पहलगाम के बाद कश्मीर में पहला बड़ा आयोजन, खीर भवानी मेले में श्रद्धालुओं का उत्साह, सुरक्षा चाक-चौबंद
First major event in Kashmir after Pahalgam attack, Kheer Bhawani Mela sees enthusiastic participation of devotees despite security concerns. Tight security arrangements in place.

गांदरबल/श्रीनगर: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद कश्मीर घाटी में पर्यटकों की संख्या में आई गिरावट के बीच, गांदरबल में खीर भवानी मेले का आयोजन एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में हो रहा है। यह मेला, जो कश्मीरी पंडित समुदाय का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, मंगलवार को गांदरबल के तुलमुल्ला, कुलगाम, कुपवाड़ा और अनंतनाग स्थित पांच रागन्या भगवती मंदिरों में आयोजित किया जाएगा।
मेले की पूर्व संध्या पर, रविवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस प्रमुख नलिन प्रभात ने माता खीर भवानी मंदिर का दौरा किया और सुरक्षा व्यवस्थाओं का जायजा लिया। अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और ठहरने के लिए किए गए प्रबंधों की समीक्षा की, हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में श्रद्धालुओं की संख्या कम है।
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच, रविवार सुबह 60 बसों के काफिले में सैकड़ों कश्मीरी पंडित घाटी के लिए रवाना हुए। जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी नलिन प्रभात और गांदरबल जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने भी मंदिर में दर्शन किए। घाटी और देश के अन्य हिस्सों से कश्मीरी पंडित भारी संख्या में तुलमुल्ला स्थित खीर भवानी मंदिर में एकत्र हो रहे हैं।
कश्मीरी पंडितों के लिए विशेष महत्व:
श्रीनगर के पास स्थित रागन्या देवी मंदिर, जिसे माता खीर भवानी का मंदिर भी कहा जाता है, कश्मीरी पंडितों के लिए अत्यंत पूजनीय है। हर साल ज्येष्ठ अष्टमी के अवसर पर यहां मेले का आयोजन होता है, जो देवी खीर भवानी को समर्पित है, जिन्हें कश्मीरी हिंदुओं की कुल देवी माना जाता है। मंदिर में देवी को पारंपरिक रूप से खीर चढ़ाई जाती है।
सुरक्षा और व्यवस्था चाक-चौबंद:
राहत आयुक्त (प्रवासी) अरविंद करवानी ने जम्मू में अधिकारियों के साथ मिलकर तीर्थयात्रियों के काफिले को हरी झंडी दिखाई। उन्होंने बताया कि तीर्थयात्रियों की सुरक्षा, रास्ते में और घाटी में ठहरने-खाने की सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं। जम्मू के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जोगिंदर सिंह ने भी कहा कि तीर्थयात्रियों के लिए सभी आवश्यक सुरक्षा उपाय किए गए हैं।
श्रद्धालुओं का अटूट विश्वास:
मेले में शामिल होने आए श्रद्धालुओं का उत्साह और अटूट विश्वास देखते ही बनता है। श्रद्धालु राजेश ज्योत्सी ने कहा, "माता खीर भवानी हमारी कुल देवी हैं और उनके दर्शन करना हमारा पवित्र कर्तव्य है। हमें किसी बात का डर नहीं है। यह हमारी धरती है। इस तरह के हमले होते रहते हैं, लेकिन यहां की व्यवस्थाएं बेहतरीन हैं। मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि वे यहां आएं और माता का आशीर्वाद लें।"
पहली बार मेले में शामिल हो रहीं सरोज ने कहा, "यह मेरी पहली यात्रा है। मैंने इस जगह के बारे में बहुत कुछ सुना था। हमें डर नहीं है। ये हमले केवल डर पैदा करने के लिए हैं, और हमें मजबूती से खड़े रहना चाहिए। मुझे किसी तरह का डर नहीं है। 'माता' के दर्शन करने में कोई डर नहीं है। पहलगाम का आतंकी हमला दुर्भाग्यपूर्ण था, लेकिन पर्यटकों को वहां जाना चाहिए। हमें डरना नहीं चाहिए।"
एक अन्य श्रद्धालु राकेश कौल ने कहा, "माता खीर भवानी के साथ हमारा संबंध सदियों पुराना है। हम इस यात्रा के लिए पूरा साल इंतजार करते हैं। पिछले 36 सालों से बने डर के हालात के बावजूद लोग यहां पर आ रहे हैं। स्थिति कठिन जरूर है, लेकिन भगवान में हमारी आस्था और भी मजबूत है। लोगों को निश्चित रूप से यहां आना चाहिए और इसका अनुभव करना चाहिए।"
पहलगाम हमले के बाद यह पहला बड़ा आयोजन है, जिसमें श्रद्धालुओं का उत्साह और सुरक्षा व्यवस्था घाटी में सकारात्मक संदेश दे रही है।