वाराणसी: सिंचाई विभाग में पदों की कटौती पर भड़का आक्रोश, आंदोलन की चेतावनी
सिंचाई विभाग में उप राजस्व अधिकारी, जिलेदार, मुंशी के पदों की कटौती और अन्य पदों को मृत संवर्ग घोषित करने के आदेश पर वाराणसी के सिंचाई कर्मचारियों में भारी रोष। आंदोलन की चेतावनी।

वाराणसी, शुक्रवार, 16 मई 2025। उत्तर प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार द्वारा सिंचाई विभाग में पदों की कटौती और कुछ पदों को मृत संवर्ग घोषित किए जाने संबंधी आदेश के खिलाफ सिंचाई विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों में भारी नाराजगी है। 14 मई को जारी इस आदेश के विरोध में वाराणसी के वरुणापुरम सिंचाई कॉलोनी सिगरा स्थित संघ भवन पर सिंचाई राजस्व अधिकारी एवं कर्मचारियों ने एक आपात बैठक की।
बैठक की अध्यक्षता राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद वाराणसी के जिलाध्यक्ष शशिकांत श्रीवास्तव और संचालन सिंचाई संघ के अध्यक्ष सत्येंद्र रघुवंशी ने किया। बैठक को संबोधित करते हुए उपराजस्व अधिकारी शशिकांत श्रीवास्तव ने अपर मुख्य सचिव के आदेश को तर्कहीन और अन्यायपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग के राजस्व अधिकारी और कर्मचारी, जिनमें उप राजस्व अधिकारी, जिलेदार, सींचपाल और नलकूप चालक शामिल हैं, विभाग की रीढ़ की हड्डी हैं। ये कर्मचारी नहरों और नलकूपों के माध्यम से किसानों को अधिकतम सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराकर देश को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। उन्होंने कहा कि इन पदों को कम करने और मृत संवर्ग घोषित करने से विभाग समाप्ति की कगार पर पहुंच जाएगा, जिससे सरकार के साथ-साथ आम जनता और किसानों को भी नुकसान होगा।
बैठक में उपस्थित सभी राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों ने एक स्वर में 14 मई को जारी आदेश को वापस लेने की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि आदेश वापस नहीं लिया जाता है, तो पूरे प्रदेश में आंदोलन की घोषणा की जाएगी और सभी जनप्रतिनिधियों से उनके आवास पर मिलकर ज्ञापन के माध्यम से सरकार पर दबाव बनाया जाएगा।
बैठक को शशिकांत श्रीवास्तव, सत्येंद्र रघुवंशी, अवधेश पांडेय, सरताज अहमद, अंजनी सिंह, अविनाश मौर्य, संतोष कुमार, विनोद सोनकर, बिनोद तिवारी, प्रशांत सोनकर, शिव कुमार लाल श्रीवास्तव, सुनील कुमार, शहनवाज सिद्दीकी, संजय कुमार, महेंद्र कुमार, जमीला खां, अभिषेक सिंह, रवीश मौर्य, हरेंद्र यादव, मनोज कन्नौजिया आदि प्रमुख कर्मचारियों और अधिकारियों ने संबोधित किया और सरकार के इस फैसले का पुरजोर विरोध किया। कर्मचारियों ने एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए लड़ने का संकल्प लिया।