UP News : स्टेशन अधीक्षक की 'स्लीपर' और 'AC' टिकटों की वायरल लिस्ट, धांधली के आरोप
उत्तर प्रदेश के अमेठी के गौरीगंज स्टेशन पर तैनात स्टेशन अधीक्षक प्रवीण सिंह की एक लिस्ट वायरल हो रही है, जिसमें 13 स्लीपर और 5 AC टिकट बुक करने के लिए नाम लिखे गए हैं। इस लिस्ट के सामने आने के बाद टिकट बुकिंग में धांधली और स्टेशन अधीक्षक की मनमानी के आरोप लग रहे हैं, जो कथित तौर पर 14 सालों से यहीं तैनात हैं।

उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के गौरीगंज रेलवे स्टेशन पर तैनात स्टेशन अधीक्षक प्रवीण सिंह एक विवादित लिस्ट के वायरल होने के बाद सवालों के घेरे में आ गए हैं। इस लिस्ट में स्टेशन अधीक्षक द्वारा हस्ताक्षरित और मुहरबंद एक कागज पर 13 लोगों के नाम स्लीपर क्लास और 5 लोगों के नाम एसी क्लास के ट्रेन टिकट बुक करने के लिए लिखे गए हैं। इस लिस्ट के सार्वजनिक होने के बाद स्टेशन पर टिकट बुकिंग में धांधली और स्टेशन अधीक्षक की मनमानी के गंभीर आरोप लग रहे हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि स्टेशन अधीक्षक प्रवीण सिंह, जो कथित तौर पर पिछले 14 सालों से गौरीगंज में ही तैनात हैं, अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर रहे हैं। उनका कहना है कि आम यात्रियों को जहां रात भर इंतजार के बाद भी तत्काल टिकट नहीं मिल पाता, वहीं स्टेशन अधीक्षक की इस वायरल लिस्ट से साफ जाहिर होता है कि टिकटों की बुकिंग में गड़बड़ी हो रही है। लोगों का मानना है कि अधीक्षक की यह लिस्ट पहले से ही तैयार रहती है, जिसके कारण जरूरतमंद यात्रियों को कन्फर्म टिकट नहीं मिल पाते हैं और उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है।
इस मामले में एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। बताया जा रहा है कि स्टेशन अधीक्षक प्रवीण सिंह का भाई एक साइबर कैफे चलाता है, जो कहीं का भी कन्फर्म टिकट दिलाने का दावा करता है और इसके एवज में मोटी रकम वसूलता है। आरोप है कि स्टेशन अधीक्षक भी अपने भाई की इस अवैध कमाई में मदद करते हैं, जिससे आम यात्रियों को टिकट मिलने में और भी मुश्किल होती है।
जब इस मामले पर रायबरेली स्टेशन के सीएणआई डीडी शुक्ला से फोन पर बात की गई, तो उन्होंने इसे पूरी तरह से गलत बताया। उन्होंने कहा कि इस मामले की गहन जांच की जाएगी और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
स्टेशन अधीक्षक द्वारा इस प्रकार नामों की सूची बनाकर टिकट बुक कराना रेलवे नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। यह घटना रेलवे विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और टिकट कालाबाजारी की ओर इशारा करती है। अब देखना यह है कि रेलवे प्रशासन इस वायरल लिस्ट और स्टेशन अधीक्षक पर लगे गंभीर आरोपों पर क्या कार्रवाई करता है, ताकि आम यात्रियों को टिकट बुकिंग में सुविधा मिल सके और धांधली पर लगाम लगाई जा सके।