्राप्ति है. इस प्रकार, संसार की सेवा और भगवान की प्राप्ति, दोनों काम साथ-साथ हो सकते हैं. उन्होंने डिप्टी सीएम को बताया कि भगवान ने उन्हें समाज सेवा का बहुत बड़ा पद और अधिकार दिया है.