जब अमिताभ को कहा गया, 'कोई हीरोइन साथ काम नहीं करेगी', जया ने यूं दिया साथ
अमिताभ बच्चन जब फिल्मों में संघर्ष कर रहे थे, तो उन्हें कई बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा। लेकिन जया बच्चन ने हर मुश्किल वक्त में उनका साथ दिया। जानें उनकी प्रेम कहानी।

अमिताभ बच्चन जब फिल्मों में अभिनय के लिए संघर्ष करने मुंबई आए, तब उन्हें ज्यादातर प्रोड्यूसर-डायरेक्टर से एक ही बात सुनने को मिलती थी - "कोई हीरोइन तुम्हारे साथ काम नहीं करना चाहेगी, तुम बहुत लंबे हो। अच्छा होगा अपने पिता के रास्ते पर चलो और कवि बन जाओ।" लेकिन दिलचस्प बात ये है कि आगे चलकर उन्हें कई बड़े डायरेक्टरों का साथ मिला और इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना चुकीं जया बच्चन (तब भादुड़ी) का भी भरपूर सहयोग मिला। जया तब 'गुड्डी' और 'बावर्ची' से अपनी पहचान बना चुकी थीं। वहीं 'आनंद' और 'बॉम्बे टू गोवा' में अमिताभ भी नोटिस किए गए थे, लेकिन कई प्रोड्यूसर-डायरेक्टर का नजरिया अब भी वैसा ही था।
यकीनन 'जंजीर' फिल्म और दोनों की शादी के बाद उनके बारे में यह नजरिया एकदम से बदल गया। आपको बता दें कि अमिताभ-जया की प्रेम कहानी सन् 1973 की सुपरहिट फिल्म 'जंजीर' से भी पहले की है। दोनों की शादी साल 1973 में हुई। 3 जून को शादी की सालगिरह पर अमिताभ बच्चन ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर फैन्स को शुक्रिया कहा। उन्होंने लिखा - "जिन सब ने जया और मुझे, हमारी विवाह जयंती पर बधाइयां दी हैं, मैं अपना आभार और स्नेह व्यक्त करता हूं! सब को व्यक्तिगत रूप से उत्तर न दे पाऊंगा, क्षमा।"
दोनों कब आए एक दूसरे के नजदीक?
गौरतलब है कि 'जंजीर' फिल्म के रिलीज से पहले ही दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे। शुरुआती सफलता-असफलता के दौर में दोनों ने कुछ फिल्मों में साथ-साथ काम भी किया था। 'जंजीर' से पहले दोनों की एकसाथ वाली फिल्में थीं - 'बंसी बिरजू' और 'एक नज़र'। वहीं 'मिली', 'अभिमान' जैसी फिल्में आने वाली थीं। इंडस्ट्री में दोनों की नजदीकी को लेकर गॉसिप बनने लगे थे। तब पत्र-पत्रिकाओं में उन पर तंज में एक जुमला भी लिखा जाता था - "जया भादुड़ी इज सेलेबल एंड अमिताभ इज अवेलेबल।"
हालांकि अमिताभ इससे विचलित नहीं हुए। वह पूरी तैयारी के साथ आए थे। जब अमिताभ मुंबई में फिल्मों में रोल पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, तब उनको उनके पिता हरिवंश राय बच्चन की वजह से काफी रिस्पांस मिलता था। फिल्म इंडस्ट्री में तब के तमाम कलाकार, निर्माता-निर्देशक या लेखक-गीतकार खुद को बच्चन जी की कविताओं के प्रशंसक बताते थे। उनमें ख्वाजा अहमद अब्बास, ऋषिकेश मुखर्जी, सुनील दत्त, मनोज कुमार जैसे दिग्गज भी शामिल थे। जया बच्चन को भी इस बात की भली भांति जानकारी थी और वह भी इस बात से प्रभावित थीं।
मोहन स्टूडियो में मिलते थे अमिताभ-जया
अमिताभ और जया को नजदीक आने में ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्में बहुत काम आईं। उनकी फिल्म 'गुड्डी' कामयाब हो गई थी। इस फिल्म से जया की चर्चा होने लगी। कहा जाने लगा कि इंडस्ट्री को एक नई चुलबुली हीरोइन मिल गई। वहीं ऋषिकेश मुखर्जी की ही फिल्म 'आनंद' में नए कलाकार के तौर पर अमिताभ बच्चन भी सफलतापूर्वक रोल निभा चुके थे। मुंबई के अंधेरी इलाके में ऋषिकेश मुखर्जी का दफ्तर दोनों का अड्डा बन गया। अपनी-अपनी फिल्मों के लिए वहीं मोहन स्टूडियो में दोनों का आना-जाना शुरू हुआ। मेल-मुलाकातें भी हुईं। संयोग की बात ये कि दोनों को यहीं 'बंसी बिरजू' और 'एक नज़र' फिल्में साइन करने का मौका मिला।
उन दिनों अमिताभ और जया की मुलाकातों के बारे में उनके सहयोगी राज ग्रोवर ने अपनी पुस्तक ‘यादें जरा जरा’ में कुछ इस तरह से वर्णन किया है। उन्होंने लिखा है - "मोहन स्टूडियो के साउंड रिकॉर्डिंग रूम के पीछे उन दोनों का एक साझा मेकअप रूम था। कभी वहां नज़र आते कभी इससे जरा आगे एक छोटा सा थिएटर था, जहां ट्रायल शोज होते थे, वहीं उनकी मुलाकातों का सिलसिला चलता रहा। जाहिर हो चुका था को दोनों एक-दूसरे से मोहब्बत करते हैं। बाद में शादी के बंधन में बंध जाना दूर की बात नहीं."
जया की मदद से वापस मिली ज़ंजीर
यही वो दौर था जब 'जंजीर' का प्लॉट लिखा जा रहा था। प्रकाश मेहरा ने सलीम-जावेद से यह कहानी सुनी थी। बस, हीरो की तलाश थी। हीरोइन जया तय कर ली जा चुकी थीं। सबसे पहले धर्मेंद्र से बात की गई। उन्हें यह कहानी नहीं जमी। देव आनंद को यह एतराज था कि फिल्म में हीरो कोई गाना नहीं गाता जबकि प्राण गाते हैं। लिहाजा उन्होंने इसे रिजेक्ट कर दिया। ऐसे में सलीम-जावेद के सुझाव के बाद अमिताभ की एंट्री हुई लेकिन डिस्ट्रीब्यूटर्स ने प्रकाश मेहरा पर हीरो बदलने का दबाव बना दिया। मजबूरन प्रकाश मेहरा के सामने संजय खान और राज कुमार का नाम भी आया। फिल्म से निकाले जाने पर निराश अमिताभ ने मुंबई छोड़ने का मन बना लिया। तब जया और गुलजार आगे आए और कहा - हिम्मत ना हारें।
राज ग्रोवर अपनी पुस्तक में लिखते हैं - "उन दिनों जया जी, प्रोड्यूसर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स की पसंदीदा हिरोइन थीं। अमिताभ की मनोदशा देखते हुए जया आगे बढ़ीं। वहीं लेखक जोड़ी सलीम-जावेद ने भी प्रकाश मेहरा को सलाह दी - अमिताभ को ही आजमाएं। बाद में जब यह फिल्म रिलीज हुई उसके बाद क्या हुआ - वह इतिहास में दर्ज है."
ज़ंजीर ने बना दी बिग बी-जया की जोड़ी
'जंजीर' में साथ-साथ काम करने के दौरान ही दोनों शादी करने का फैसला कर चुके थे। लेकिन कुछ अड़चनें थीं। शूटिंग के दौरान ये तय हुआ कि अगर फिल्म हिट हो गई तो पूरी टीम लंदन भ्रमण पर जाएंगे। संयोगवश वह फिल्म चल गई। पूरे देश में हाउसफुल। जैसा कि अमिताभ बच्चन ने 'कौन बनेगा करोड़पति' के एक एपिसोड में बताया था कि उन्होंने लंदन घूमने जाने के बारे में अपने माता-पिता से चर्चा की। तब पिता हरिवंश राय बच्चन ने पूछा कि साथ में कौन-कौन जा रहा है। तो अमिताभ बच्चन ने जया समेत सभी का नाम बताया। इसी वक्त उनके पिताजी ने आदेश दिया - बिना शादी किए लंदन नहीं जाना है।
हालांकि जया के परिवार वाले इस शादी के लिए तैयार नहीं थे। इसके बावजूद जल्दी-जल्दी दोनों की शादी की तैयारियां हुईं। बिना ज्यादा प्रचार-प्रसार के यह शादी 3 जून, 1973 को संपन्न हुई। फिल्म इंडस्ट्री में बहुत से लोगों को इस शादी की जानकारी बाद में हुई। इसके बाद सभी 'जंजीर' की सक्सेस पार्टी करने के लिए लंदन गए। शादी के बाद जया भादुड़ी से जया बच्चन बन गईं। दोनों की 'अभिमान', 'मिली' जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट कहलाईं तो अमिताभ की 'दीवार' ने सफलता का अगला अध्याय लिखा, वह स्टार से सुपरस्टार बन गए।