लुधियाना उपचुनाव: केजरीवाल का सियासी भविष्य दांव पर, AAP की जीत से खुलेगा राज्यसभा का दरवाज़ा!

लुधियाना पश्चिम विधानसभा उपचुनाव AAP के लिए बेहद अहम है, क्योंकि इसकी जीत अरविंद केजरीवाल के राज्यसभा जाने का रास्ता साफ करेगी। AAP ने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को मैदान में उतारा है, जिनकी जीत के लिए केजरीवाल और सीएम भगवंत मान पूरी ताकत झोंक रहे हैं।

लुधियाना उपचुनाव: केजरीवाल का सियासी भविष्य दांव पर, AAP की जीत से खुलेगा राज्यसभा का दरवाज़ा!

लुधियाना, पंजाब: दिल्ली में सत्ता और अपनी विधानसभा सीट गंवाने के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए पंजाब की लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव उनके सियासी भविष्य के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। इस सीट पर 19 जून को वोटिंग होनी है, और इसे 2027 के पंजाब विधानसभा चुनावों का सेमी-फाइनल भी कहा जा रहा है।


केजरीवाल की संसद यात्रा का रास्ता लुधियाना से!

AAP ने इस उपचुनाव में अपने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को मैदान में उतारा है। संजीव अरोड़ा की जीत से ही राज्यसभा की एक सीट खाली होगी, जिसके बाद ही अरविंद केजरीवाल के संसद जाने का रास्ता साफ होगा। यही वजह है कि केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, दोनों ही संजीव अरोड़ा को जिताने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। अगर संजीव अरोड़ा उपचुनाव जीतते हैं, तभी केजरीवाल के लिए राज्यसभा का दरवाज़ा खुलेगा, अन्यथा उन्हें अगले चार साल तक संसदीय राजनीति से दूर रहना पड़ सकता है। इसी को देखते हुए केजरीवाल ने इन दिनों पंजाब में डेरा डाल रखा है और संजीव अरोड़ा की जीत पर उन्हें मंत्री बनाने की गारंटी भी दे रहे हैं।


लुधियाना उपचुनाव: सियासी संग्राम और प्रमुख उम्मीदवार

यह उपचुनाव AAP विधायक गुरप्रीत सिंह बस्सी 'गोगी' के निधन के कारण हो रहा है, जिन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव में यह सीट AAP के लिए जीती थी। AAP ने अब इसी सीट पर राज्यसभा सांसद और लुधियाना के बड़े कारोबारी संजीव अरोड़ा को प्रत्याशी बनाया है।

इस उपचुनाव में सियासी मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। कांग्रेस से पूर्व विधायक भारत भूषण आशु मैदान में हैं, तो शिरोमणि अकाली दल से एडवोकेट उपकार सिंह घुम्मन ने ताल ठोक रखी है। बीजेपी से जीवन गुप्ता भी उपचुनाव लड़ रहे हैं। इनके अलावा, अकाली दल (अमृतसर) से नवनीत कुमार गोपी भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।


AAP के लिए क्यों अहम है यह उपचुनाव?

लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट पर हो रहे इस उपचुनाव में सबसे ज़्यादा प्रतिष्ठा आम आदमी पार्टी की दांव पर लगी है। दिल्ली में मिली हार के बाद AAP के लिए यह उपचुनाव जीतना साख का सवाल बन गया है। संजीव अरोड़ा, जो खुद लुधियाना के एक जाने-माने बिजनेसमैन और राज्यसभा सांसद हैं, उन्हें जिताने के लिए अरविंद केजरीवाल और सीएम भगवंत मान सहित AAP की टॉप लीडरशिप ने लुधियाना में डेरा जमा रखा है।

यह सीट पूरी तरह से शहरी इलाके में आती है, जहां AAP का जनाधार माना जाता है। ऐसे में, AAP सरकार के कार्यकाल के तीन साल तीन महीने पूरे होने के बाद अगर संजीव अरोड़ा यह उपचुनाव नहीं जीत पाते हैं, तो पार्टी की नीतियों और लोकप्रियता पर गंभीर सवाल खड़े होंगे। यह उपचुनाव पंजाब में AAP की नीतियों के प्रति आम जनता के मूड का एक परीक्षण भी माना जा रहा है।


अरोड़ा की जीत से तय होगा AK का भविष्य

अरविंद केजरीवाल ने लुधियाना के लोगों से अपील करते हुए कहा है कि "मैं ऐलान कर रहा हूं कि अगर आप 19 जून को संजीव अरोड़ा को विजय बनाते हैं तो हम 20 जून को उन्हें मंत्री बनाने का काम करेंगे।" इतना ही नहीं, उन्हें पंजाब सरकार में किसी बड़े मंत्रालय में एडजस्ट करने की भी गारंटी दी जा रही है। केजरीवाल की इस घोषणा से उनके राज्यसभा जाने के इरादे के संकेत भी मिल रहे हैं।

अगर संजीव अरोड़ा लुधियाना सीट जीतने में सफल नहीं रहते हैं, तो केजरीवाल के लिए संसदीय राजनीति का रास्ता कम से कम 2029 तक नहीं बन पाएगा, क्योंकि दिल्ली और पंजाब दोनों ही जगह से कोई भी राज्यसभा सीट फिलहाल खाली नहीं हो रही है। यही वजह है कि पूरी आम आदमी पार्टी ने इस समय लुधियाना पश्चिम सीट पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, ताकि हर हाल में अपनी जीत का परचम फहराया जा सके और केजरीवाल के लिए संसद का रास्ता खुल सके।