औरंगजेब द्वारा तोड़े गए हिंदू मंदिरों की संख्या और सूची
औरंगजेब ने अपने शशांकाल में कितने हिंदू मंदिरों को तुड़वाया और उनमें से प्रमुख मंदिर कौन से थे? जानिये इस ऐतिहासिक घटना के बारे में विस्तार से, जिसमें काशी, मथुरा, सोमनाथ और अयोध्या जैसे महत्वपूर्ण मंदिर शामिल हैं।

मुगल साम्राज्य के इतिहास में औरंगजेब (1658-1707) एक विवादास्पद शासक के रूप में जाने जाते हैं। उनकी धार्मिक नीतियां, विशेषकर गैर-मुस्लिमों के प्रति उनका रवैया, इतिहासकारों और आम जनता के बीच गहन बहस का विषय रहा है। यह सर्वविदित है कि औरंगजेब ने अपने शासनकाल में कई हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करने के आदेश दिए थे। इन विध्वंसों की संख्या और उनके पीछे के कारणों को लेकर इतिहासकारों के बीच अलग-अलग मत हैं, लेकिन इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि औरंगजेब के आदेश पर बड़ी संख्या में हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया था।
मुगल काल से पहले, उत्तर भारत में मंदिरों की एक विशाल संख्या मौजूद थी, जिनकी स्थापत्य शैली और भव्यता अद्वितीय थी। इस्लामिक आक्रमणों का दक्षिण भारत पर अपेक्षाकृत कम प्रभाव रहा, जिसके कारण वहां के मंदिर आज भी अपनी प्राचीन भारतीय शैली और भव्यता को बनाए हुए हैं। मुगलों का प्रभाव मुख्य रूप से उत्तर, मध्य और पश्चिम भारत तक सीमित था, और इन क्षेत्रों के भी कई हिस्से उनके प्रत्यक्ष नियंत्रण से बाहर रहे। हालांकि, मुगल सेनाएं जिस भी क्षेत्र से गुज़रती थीं, रास्ते में आने वाले मंदिरों को तोड़ना और लूटना एक आम बात थी, जिसका उल्लेख ऐतिहासिक अभिलेखों में मिलता है।
जहां तक औरंगजेब का सवाल है, उन्हें मुगल शासकों में सबसे अधिक कट्टर और विध्वंसक माना जाता है। उन्होंने न केवल मंदिरों को तोड़ने के आदेश दिए, बल्कि कई मामलों में उनके स्थान पर मस्जिदों का निर्माण भी करवाया।
औरंगजेब का व्यापक विध्वंस का आदेश:
9 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने एक व्यापक फरमान जारी किया, जिसमें हिंदुओं के मंदिरों और विद्यालयों दोनों को गिराने का आदेश दिया गया था। यह फरमान केवल कुछ विशिष्ट क्षेत्रों तक सीमित नहीं था, बल्कि उनके साम्राज्य के अधीन आने वाले सभी प्रांतों में लागू किया गया था। इस आदेश के बाद, समय-समय पर जिन महत्वपूर्ण मंदिरों को निशाना बनाया गया, उनमें प्रमुख रूप से शामिल थे:
- उत्तर भारत के प्रमुख मंदिर: सोमनाथ (गुजरात), काशी विश्वनाथ (वाराणसी), केशवराय मंदिर (मथुरा), और अयोध्या के सैकड़ों मंदिर।
- अन्य महत्वपूर्ण मंदिर: वडनगर का हथेश्वर मंदिर (गुजरात), उदयपुर में झीलों के किनारे बने तीन मंदिर (राजस्थान), उज्जैन के आसपास के मंदिर (मध्य प्रदेश), सवाई माधोपुर में मलारना मंदिर (राजस्थान), गोलकुंडा के मंदिर (आंध्र प्रदेश), और बीजापुर के मंदिर (कर्नाटक) सहित सैकड़ों अन्य स्थानों के मंदिर।
हिंदू, बौद्ध और जैन मंदिरों का विध्वंस - एक व्यवस्थित अभियान:
औरंगजेब के 31 जुलाई 1658 को मुगल बादशाह बनने के साथ ही आतंक का एक नया दौर शुरू हुआ। उनके शासनकाल में हजारों मंदिरों को तोड़ा गया। मुगल सेनाएं जब किसी भी दिशा में सैन्य अभियान पर जाती थीं, तो उनके रास्ते में पड़ने वाले सभी बड़े मंदिरों को ध्वस्त कर दिया जाता था, और नगरों तथा गांवों को लूटा जाता था। इस दौरान बड़ी संख्या में निर्दोष हिंदुओं की जान भी गई।
विशिष्ट मंदिरों का विध्वंस:
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काशी विश्वनाथ मंदिर (वाराणसी): यह अत्यंत महत्वपूर्ण मंदिर, जो भगवान शिव को समर्पित है, औरंगजेब के विध्वंस के निशाने पर आया। हालांकि, इस मंदिर को पहले के मुस्लिम शासकों द्वारा भी तोड़ा गया था, लेकिन स्थानीय हिंदुओं ने समय-समय पर इसका पुनर्निर्माण करवाया था। डॉ. एएस भट्ट ने अपनी पुस्तक 'दान हारावली' में उल्लेख किया है कि टोडरमल ने 1585 में मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था। लेकिन, 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने एक फरमान जारी कर इसे ध्वस्त करने का आदेश दिया। यह फरमान आज भी एशियाटिक लाइब्रेरी, कोलकाता में सुरक्षित है। उस समय के लेखक साकी मुस्तइद खां द्वारा लिखित 'मासीदे आलमगिरी' में इस विध्वंस का विस्तृत वर्णन मिलता है। औरंगजेब के आदेश पर मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण कराया गया। 2 सितंबर 1669 को औरंगजेब को मंदिर तोड़ने का कार्य पूरा होने की सूचना भेजी गई थी। बाद में, 1777-80 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। इसका उल्लेख जदुनाथ सरकार ने अपनी पुस्तक 'हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब' के पृष्ठ संख्या 282 पर किया है। यह भी कहा जाता है कि बनारस की एक अन्य मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने बिशेश्वर मंदिर के स्थान पर करवाया था, और उसी मंदिर के पत्थरों का उपयोग करके एक ऊंची मस्जिद बनवाई गई थी। बनारस की एक तीसरी मस्जिद का निर्माण गंगा के तट पर तराशे हुए पत्थरों से कराया गया था।
2. केशवराय मंदिर (मथुरा): भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में स्थित यह महत्वपूर्ण मंदिर भी औरंगजेब के क्रोध का शिकार हुआ। कृष्ण जन्मभूमि के एक हिस्से पर पहले से ही ईदगाह मौजूद थी। औरंगजेब ने 1660 में कृष्ण मंदिर को तुड़वाकर उसी स्थान पर ईदगाह का विस्तार करवाया। 1669 में इस ईदगाह का निर्माण कार्य पूरा हुआ। इस ईदगाह के पीछे ही महामना पं. मदन मोहन मालवीय जी की प्रेरणा से पुनः एक मंदिर स्थापित किया गया है, लेकिन जन्मभूमि का आधा हिस्सा ईदगाह और आधा मंदिर होने के कारण यह क्षेत्र आज भी विवादित बना हुआ है। इतिहासकारों के अनुसार, औरंगजेब ने मथुरा में लगभग 78 महत्वपूर्ण मंदिरों को ध्वस्त करवाया था, जिनमें राजा मानसिंह द्वारा 1590 में निर्मित गोविंद देव मंदिर भी प्रमुख था।
3.अयोध्या के मंदिर: औरंगजेब ने अयोध्या में किसी भी भव्य हिंदू मंदिर के पुनर्निर्माण को कभी अनुमति नहीं दी। उसकी सेना बार-बार मंदिरों को तोड़ने के लिए आती रहती थी। उसने अपने अधिकार क्षेत्र के सभी राज्यों को पूर्ण रूप से इस्लामी बनाने के उद्देश्य से कई मंदिरों और गुरुद्वारों को ध्वस्त किया और उनके स्थानों पर मस्जिदों के निर्माण का आदेश दिया। अयोध्या में औरंगजेब ने स्वर्गद्वारी मंदिर और ठाकुर मंदिर स्थल पर मस्जिदों का निर्माण करवाया था। यह भी कहा जाता है कि औरंगजेब ने अयोध्या के हनुमान गढ़ी पर भी एक मस्जिद का निर्माण कराया था।
4. सोमनाथ मंदिर (गुजरात): गुजरात के इस प्रसिद्ध मंदिर को भी कई बार तोड़ा गया, जिनमें से दो विध्वंस औरंगजेब के शासनकाल में हुए। पहला विध्वंस 1665 ईस्वी में और दूसरा 1706 ईस्वी में हुआ। 1665 में मंदिर को तोड़ने के बाद, जब औरंगजेब ने देखा कि हिंदू अभी भी उस पवित्र स्थान पर पूजा-अर्चना करने आते हैं, तो उसने वहां एक सैन्य टुकड़ी भेजकर कत्लेआम करवाया। जब भारत का एक बड़ा हिस्सा मराठों के नियंत्रण में आ गया, तब 1783 में इंदौर की रानी अहिल्याबाई होलकर ने मूल मंदिर से कुछ ही दूरी पर सोमनाथ महादेव का एक और मंदिर बनवाया, ताकि पूजा-अर्चना जारी रह सके। छह बार टूटने के बाद, सातवीं बार इस मंदिर को कैलाश महामेरु प्रसाद शैली में बनाया गया, और इसके निर्माण कार्य से सरदार वल्लभभाई पटेल भी जुड़े रहे थे।
5. मदन मोहन मंदिर (वृंदावन, मथुरा): उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के वृंदावन नगर में वैष्णव संप्रदाय का यह महत्वपूर्ण मंदिर, जिसका निर्माण 1590 ई. से 1627 ई. के बीच मुल्तान के रामदास खत्री या कपूरी द्वारा करवाया गया था, भी औरंगजेब के विध्वंस का शिकार हुआ। भगवान श्रीकृष्ण का एक नाम मदन मोहन भी है। मुगल शासन के दौरान इस मंदिर को तोड़ दिया गया था, और भगवान मदन गोपाल की मूल प्रतिमा को राजस्थान स्थानांतरित कर दिया गया था। वर्तमान में मंदिर में उस प्रतिमा की प्रतिकृति की पूजा की जाती है, जबकि मूल प्रतिमा आज भी राजस्थान के करौली में सुरक्षित है।
6. बीजापुर के मंदिर: 1678 में औरंगजेब के आदेश पर हमीदुद्दीन खान बहादुर ने बीजापुर के एक महत्वपूर्ण मंदिर को तोड़कर उसे मस्जिद में बदल दिया था।
7. बीजामंडल (विदिशा, मध्य प्रदेश): बीजामंडल, जिसे विजय मंदिर के नाम से भी जाना जाता था, विदिशा जिले के मुख्यालय में स्थित था। इस मंदिर को 1682 में नष्ट करके औरंगजेब ने उसी स्थान पर आलमगिरी मस्जिद का निर्माण कराया था। इस मस्जिद को बनाने में नष्ट किए गए मंदिर की सामग्री का ही उपयोग किया गया था, जो औरंगजेब की धार्मिक कट्टरता का स्पष्ट प्रमाण है।
8. चिंतामन मंदिर (सरसपुर, अहमदाबाद): अहमदाबाद के पास सरसपुर शहर में स्थित भगवान गणेश का यह प्रसिद्ध मंदिर, जिसे सीता दास जौहरी ने बनवाया था, औरंगजेब के आदेश पर कुव्वत-इल-इस्लाम नामक एक मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया था। यह घटना भी औरंगजेब की धार्मिक असहिष्णुता को दर्शाती है।
9. उज्जैन के मंदिर: औरंगजेब ने उज्जैन के आसपास और क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित सभी हिंदू मंदिरों को नष्ट करवा दिया था। उसने प्रसिद्ध महाकाल मंदिर को भी नुकसान पहुँचाने का प्रयास किया था। हालांकि, उस समय मंदिर के शिवलिंग को हिंदुओं ने छुपाकर सुरक्षित रख दिया था, जिससे वह पूर्ण विनाश से बच गया।
10. राजस्थान के मंदिर: औरंगजेब के आदेश पर चित्तौड़, उदयपुर और जयपुर के आसपास के लगभग 300 हिंदू मंदिरों को नष्ट कर दिया गया था। 350 साल पहले जयपुर शहर अजमेर प्रांत का हिस्सा था, और यहां एक भव्य मलारना मंदिर स्थित था, जिसे औरंगजेब ने सेना भेजकर गिरवा दिया था। मंदिर गिराने के 22 साल बाद, 23 जून 1694 को औरंगजेब ने अजमेर के गवर्नर को मूर्ति पूजा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था। श्री राम शर्मा ने अपनी पुस्तक 'मुगल सम्राटों की धार्मिक नीति' के पृष्ठ संख्या 149 पर इस घटना का उल्लेख किया है।
11. गोलकोंडा (आंध्र प्रदेश): जब औरंगजेब ने आंध्र प्रदेश के गोलकोंडा पर कब्जा किया, तो उसने अब्दुर रहीम खान को हैदराबाद शहर का गवर्नर नियुक्त किया और उसे हिंदुओं की धार्मिक प्रथाओं को समाप्त करने, मंदिरों को नष्ट करने और उनके स्थानों पर मस्जिदों का निर्माण करने का स्पष्ट आदेश दिया। इस दौरान कई मंदिरों को तोड़कर उनकी सामग्री का उपयोग मस्जिदों के निर्माण में किया गया था। गोलकोंडा के पतन के बाद, लगभग 200 मंदिरों की सामग्री से औरंगजेब ने मैसाराम मस्जिद का निर्माण करवाया था। इसके अलावा, 1675 में हुबली में मंदिरों के स्थान पर 17 मस्जिदें बनवाई गईं।
12. रीतपुर (अमरावती, महाराष्ट्र): महाराष्ट्र के अमरावती जिले के रीतपुर में स्थित जामा मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने एक प्राचीन हिंदू मंदिर के स्थान पर करवाया था, जो समय के साथ उजाड़ हो गया था। बाद में, स्थानीय मुसलमानों की मदद से 1878 में इस मस्जिद का पुनर्निर्माण कराया गया।
13. सरहिंद (पंजाब): पंजाब के सरहिंद सरकार के एक छोटे से गांव में स्थित एक सिख मंदिर को भी औरंगजेब के आदेश पर तोड़कर मस्जिद में बदल दिया गया था। इस मस्जिद के लिए एक इमाम भी नियुक्त किया गया था, जिसकी बाद में हत्या कर दी गई थी।
14. कैलाश मंदिर (एलोरा): औरंगजेब ने महाराष्ट्र के एलोरा की गुफाओं में स्थित अद्भुत कैलाश मंदिर को भी पूरी तरह से नष्ट करने का प्रयास किया था। यह मंदिर एक विशाल पर्वत को काटकर बनाया गया था, जो अपनी अद्वितीय वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि 1000 मजदूरों ने लगातार तीन साल तक इस मंदिर को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन वे केवल लगभग 5% हिस्से को ही नुकसान पहुंचा पाए। मंदिर की विशालता और मजबूत संरचना के कारण औरंगजेब का यह प्रयास विफल रहा।
निष्कर्ष:
यह सूची औरंगजेब द्वारा तोड़े गए कुछ प्रमुख और ज्ञात हिंदू मंदिरों को दर्शाती है। वास्तव में, उनके शासनकाल में ध्वस्त किए गए मंदिरों की कुल संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। इतिहासकारों के बीच इस संख्या को लेकर मतभेद हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि औरंगजेब की धार्मिक नीतियां हिंदू मंदिरों के लिए विनाशकारी साबित हुईं। उनके आदेशों के तहत, पूरे मुगल साम्राज्य में मंदिरों को निशाना बनाया गया, जिससे भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को भारी क्षति पहुंची। इन विध्वंसों का उद्देश्य न केवल राजनीतिक प्रभुत्व स्थापित करना था, बल्कि इस्लामी शासन की सर्वोच्चता को भी स्थापित करना था। औरंगजेब की यह विरासत आज भी भारतीय इतिहास के एक विवादास्पद अध्याय के रूप में याद की जाती है।