तहसील पिण्डरा में उपजिलाधिकारी की कार्यशैली पर अधिवक्ताओं का फूटा आक्रोश, स्थानांतरण की मांग तेज
तहसील पिण्डरा में उपजिलाधिकारी एवं उपजिलाधिकारी न्यायिक के खिलाफ अधिवक्ताओं ने कार्यशैली को लेकर गहरा आक्रोश जताया है। उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया की अनदेखी और मनमानी के आरोप लगाए हैं।

पिण्डरा, वाराणसी: उपजिलाधिकारी की कार्यशैली पर अधिवक्ताओं का भरोसा टूटा
वाराणसी जिले की तहसील पिण्डरा में उपजिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी (न्यायिक) की कार्यप्रणाली को लेकर अधिवक्ताओं में जबरदस्त असंतोष और आक्रोश पनप गया है। बार संघ के वकीलों का आरोप है कि तहसील प्रशासन विधिक प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहा है, और न्यायिक कार्यवाही को लेकर गंभीर लापरवाही बरती जा रही है।
क्या हैं अधिवक्ताओं के आरोप?
बार संघ के अधिवक्ताओं ने संयुक्त रूप से कई गंभीर आरोप लगाए हैं:
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बिना सुनवाई के पारित आदेश: अधिवक्ताओं का कहना है कि कई मामलों में न तो पक्षकारों की सुनवाई होती है और न ही उन्हें सूचित किया जाता है। आदेश सीधे फाइलों पर पारित कर दिए जाते हैं।
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विलंबित फाइलें और पारदर्शिता की कमी: आदेश पारित होने के बाद संबंधित पत्रावलियाँ महीनों बाद अधिवक्ताओं को प्राप्त होती हैं, जिससे न्याय प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठते हैं।
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पूर्वाग्रह और दबाव में फैसले: अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि अधिकारीगण पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर कार्य कर रहे हैं, और बाहरी दबावों में आकर निर्णय लिए जा रहे हैं।
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लंबित पत्रावलियाँ और फाइलों की अनुपलब्धता: अनेक पत्रावलियाँ न्यायालय में लंबे समय से लंबित हैं या गायब हैं, जिससे न्याय दिलाने की प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
बार संघ का आंदोलन
बार संघ ने इन मुद्दों को लेकर कई बार विरोध प्रदर्शन और बैठकें की हैं। अधिवक्ताओं ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि बार-बार शिकायतों के बावजूद केवल आश्वासन ही मिले हैं, कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
इसलिए अब अधिवक्ताओं ने स्पष्ट रूप से मांग की है कि:
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तहसील पिण्डरा के उपजिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी न्यायिक का तत्काल स्थानांतरण किया जाए।
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न्यायालय की कार्यशैली में पारदर्शिता और प्रक्रिया का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।
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अधिवक्ताओं के हितों और न्यायिक प्रक्रिया की रक्षा के लिए स्वतंत्र जांच समिति गठित की जाए।
ज्ञापन सौंपने की प्रक्रिया
बार संघ के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को वाराणसी के जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में उपरोक्त सभी मुद्दों का उल्लेख करते हुए लिखा गया कि यदि जल्द से जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो अधिवक्ता अनिश्चितकालीन बहिष्कार का निर्णय भी ले सकते हैं।
क्यों उठ रहा है विरोध?
पिण्डरा तहसील, जो कि वाराणसी जैसे संवेदनशील और धार्मिक क्षेत्र का हिस्सा है, वहाँ न्यायिक प्रक्रिया में ऐसी अनियमितता से न सिर्फ वकील और वादकारी प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि आम नागरिकों का प्रशासनिक तंत्र पर भरोसा भी टूट रहा है।
वकीलों का कहना है कि न्यायपालिका की बुनियाद ही "प्रक्रिया और पारदर्शिता" है, जिसे वर्तमान अधिकारी पूरी तरह से नजरअंदाज कर रहे हैं।
अधिवक्ताओं की मांगें संक्षेप में:
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पिण्डरा के SDM और SDM (न्यायिक) का तत्काल स्थानांतरण
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लंबित पत्रावलियों की स्थिति की जांच
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पारदर्शी न्यायिक प्रक्रिया की बहाली
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निर्णय लेने में सुनवाई और सूचना की व्यवस्था
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दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई