बिहार में मखाना क्रांति: खेती का रकबा दोगुना बढ़ा, अब अमेरिका भी हो रहा निर्यात, राजस्व में 4.57 गुना वृद्धि

बिहार में मखाना का कारोबार तेज़ी से बढ़ रहा है, पिछले 10 सालों में खेती का रकबा दोगुना हो गया है। अब सुधा ने अमेरिका को भी मखाना निर्यात किया है। राज्य में मखाना उत्पादन बढ़ा है, जिससे राजस्व में 4.57 गुना की वृद्धि हुई है, और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मखाना बोर्ड का गठन किया जा रहा है।

बिहार में मखाना क्रांति: खेती का रकबा दोगुना बढ़ा, अब अमेरिका भी हो रहा निर्यात, राजस्व में 4.57 गुना वृद्धि

बिहार में मखाना का कारोबार तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। राज्य सरकार की नीतियां भी मखाने की खेती और उत्पादन को लगातार प्रोत्साहित कर रही हैं। एक जानकारी के मुताबिक, पिछले 10 सालों में मखाना की खेती का रकबा दो गुना बढ़ गया है। खास बात यह है कि बिहार के कृषि विभाग और कॉम्फेड के प्रयासों से हाल ही में सुधा ने मखाना को अमेरिका में भी निर्यात किया है, जो बिहार के कृषि क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।


मखाना खेती का बढ़ता दायरा और उत्पादन

बिहार सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार, साल 2012 तक राज्य में मखाना की खेती लगभग 13 हज़ार हेक्टेयर में होती थी। मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के तहत मखाना का क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम शुरू किया गया, जिससे मखाना की खेती का रकबा बढ़कर 35 हज़ार 224 हेक्टेयर हो गया है। मखाना विकास योजना के तहत मखाना की उच्च प्रजाति के बीज के उपयोग से उत्पादकता में भी तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है।

लगभग 25 हज़ार किसान मखाना की खेती से जुड़े हुए हैं। केंद्र सरकार से मखाना को 20 अगस्त 2022 को जीआई टैग 'मिथिला मखाना' के नाम से मिल चुका है। राज्य में मखाना का उत्पादन 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुँच चुका है।

आपको बता दें कि साल 2019-20 में मखाना विकास योजना प्रारंभ की गई थी, जिसमें मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा के विकसित 'स्वर्ण वैदेही' और भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के विकसित 'सबौर मखाना-1' प्रभेद को प्रदर्शन के माध्यम से बढ़ावा दिया गया।


मखाना उत्पादन वाले जिले और राजस्व में वृद्धि

राज्य के 10 जिलों - दरभंगा, मधुबनी, कटिहार, अररिया, पूर्णिया, किशनगंज, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा और खगड़िया में मुख्य रूप से मखाना का उत्पादन होता है। मखाना की वैश्विक विस्तार से बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए अब इसका उत्पादन 16 जिलों में विस्तारित किया गया है। देश में कुल उत्पादित मखाना का लगभग 85 प्रतिशत बिहार में होता है, जो इसे मखाना उत्पादन का प्रमुख केंद्र बनाता है।

आर्थिक मोर्चे पर भी यह बढ़ोतरी स्पष्ट दिख रही है। 2005 के पूर्व जहाँ मत्स्य/मखाना जलकरों से राजस्व प्राप्ति ₹3.83 करोड़ थी, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर ₹17.52 करोड़ हो गई है, यानी राजस्व प्राप्ति में 4.57 गुना की बढ़ोतरी हुई है।

मखाना के वैश्विक स्तर पर बढ़ती मांग को देखते हुए इसके निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए अब मखाना बोर्ड का गठन किया जा रहा है। यह बोर्ड मखाना के समेकित विकास जैसे क्षेत्र विस्तार, यांत्रिकीकरण, प्रसंस्करण, विपणन और निर्यात को समृद्ध करेगा। यह कदम बिहार को 'मखाना हब' के रूप में और मज़बूत करेगा।