UP: किसान कांग्रेस की मांग- बिजली, मत्स्य और कृषि मंत्री दें इस्तीफा, 11 साल से किसानों को नहीं मिल रहा 'कृषि का दर्जा' का लाभ

UP Kisan Congress ki mang: Bijli, Matsya aur Krishi Mantri den istifa. 11 saal se matasya palakon ko nahi mil raha 'krishi ka darja' ka labh, budget ki SIT janch ki bhi mang.

UP: किसान कांग्रेस की मांग- बिजली, मत्स्य और कृषि मंत्री दें इस्तीफा, 11 साल से किसानों को नहीं मिल रहा 'कृषि का दर्जा' का लाभ

वाराणसी: उत्तर प्रदेश में मत्स्य पालकों को 'कृषि का दर्जा' दिए जाने के 11 साल बाद भी अपेक्षित लाभ न मिलने पर उत्तर प्रदेश किसान कांग्रेस पूर्वी जोन के प्रदेश प्रवक्ता संजय चौबे ने बुधवार (19 जून 2025) को कचहरी स्थित शाही दरबार में पत्रकार वार्ता की। उन्होंने इस 'शर्मनाक' स्थिति के लिए बिजली मंत्री, कृषि मंत्री और मत्स्य मंत्री से तत्काल इस्तीफे की मांग की। चौबे ने 11 साल के बजट की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच कराने की भी मांग की।


क्या है पूरा मामला?

संजय चौबे ने बताया कि 19 जून 2025 को उन्होंने पत्रकार वार्ता में पत्रांक संख्या 1106/सत्रह-म /2014, 111-6/2008 का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि उस समय समाजवादी पार्टी की सरकार में प्रमुख सचिव, उत्तर प्रदेश शासन ने सरकार की मंशा को इस पत्रांक के माध्यम से बताया था कि उत्तर प्रदेश में मत्स्य पालकों को कृषि का दर्जा दिया गया है।

पत्र में स्पष्ट था कि मत्स्य पालकों को:

  • कृषि की दर पर पानी भराव के लिए बिजली सप्लाई की जाए।
  • अनुदानित दर पर लोन दिया जाए।
  • प्राकृतिक आपदा से बचने के लिए बीमा सुरक्षा मिले।
  • विपणन (मार्केटिंग) की सुविधा दी जाए।
  • अभिलेखों के पंजीयन में स्टाम्प शुल्क में छूट मिले।
  • इन सभी योजनाओं का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाए।

11 साल बाद भी नहीं मिला लाभ, अधिकारी अनजान

चौबे ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि 11 साल बीत जाने के बाद भी मत्स्य पालकों को ये सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। उन्होंने बताया कि दो साल पहले तक तो यदि कोई मत्स्य पालक पोखर खोदवाकर बिजली का कनेक्शन लेने जाता था, तो अधिकारी सीधे कॉमर्शियल रेट पर एस्टीमेट बना देते थे। आज की स्थिति यह है कि कई अधिशासी अभियंताओं ने बताया है कि मत्स्य को कृषि का दर्जा संबंधी कोई आदेश तो पारित हुआ है, लेकिन उनके पास उसकी कोई कॉपी नहीं है।

संजय चौबे ने इसे शर्मनाक बताते हुए कहा कि जब आदेश पारित हुए 11 साल हो गए, और बिजली विभाग के पास उसकी कॉपी नहीं है, तो आज तक मत्स्य पालकों का कितना शोषण हुआ होगा, यह जांच का विषय है।


बजट के दुरुपयोग और एसआईटी जांच की मांग

चौबे ने सवाल उठाया कि जब मत्स्य को कृषि का दर्जा दिया गया, तब से आज तक (यानी 11 साल तक) कृषि रेट पर बिजली, विपणन, बीमा आदि के लिए सरकारों द्वारा कुछ बजट भी दिया गया होगा, लेकिन वह बजट किसानों तक क्यों नहीं पहुंच रहा है? उन्होंने आशंका जताई कि इसमें व्यापक पैमाने पर घालमेल हुआ है और इसकी सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में एसआईटी (विशेष जांच दल) से जांच कराई जाए तो सच्चाई सामने आ सकती है

उन्होंने आरोप लगाया कि मत्स्य निदेशकों द्वारा शासनादेश का प्रचार-प्रसार नहीं किया गया, जिससे प्रत्येक मत्स्य पालकों को सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया। इसके लिए उन्होंने सीधे सत्तासीन सरकारों और वर्तमान सरकारों को दोषी ठहराया, जो अपने ही शासनादेश का पालन नहीं कर पा रही हैं।


किसान कांग्रेस की मुख्य माँगें और चेतावनी

संजय चौबे ने सरकार से मांग की है कि मत्स्य किसानों को:

  • फ्री में तार, खंभे, ट्रांसफार्मर, बिजली कनेक्शन के साथ कृषि दर पर बिजली मिले।
  • विपणन की सुविधा मिले।
  • किसान क्रेडिट कार्ड या आधार कार्ड पर अनुदानित लोन दिया जाए।
  • बैंकों के कर्मचारी किसानों के तालाब पर जाकर उनकी मछलियों के बायोमास का सस्ती दर पर बीमा करें, तभी मत्स्य को संपदा बनाकर किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है।

चौबे ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि जल्द ही मत्स्य पालकों को कृषि की सुविधाएं नहीं दी गईं, तो किसान कांग्रेस पूरे प्रदेश में जन आंदोलन चलाएगी।

पत्रकार वार्ता में संजय चौबे के अतिरिक्त किसान नेता वीरेंद्र यादव, प्रभात सिंह वर्मा, गौरव पाण्डेय और मत्स्य पालक कमलेश वर्मा सहित अन्य लोग उपस्थित थे।