सुप्रीम कोर्ट के नए दिशा-निर्देश: सीनियर एडवोकेट की नियुक्ति प्रक्रिया में होंगे ये बड़े बदलाव - Sampann Bharat News (कानून)

Meta Description: सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट की नियुक्ति प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मार्किंग सिस्टम खत्म, फुल कोर्ट का अंतिम फैसला और 10 साल का अनुभव बरकरार।

सुप्रीम कोर्ट के नए दिशा-निर्देश: सीनियर एडवोकेट की नियुक्ति प्रक्रिया में होंगे ये बड़े बदलाव - Sampann Bharat News (कानून)

सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को सीनियर एडवोकेट का प्रतिष्ठित पद प्रदान करने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन नए नियमों का मुख्य उद्देश्य नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने इस संबंध में महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने मार्किंग सिस्टम को समाप्त कर दिया है और अब सीनियर एडवोकेट के पद पर नियुक्ति का अंतिम निर्णय संबंधित हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट की फुल कोर्ट द्वारा लिया जाएगा। इसके साथ ही, सीनियर एडवोकेट बनने के लिए वकालत में 10 साल के अनुभव की अनिवार्य शर्त को बरकरार रखा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट को अगले चार महीनों के भीतर अपने नियमों में इन बदलावों को शामिल करने का निर्देश दिया है।

मार्किंग सिस्टम खत्म, फुल कोर्ट का होगा अंतिम फैसला:

सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट के पद के लिए पहले से चली आ रही मार्किंग प्रणाली को समाप्त कर दिया है। नई प्रक्रिया के तहत, योग्य पाए गए वकीलों के आवेदन और आवश्यक दस्तावेज फुल कोर्ट के समक्ष रखे जाएंगे। फुल कोर्ट ही इस पर विचार-विमर्श करेगी और नियुक्ति पर अंतिम निर्णय लेगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि निर्णय लेते समय सभी न्यायाधीशों की सहमति प्राथमिकता होनी चाहिए। हालांकि, यदि आम सहमति नहीं बन पाती है, तो वोटिंग के माध्यम से निर्णय लिया जाएगा।

वोटिंग का निर्णय हाई कोर्ट पर:

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि कुछ विशिष्ट मामलों में गुप्त मतदान (secret ballots) की आवश्यकता है या नहीं, इसका निर्णय संबंधित हाई कोर्ट अपने विवेकानुसार लेगा। यह निर्णय प्रत्येक मामले की विशेष परिस्थितियों का आकलन करने के बाद किया जाएगा।

10 साल का वकालत अनुभव अनिवार्य:

एक महत्वपूर्ण निर्णय में, सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट के पद के लिए वकालत में न्यूनतम 10 साल के अनुभव की शर्त को बरकरार रखा है। इसका अर्थ है कि सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित होने के लिए एक वकील को कम से कम एक दशक तक कानूनी पेशे में सक्रिय रहना होगा।

वकील कर सकेंगे आवेदन, जज नहीं करेंगे सिफारिश:

नए नियमों के अनुसार, अब वकील स्वयं सीनियर एडवोकेट के पद के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिसे उनकी इस पद के लिए सहमति मानी जाएगी। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि फुल कोर्ट किसी ऐसे वकील को भी सीनियर एडवोकेट के पद से सम्मानित कर सकती है, जिसने आवेदन नहीं किया है, यदि वह सभी आवश्यक योग्यता मानदंडों को पूरा करता है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट रूप से कहा है कि कोई भी जज व्यक्तिगत रूप से किसी वकील के नाम की सीनियर एडवोकेट के पद के लिए सिफारिश नहीं करेगा, ताकि नियुक्ति प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी बनी रहे।

झूठे हलफनामों पर चिंता के बाद लिया गया फैसला:

यह महत्वपूर्ण फैसला 20 मार्च को एक अपहरण के दोषी की सजा कम करने संबंधी एक मामले की सुनवाई के दौरान आया। सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने कुछ वकीलों द्वारा झूठे हलफनामे दाखिल करने और तथ्यों को छुपाने पर गहरी चिंता व्यक्त की थी। इस मामले में सीनियर एडवोकेट ऋषि मल्होत्रा के आचरण पर भी सवाल उठे थे, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट के पद की प्रक्रिया में सुधार करने का निर्णय लिया।

2017 का फैसला और आगे के सुधार:

सीनियर एडवोकेट के पद के लिए नियुक्ति प्रक्रिया 2017 में इंदिरा जयसिंह बनाम सुप्रीम कोर्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद शुरू हुई थी। यह फैसला सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह की याचिका पर आया था, जिसमें उन्होंने पद की प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता लाने की मांग की थी। तब से ही इस प्रक्रिया में और सुधारों की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। कम से कम चार हाई कोर्ट ने इस प्रक्रिया में बदलाव के लिए अपने सुझाव भी दिए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि सीनियर एडवोकेट के पद के लिए नियुक्ति प्रक्रिया हर साल आयोजित की जानी चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि जब तक हाई कोर्ट इन नए दिशानिर्देशों के अनुसार अपने नियमों में आवश्यक संशोधन नहीं कर लेते, तब तक कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी। इंदिरा जयसिंह मामले में पहले के फैसलों के आधार पर मौजूदा प्रक्रिया तब तक जारी रह सकती है जब तक नए नियम लागू नहीं हो जाते। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्वीकार किया कि उसे अपने स्वयं के नियमों और दिशानिर्देशों में भी बदलाव करने की आवश्यकता होगी ताकि पूरे सिस्टम में एकरूपता बनी रहे।

क्या होता है सीनियर एडवोकेट:

सीनियर एडवोकेट कानूनी पेशे में एक अत्यंत प्रतिष्ठित पद है, जो वकीलों को उनके कानूनी क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान और विशेषज्ञता के लिए प्रदान किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट के इन नए नियमों से इस पद की गरिमा और अधिक बढ़ेगी और यह सुनिश्चित होगा कि यह सम्मान केवल उन वकीलों को मिले जो वास्तव में इसके योग्य हैं। कोर्ट का मानना है कि इन सुधारों से न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा मिलेगा।