यूक्रेन युद्ध में रूस को North Korea से मिले 'म्यूजियम वाले हथियार', बढ़ाईं नई मुश्किलें
यूक्रेन युद्ध में North Korea Russia को 1980s ke dashak se pehle ke purane hathiyar bhej raha hai, jinhe sirf parades ya museums mein dekha jata tha. Ye hathiyar Russia ke liye logistic aur supply chain ki nayi samasyaein khadi kar rahe hain.

यूक्रेन युद्ध में रूस को मदद देने के लिए उत्तर कोरिया अब ऐसे हथियार भेज रहा है, जो न तो आधुनिक हैं और न ही तकनीकी रूप से उन्नत। हैरानी की बात यह है कि उत्तर कोरिया ने रूस को जो हथियार दिए हैं, वो 1980 के दशक से पहले बनाए गए और आमतौर पर सिर्फ परेड या म्यूजियम में दिखाई देते थे। इन पुराने हथियारों का युद्ध में इस्तेमाल दुनियाभर के विशेषज्ञों को चौंका रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर कोरिया ने रूस को 60 mm और 140 mm के तोपखाने (मोर्टार) दिए हैं। ये वही हथियार हैं जो आमतौर पर केवल DPRK की सैन्य परेड या संग्रहालयों में दिखते थे। अब ये हथियार रूस के सैनिकों के साथ यूक्रेन सीमा पर मौजूद कुर्स्क इलाके में देखे गए हैं।
किम के हथियार अब फ्रंटलाइन पर
रूसी मिलिट्री ब्लॉगर्स ने कुछ तस्वीरें शेयर की हैं, जिनमें रूसी पैराट्रूपर्स (76वीं एयर असॉल्ट डिवीजन) उत्तर कोरियाई हथियारों के साथ नजर आ रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि DPRK (उत्तर कोरिया) के सैनिक भी वहाँ रूसियों के साथ ऑपरेशन में शामिल हैं।
सैन्य विश्लेषक जॉस्ट ओलिएमान्स के अनुसार, यह पहली बार है जब इन हथियारों का इस्तेमाल युद्ध में होते देखा गया है। उन्होंने बताया कि 60 mm मोर्टार शायद नाटो हथियारों की नकल हैं, लेकिन इनकी प्रभावशीलता को लेकर अभी भी संदेह है। 140 mm मोर्टार को 1981 में विकसित किया गया था और पहली बार 1992 की सैन्य परेड में देखा गया था।
रूस की मुश्किलें बढ़ीं
इन हथियारों के इस्तेमाल से रूस को एक नई समस्या का सामना करना पड़ रहा है। उत्तर कोरियाई हथियार अलग कैलिबर (गोलियों के साइज) के हैं, जो रूसी हथियारों के सिस्टम से मेल नहीं खाते। इससे सप्लाई चेन और हथियारों की मरम्मत में दिक्कत आ सकती है।
हाल ही में खबर आई कि रूस ने अपनी एक नई आर्टिलरी ब्रिगेड को उत्तर कोरिया से मिले कोकसान (Koksan) नामक स्वचालित तोपों से लैस किया है। ये भी पुरानी तकनीक के हथियार हैं जो पहले सिर्फ उत्तर कोरिया के पास ही माने जाते थे।