राजनाथ सिंह की अमेरिकी रक्षा मंत्री से टेलीफोनिक बातचीत: आतंकवाद और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर हुई चर्चा
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी समकक्ष पीट हेगसेथ से टेलीफोन पर चर्चा की। इस बातचीत में आतंकवाद पर चिंता जताई गई और भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग को और मजबूती देने पर सहमति बनी।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी कूटनीतिक सक्रियता तेज कर दी है। इसी सिलसिले में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ से टेलीफोन पर बात की। इस बातचीत को लेकर आधिकारिक बयान तो नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक दोनों नेताओं ने आतंकवाद, क्षेत्रीय सुरक्षा और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को लेकर अहम चर्चा की।
पहलगाम हमले से जुड़ी संवेदनशीलता
इस हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई थी। उस समय अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत में अपने परिवार के साथ मौजूद थे, जिससे यह घटना अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण से और भी गंभीर हो गई। हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर 'पूर्ण समर्थन' की बात कही। अमेरिका के अलावा रूस, इस्राइल और ब्रिटेन जैसे प्रमुख देशों ने भी भारत के साथ एकजुटता जाहिर की।
राजनाथ-हेगसेथ वार्ता: सहयोग की दिशा में एक कदम
बातचीत के दौरान दोनों रक्षा मंत्रियों ने आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने की प्रतिबद्धता जताई। इसके अलावा, भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग को लेकर भी चर्चा हुई, जिसमें तकनीकी साझेदारी, सैन्य अभ्यास, और सप्लाई चेन इंटीग्रेशन जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल थे।
फरवरी में भी हुई थी बातचीत
यह इस वर्ष दोनों नेताओं के बीच दूसरी बातचीत थी। इससे पहले फरवरी में, राजनाथ सिंह ने हेगसेथ को अमेरिका के नए रक्षा मंत्री बनने पर बधाई दी थी। उस समय भी दोनों देशों ने 2035 तक द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने का संकल्प लिया था।
सामरिक साझेदारी की दिशा में अग्रसर भारत-अमेरिका संबंध
यह टेलीफोनिक बातचीत भारत और अमेरिका के बीच गहरे होते रणनीतिक रिश्तों को दर्शाती है। दोनों देशों का उद्देश्य है कि वे न केवल आतंकवाद से लड़ें, बल्कि वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक मजबूत करें।
निष्कर्ष:
राजनाथ सिंह और पीट हेगसेथ के बीच हुई बातचीत न सिर्फ एक प्रतिक्रिया थी, बल्कि यह भविष्य की रणनीतिक साझेदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत और अमेरिका की यह साझेदारी आने वाले वर्षों में क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए बेहद निर्णायक साबित हो सकती है।