Bihar News : बिहार में भ्रष्टाचार पर 'जीरो टॉलरेंस': 150 दिनों में 34 भ्रष्ट लोकसेवक निगरानी ब्यूरो के शिकंजे में

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भ्रष्टाचार के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' नीति का सख्ती से पालन करते हुए निगरानी ब्यूरो ने इस वर्ष के शुरुआती 150 दिनों में 34 भ्रष्ट लोकसेवकों के खिलाफ कार्रवाई की है। इनमें घूस लेते रंगे हाथ पकड़े गए और पद का दुरुपयोग करने वाले अधिकारी व कर्मचारी शामिल हैं।

Bihar News : बिहार में भ्रष्टाचार पर 'जीरो टॉलरेंस': 150 दिनों में 34 भ्रष्ट लोकसेवक निगरानी ब्यूरो के शिकंजे में

बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार का रुख बेहद सख्त है। 'जीरो टॉलरेंस' की नीति को अक्षरशः लागू करते हुए राज्य का निगरानी ब्यूरो भ्रष्ट लोकसेवकों के खिलाफ लगातार व्यापक अभियान चला रहा है। इस वर्ष जनवरी से लेकर अब तक, यानी लगभग 150 दिनों की अवधि में, निगरानी ब्यूरो ने 34 भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि औसतन हर 4 से 5 दिनों में रिश्वत लेते हुए या अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कोई न कोई अधिकारी या कर्मचारी ब्यूरो के हत्थे चढ़ रहा है।

इन 34 मामलों में, 27 लोकसेवकों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ ('ट्रैप' मामलों में) पकड़ा गया है, और उनसे कुल 12 लाख 46 हजार रुपये की रिश्वत राशि बरामद की गई है। इसके अतिरिक्त, 4 लोकसेवकों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति (Disproportionate Assets - DA) के मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि 3 अधिकारियों पर अपने पद का दुरुपयोग करने के आरोप में कार्रवाई की गई है। रंगे हाथ घूस लेते पकड़े गए सभी 27 लोकसेवकों को निगरानी न्यायालय के समक्ष पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया है।

सरकार की 'जीरो टॉलरेंस' नीति का असर:

निगरानी ब्यूरो के महानिदेशक जितेंद्र सिंह गंगवार ने इस संबंध में कहा कि सरकार की 'जीरो टॉलरेंस' की नीति के तहत भ्रष्ट लोकसेवकों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया लगातार जारी रहेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि कहीं से भी किसी भी स्तर के अधिकारी या कर्मचारी के रिश्वत मांगने की शिकायत मिलने पर, ब्यूरो तुरंत उसका सत्यापन कराकर प्रभावी कार्रवाई करता है। इसके साथ ही, जिन लोकसेवकों ने भ्रष्टाचार के माध्यम से अकूत संपत्ति अर्जित कर ली है, उन पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है और उनकी गहन जांच के बाद डीए के मामले दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।

पिछले वर्षों से कहीं अधिक कार्रवाई:

निगरानी ब्यूरो द्वारा भ्रष्ट लोकसेवकों के खिलाफ की गई कार्रवाई का वर्तमान औसत पिछले 4-5 वर्षों की तुलना में काफी अधिक है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 में 15, 2023 में 36, 2022 में 72, 2021 में 58 और 2020 में 37 भ्रष्ट लोकसेवकों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। इस वर्ष के शुरुआती पांच महीनों में ही 34 अधिकारियों या कर्मचारियों पर कार्रवाई की जा चुकी है, जो पिछले वर्षों के पूरे साल के आंकड़ों के करीब है।

'ट्रैप' कार्रवाई में तेजी:

यदि केवल रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए ('ट्रैप') मामलों की बात करें, तो पिछले पांच वर्षों की तुलना में इस वर्ष इसकी गति काफी तेज है। वर्ष 2020 में पूरे वर्ष के दौरान ट्रैप के केवल 22 मामले दर्ज हुए थे, जबकि इस वर्ष जनवरी से मई तक ही 27 ट्रैप हो चुके हैं। यदि यही गति बनी रही, तो इस वर्ष के अंत तक ट्रैप के मामले पिछले वर्षों के मुकाबले दोगुने से भी अधिक हो सकते हैं। अब तक की गई ट्रैप की कार्रवाई में सबसे अधिक संख्या पुलिस विभाग के दारोगा समेत अन्य रैंक के अधिकारियों और राजस्व कर्मचारियों की है, जिन्हें रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया है। इसके अलावा, कार्यपालक अभियंता समेत कुछ अन्य उच्चाधिकारियों को भी ब्यूरो ने दबोचा है।

कार्रवाई की रफ्तार बढ़ने का कारण:

निगरानी ब्यूरो में अब सीधे शिकायत दर्ज कराने की व्यवस्था को सुगम बनाया गया है। इसके लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है, साथ ही ब्यूरो कार्यालय के मुख्य द्वार पर एक शिकायत पेटी भी स्थापित की गई है। कोई भी व्यक्ति किसी भी सरकारी अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायत इसमें डाल सकता है। इन शिकायतों की नियमित समीक्षा की जाती है और संबंधित शिकायतकर्ता को बुलाकर पूरे मामले की गहन जांच के बाद त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है। प्राप्त शिकायतों पर तेजी से कार्रवाई होने के कारण ही भ्रष्ट लोकसेवकों के खिलाफ कार्रवाई की रफ्तार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।