राहुल गांधी को इलाहाबाद HC से झटका, सेना पर टिप्पणी मामले में नहीं मिली राहत

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भारतीय सेना पर कथित अपमानजनक टिप्पणी के मामले में राहुल गांधी को फटकार लगाई है. कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज करते हुए उन्हें 23 जून को लखनऊ कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है.

राहुल गांधी को इलाहाबाद HC से झटका, सेना पर टिप्पणी मामले में नहीं मिली राहत
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भारतीय सेना पर कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को कड़ी फटकार लगाई है. जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की एकल न्यायाधीश की पीठ ने यह आदेश सुनाते हुए कहा कि हालांकि संविधान का अनुच्छेद 19(1)(ए) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, लेकिन यह उचित प्रतिबंधों के अधीन है. अदालत ने स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 19(1)(ए) ऐसे बयानों पर लागू नहीं होता जो "भारतीय सेना के लिए अपमानजनक" हों.


'भारत जोड़ो यात्रा' से जुड़ा है मामला

यह पूरा मामला 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी द्वारा भारतीय सेना के खिलाफ की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी से जुड़ा है. लखनऊ की एक अदालत ने इस संबंध में राहुल गांधी को समन जारी किया था, जिसे उन्होंने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय ने उनकी इस याचिका को खारिज करते हुए अपनी टिप्पणी दी.


लखनऊ कोर्ट में पेश होने का मिला पांचवां मौका

राहुल गांधी के लखनऊ कोर्ट में पेश न होने पर, कोर्ट के समक्ष एक निवेदन के साथ एप्लीकेशन सबमिट की गई थी, जिसमें उनके खिलाफ वारंट जारी कर उपस्थिति सुनिश्चित करने की बात कही गई थी. इस पर कोर्ट ने राहुल गांधी को पांचवां मौका देते हुए 23 जून 2025 को बतौर अभियुक्त हाजिर होने का आदेश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 23 जून को होगी.

राहुल गांधी ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आलोक वर्मा द्वारा उनके खिलाफ दायर मानहानि मामले में 24 मार्च को सुनवाई के लिए उपस्थित होने के निर्देश को चुनौती देने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया.


शिकायतकर्ता को "पीड़ित व्यक्ति" माना गया

यह शिकायत वकील विवेक तिवारी ने उदय शंकर श्रीवास्तव की ओर से दायर की थी. उदय शंकर श्रीवास्तव सीमा सड़क संगठन के पूर्व निदेशक हैं और उनका पद सेना के कर्नल के समकक्ष है.

मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ राहुल गांधी की याचिका को खारिज करते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 199(1) के तहत, कोई व्यक्ति जो किसी अपराध का प्रत्यक्ष शिकार नहीं है, उसे भी "पीड़ित व्यक्ति" माना जा सकता है, यदि अपराध ने उसे नुकसान पहुंचाया है या प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है.

न्यायालय ने पाया कि इस मामले में शिकायतकर्ता, सीमा सड़क संगठन के सेवानिवृत्त निदेशक, जो कर्नल के समकक्ष रैंक के हैं, ने भारतीय सेना के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी. यह देखते हुए कि शिकायतकर्ता ने सेना के प्रति गहरा सम्मान व्यक्त किया है और टिप्पणियों से वह व्यक्तिगत रूप से आहत हुआ है, अदालत ने कहा कि वह सीआरपीसी की धारा 199 के तहत पीड़ित व्यक्ति के रूप में योग्य है और इसलिए वह शिकायत दर्ज करने का हकदार है.

इसके आलोक में, न्यायालय ने टिप्पणी की कि इस प्रारंभिक चरण में समन आदेश की वैधता का आकलन करते समय, प्रतिस्पर्धी दावों की योग्यता की जांच करना आवश्यक नहीं है, क्योंकि यह जिम्मेदारी ट्रायल कोर्ट की है. तदनुसार, न्यायालय ने राहुल गांधी की याचिका को खारिज कर दिया.