ओडिशा पार्सल बम कांड: 7 साल बाद मिला इंसाफ, प्रोफेसर को आजीवन कारावास

ओडिशा के बोलांगिर में 2018 के पार्सल बम विस्फोट मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आरोपी प्रोफेसर पंजीलाल मेहर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस विस्फोट में सॉफ्टवेयर इंजीनियर और उनकी दादी की मौत हो गई थी।

ओडिशा पार्सल बम कांड: 7 साल बाद मिला इंसाफ, प्रोफेसर को आजीवन कारावास

ओडिशा के बोलांगिर जिले में फरवरी 2018 में हुए सनसनीखेज पार्सल बम विस्फोट मामले में आखिरकार सात साल बाद इंसाफ मिला है। इस दर्दनाक घटना में सॉफ्टवेयर इंजीनियर सौम्य शेखर साहू और उनकी 85 वर्षीय दादी जेनामणि साहू की मौत हो गई थी, जबकि उनकी पत्नी रीमा गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। बोलांगिर की एक अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए आरोपी प्रोफेसर पंजीलाल मेहर को दोषी करार दिया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने प्रोफेसर मेहर पर संगीन अपराध के लिए 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

घटना 25 फरवरी 2018 को हुई थी, जब शादी के महज पांच दिन बाद सौम्य शेखर साहू को एक पार्सल मिला था। शादी का तोहफा समझकर जैसे ही उन्होंने उसे खोला, उसमें जोरदार धमाका हो गया। इस विस्फोट ने सौम्य और उनकी दादी की जान ले ली, जबकि उनकी पत्नी बुरी तरह जख्मी हो गईं।

जांच में पता चला कि 23 फरवरी 2018 को सौम्य के घर यह जानलेवा पार्सल भेजने वाला कोई और नहीं, बल्कि स्थानीय कॉलेज में अंग्रेजी के व्याख्याता पंजीलाल मेहर थे। शुरुआत में स्थानीय पुलिस ने मामले की जांच की, लेकिन बाद में इसे ओडिशा क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया। क्राइम ब्रांच ने गहन जांच करते हुए 100 से अधिक संदिग्धों से पूछताछ की और आखिरकार पंजीलाल मेहर को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस के मुताबिक, प्रोफेसर मेहर ने यह जघन्य अपराध बदले की भावना से प्रेरित होकर किया था। पीड़ित सौम्य की मां संजुक्ता साहू, जो कॉलेज में मेहर की सहकर्मी थीं, को प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नत किया गया था, जिससे मेहर नाराज था। इसी खुन्नस में उसने दीवाली से पटाखे इकट्ठा करके और इंटरनेट से बम बनाने की तकनीक सीखकर इस साजिश को अंजाम दिया। उसने पहले परीक्षण विस्फोटक बनाए और फिर एक कार्डबोर्ड बॉक्स में बम रखकर उसे ‘गिफ्ट’ के तौर पर पैक किया। विस्फोट से कुछ दिन पहले, उसने एक कूरियर सेवा का इस्तेमाल करके पार्सल को पहले रायपुर भेजा, जहाँ से वह पतनगढ़ और फिर सौम्य के घर पहुँचा।

अपनी पहचान छुपाने के लिए, मेहर ने रायपुर में ऐसी कूरियर सेवाओं की तलाश की जो बेसमेंट में चलती थीं और जहाँ सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे थे। उसने कूरियर कर्मचारियों को बताया कि पार्सल में ‘गिफ्ट आइटम’ है और भेजने वाले के नाम के तौर पर ‘एसके शर्मा’ और एक गलत पता दर्ज कराया।

जांच के दौरान पुलिस ने आरोपी के मोबाइल फोन, लैपटॉप, पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क और रायपुर की कूरियर सेवा के सीसीटीवी फुटेज जब्त किए। पुलिस को एक अनाम पत्र भी मिला, जिसमें विस्फोट में तीन लोगों के शामिल होने का दावा किया गया था। यह पत्र खुद पंजीलाल मेहर ने पुलिस को गुमराह करने के लिए भेजा था, लेकिन अनजाने में इसने जांचकर्ताओं को कई महत्वपूर्ण सुराग भी दिए।

क्राइम ब्रांच के प्रमुख वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अरुण बोथरा ने बताया कि इस अनाम पत्र की भाषा, फॉन्ट साइज और शब्दों के बीच की दूरी से यह स्पष्ट हो गया कि इसे किसी ऐसे व्यक्ति ने लिखा है जिसकी अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ है। इसी आधार पर पुलिस ने अंग्रेजी के व्याख्याता पंजीलाल मेहर पर ध्यान केंद्रित किया। तलाशी के दौरान उसके घर से मिले महत्वपूर्ण सबूतों का वैज्ञानिक विश्लेषण किया गया, जो मामले का निर्णायक मोड़ साबित हुआ।

अरुण बोथरा ने इस मामले को चुनौतीपूर्ण बताते हुए कहा कि कोई प्रत्यक्ष गवाह या सबूत नहीं था और आरोपी ने पुलिस को गुमराह करने की हर संभव कोशिश की। हालांकि, अंततः वैज्ञानिक तरीकों से जुटाए गए सबूतों ने आरोपी को पकड़ने में सफलता दिलाई।

अदालत के फैसले पर संतोष व्यक्त करते हुए सौम्य की मां संजुक्ता साहू ने कहा कि उन्हें न्याय तो मिला है, लेकिन जो खोया है, वह वापस नहीं आ सकता। वहीं, पीड़ित के पिता रवींद्र साहू ने कहा कि वे मृत्युदंड की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन उम्रकैद की सजा पर भी न्यायपालिका के प्रति आभार व्यक्त किया।