Bihar Politics : लालू-तेजस्वी की बढ़ी सियासी टेंशन, महागठबंधन को झटका देने के लिए ओवैसी तैयार

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ओवैसी की पार्टी AIMIM ने महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई है, लेकिन अपनी शर्तों के साथ। इससे लालू-तेजस्वी की टेंशन बढ़ गई है, क्योंकि ओवैसी मुस्लिम वोटों को साधने की कोशिश में हैं।

Bihar Politics : लालू-तेजस्वी की बढ़ी सियासी टेंशन, महागठबंधन को झटका देने के लिए ओवैसी तैयार

Bihar Assembly Elecation : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई है, लेकिन अपनी शर्तों के साथ। इससे लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव की सियासी टेंशन बढ़ गई है।

AIMIM के प्रवक्ता आदिल हसन ने मीडिया से कहा कि उनकी पार्टी महागठबंधन में शामिल होने को लेकर सकारात्मक है। उनका मुख्य उद्देश्य भारतीय जनता पार्टी (BJP) को हराना और बिहार को सशक्त बनाना है। उन्होंने याद दिलाया कि 2020 में भी AIMIM ने महागठबंधन का हिस्सा बनने का अनुरोध किया था।

AIMIM का दावा है कि बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार पूरी तरह विफल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सारा निवेश गुजरात में जा रहा है, जबकि बिहार के मजदूर काम के लिए वहां जा रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बिहार को 'बीमारू' राज्य के टैग से ऊपर उठाने के लिए कोई ठोस कदम न उठाने का आरोप लगाया।

AIMIM ने कभी भी मुख्यमंत्री पद का लक्ष्य नहीं रखा है। उनकी मांगें आर्थिक पैकेज और सीमांचल के लिए विशेष दर्जे तक सीमित हैं। उन्होंने कहा कि अगर RJD उनकी शर्तों पर सहमत होता है, तो वे हाथ मिलाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कांग्रेस और AIMIM के गठबंधन का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर कांग्रेस तेलंगाना में AIMIM को सम्मान दे सकती है, तो तेजस्वी यादव को भी बिहार में उदारता दिखानी चाहिए।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि RJD के लिए AIMIM की शर्तें मानना फिलहाल मुश्किल है। उधर, AIMIM बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी तैयारी कर रही है। पार्टी जमीनी स्तर पर मुस्लिम मतदाताओं को एकजुट करने का प्रयास कर रही है। बूथ स्तर पर योजनाएं बनाई जा रही हैं।

जानकारों का कहना है कि ओवैसी के सक्रिय होने से तेजस्वी यादव और लालू यादव दोनों तनाव में हैं। वे जानते हैं कि ओवैसी को साथ लिए बिना उनके पारंपरिक मुस्लिम वोट बैंक को साधना जरूरी है। वहीं, ओवैसी लालू यादव के कोर वोटरों को लुभाने में लगे हुए हैं। ऐसे में, आने वाले विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोट बैंक की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।