वाराणसी: 'केसरिया भारत' के आयाम 'रानी दुर्गावती विचार परिषद' द्वारा मंगलवार को एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें वीरांगना रानी दुर्गावती के बलिदान को शौर्य दिवस के रूप में याद किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रानी दुर्गावती विचार परिषद के जिलाध्यक्ष सोनू गौड़ ने की।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता, धरोहर संरक्षण सेवा संगठन के प्रमुख संयोजक कृष्णानंद पांडेय ने महारानी दुर्गावती के बलिदान को रेखांकित करते हुए कहा, "व्यक्ति रहे न रहे, विचार सदियों तक जीवित रहते हैं। सनातन संस्कृति की रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए महारानी दुर्गावती ने अपने लहू का एक-एक कतरा राष्ट्र व संस्कृति को समर्पित कर दिया।"
उन्होंने ज़ोर दिया कि उनके समर्पण का विचार आज भी समाज में गूंज रहा है और यह समय है कि इस आवाज़ में अपनी आवाज़ मिलाकर उनके विचारों को मज़बूत किया जाए, क्योंकि रानी दुर्गावती के विचारों से ही राष्ट्र व धरोहर की रक्षा संभव है।
वक्ताओं में आकाश रघुवंशी ने सोलहवीं शताब्दी में मुगलों के आतंक और रानी दुर्गावती द्वारा उनकी दासता अस्वीकार कर युद्ध का रास्ता अपनाने पर प्रकाश डाला, जिसके परिणामस्वरूप मुगलों को पूरे गोंडवाना से भागना पड़ा। उन्होंने कहा कि रानी दुर्गावती का विचार हमें शस्त्र और शास्त्र दोनों में पारंगत होने की प्रेरणा देता है।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से चंद्रदेव पटेल, राकेश त्रिपाठी, राजेंद्र गौड़, अशोक पांडेय, विवेक चौहान, आशीष गौड़, राजेश गौड़, रमाकांत पांडेय, अजय सेठ, सुनील गौड़ सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आयोजन अवनीश गौड़ ने किया, जिसका कुशल संचालन गौरव मिश्र ने किया। संगोष्ठी का समापन सामूहिक श्री हनुमान चालीसा पाठ से हुआ।