मुरादाबाद में ₹73 करोड़ की GST चोरी: लकड़ी व्यापारियों ने शेल कंपनियों से दिया सरकार को चूना, मिठाई-फॉर्च्यून की दुकानों के नाम पर फर्जीवाड़ा

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद मंडल में लकड़ी व्यापारियों ने शेल कंपनियाँ बनाकर ₹73 करोड़ की जीएसटी चोरी की। मिठाई और फॉर्च्यून की दुकानों के नाम पर हुए इस फर्जीवाड़े में 15 कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है, और 52 की जांच जारी है।

मुरादाबाद में ₹73 करोड़ की GST चोरी: लकड़ी व्यापारियों ने शेल कंपनियों से दिया सरकार को चूना, मिठाई-फॉर्च्यून की दुकानों के नाम पर फर्जीवाड़ा
साकेंतिक तस्वीर

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद मंडल में लकड़ी का कारोबार करने वालों ने सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया है। यहाँ लकड़ी व्यापारियों ने शेल कंपनियाँ बनाकर ₹73 करोड़ की जीएसटी (GST) चोरी की है। इन व्यापारियों ने उत्तर प्रदेश कर विभाग (UP Tax Department) को बड़े पैमाने पर धोखा दिया। मामला प्रकाश में आते ही विभाग में हड़कंप मच गया है, और अब विभाग ने शेल कंपनी संचालित करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही शुरू कर दी है।


फॉर्च्यून और मिठाई की दुकानों के नाम पर लकड़ी का कारोबार

इस धोखाधड़ी में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि व्यापारियों ने फॉर्च्यून और मिठाई की दुकानों के पंजीकरण पर लकड़ी की खरीद दिखाई। विभाग ने अब तक 15 शेल कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है, जबकि 52 अन्य कंपनियों की भी गहनता से जांच की जा रही है। मुरादाबाद के अलावा, संभल, रामपुर और बिजनौर में भी जीएसटी चोरी के ऐसे मामले पकड़े गए हैं। विभाग को पता चला है कि बड़े पैमाने पर शेल कंपनियाँ बनाकर जीएसटी की चोरी की जा रही है। यह बड़ा फर्जीवाड़ा आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) क्लेम की जांच करने पर पकड़ा गया है।


लकड़ी कारोबारियों के ठिकानों पर छापा

ठाकुरद्वारा में लकड़ी कारोबारियों के ठिकाने पर एक टीम ने छापा मारा था, जिसमें यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि फॉर्च्यून और मिठाई की दुकानों के पंजीकरण का उपयोग करके लकड़ी का अवैध कारोबार किया जा रहा था। विभाग की जांच में यह भी पता चला है कि ठाकुरद्वारा के कुछ नकली कारोबारी उत्तराखंड से बगैर टैक्स के शेल कंपनियों के ज़रिए लकड़ी की खरीदारी करते पाए गए। विभाग का कहना है कि टैक्स चोरी की कुल रकम लगभग ₹73 करोड़ है।


क्या होती हैं शेल कंपनियाँ?

अभी तक विभाग की जांच में कुल 67 शेल कंपनियों का पता चला है, जिनमें से 15 का पंजीकरण निरस्त कर दिया गया है। विभाग आगे की कार्रवाई कर रहा है।

बता दें कि शेल कंपनियाँ (Shell Companies) ऐसी कंपनियाँ होती हैं जो मुख्य रूप से कागजों पर मौजूद होती हैं, लेकिन उनका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं होता है (जैसे, कोई वास्तविक कार्यालय या कर्मचारी)। शेल कंपनियाँ कोई महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि भी नहीं करतीं।

ये कंपनियाँ अक्सर मनी लॉन्ड्रिंग, कर चोरी, या अन्य अवैध गतिविधियों में शामिल होती हैं। इनका उपयोग धन के स्रोतों को छिपाने या संपत्ति को एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है। राजस्व का चूना लगाने के लिए ये कंपनियां सुनियोजित तरीके से बनाई जाती हैं, और जीएसटी चोरी करने वाले भी इनका धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं। यह कार्रवाई यूपी सरकार के राजस्व को बचाने और आर्थिक अपराधों पर लगाम लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है