पर्दे की 'डॉन' से रीयल लाइफ की 'जासूस' तक: ग्लैमर, खतरा और देशभक्ति की कहानी
पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में पकड़ी गई ज्योति मल्होत्रा बॉलीवुड की महिला जासूस किरदारों की याद दिलाती है। पर्दे पर दीपिका, करीना, कैटरीना से लेकर पुरानी अभिनेत्रियों ने भी ऐसे किरदार निभाए हैं।

अमिताभ बच्चन और जीनत अमान की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'डॉन' का वह आइकॉनिक दृश्य आज भी सिनेप्रेमियों के दिलों में बसा है, जब हेलन अपने मादक नृत्य और 'ये मेरा दिल प्यार का दीवाना...' गाने से डॉन को लुभाने की कोशिश करती है। पर्दे पर हेलन भले ही एक गैंगस्टर की अंडरकवर एजेंट थी, लेकिन सत्तर और अस्सी के दशक में बिंदू और अरुणा ईरानी जैसी अभिनेत्रियों ने भी कई बार खलनायिकाओं के रूप में पर्दे पर शातिर जासूसों की भूमिकाएं निभाईं। इन फिल्मी किरदारों ने यह बखूबी दर्शाया कि एक महिला जासूस किन खूबियों से लैस हो सकती है - आकर्षण, चतुराई और खतरे से खेलने का जज्बा।
अब बात करते हैं रीयल लाइफ की। इन दिनों ज्योति मल्होत्रा सुर्खियों में है, जिस पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के गंभीर आरोप लगे हैं। उसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की अंडरकवर एजेंट बताया जा रहा है। एक यूट्यूबर के तौर पर ज्योति ने पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पर्यटन स्थलों के वीडियो बनाए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पूछताछ में उसने दानिश और अली हसन से संपर्क की बात कबूल भी कर ली है, और उसकी संदिग्ध गतिविधियों की गहन जांच जारी है।
पर्दे पर ज्योति जैसी जिंदगियां:
हमारी हिंदी फिल्मों ने कई बार ज्योति मल्होत्रा जैसी महिलाओं की जिंदगी को पर्दे पर जीवंत किया है। चाहे वह युवती खुद जासूस बनती है या उसे जासूस बनाया जाता है, वह अपने मिशन को किस तरह अंजाम देती है, प्रलोभनों का सामना करती है या किसी गुप्त उद्देश्य के लिए काम करती है - ऐसे अनेक जटिल किरदार हमने पर्दे पर देखे हैं। 'पठान' में रुबीना बनी दीपिका पादुकोण, 'एजेंट विनोद' में आईएसआई एजेंट इरम परवीन के रूप में करीना कपूर या 'एक था टाइगर' में पाकिस्तानी जासूस जोया के किरदार में कैटरीना कैफ - ये सभी अभिनेत्रियां अपनी भूमिकाओं में बिंदास, साहसी, पराक्रमी और खूबसूरत नजर आईं, जिन्होंने महिला जासूसों की जिंदगी की झलकियां दिखाईं।
'एक था टाइगर' में कैटरीना कैफ एक ऐसी पाकिस्तानी जासूस है जिसे भारतीय रॉ एजेंट सलमान खान से प्यार हो जाता है। 'एजेंट विनोद' में करीना कपूर भी आईएसआई की एजेंट हैं, जिसमें सैफ अली खान भी मुख्य भूमिका में थे। ये सभी महिला जासूस अपनी खूबसूरती के साथ-साथ अपनी बहादुरी और जांबाजी से भी दर्शकों को प्रभावित करती हैं।
'नाम शबाना' और 'राज़ी' के अहम किरदार:
तापसी पन्नू ने भी 'बेबी' और 'नाम शबाना' जैसी फिल्मों में एक दमदार एजेंट की भूमिका निभाई है। दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही फिल्मों में उनके किरदार का नाम शबाना खान है। तापसी ने इन दोनों फिल्मों के किरदारों को अपने करियर के सबसे महत्वपूर्ण रोल्स में से एक माना है। वहीं, 1971 के भारत-पाक युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी मेघना गुलजार की फिल्म 'राज़ी' में आलिया भट्ट ने देश सेवा की भावना से प्रेरित होकर एक जासूस की भूमिका निभाई और अपनी जान जोखिम में डालकर बहादुरी का परिचय दिया। इस फिल्म में विक्की कौशल भी मुख्य अभिनेता थे, और आलिया के उत्कृष्ट अभिनय ने एक देशभक्त कश्मीरी परिवार की दिलेरी और बलिदान की कहानी को जीवंत कर दिया।
'राज़ी' की तरह ही 'द हीरो: लव स्टोरी ऑफ ए स्पाई' में प्रीति जिंटा ने भी एक कश्मीरी युवती का किरदार निभाया है, जिसे रॉ एजेंट बने सनी देओल से प्यार होता है और उसे पाकिस्तान में जासूसी करने का मिशन दिया जाता है। इसके अलावा, राधिका आप्टे की फिल्म 'मिसेज अंडरकवर' भी एक दिलचस्प उदाहरण है, जिसमें वह एक साधारण हाउसवाइफ के रूप में दिखती हैं, लेकिन वास्तव में एक अंडरकवर एजेंट हैं। यह फिल्म विद्या बालन की थ्रिलर 'कहानी' की याद दिलाती है, जिसमें विद्या बागची अपने पति को खोजने के मिशन पर निकलती हैं।
जब रॉ के मिशन में जुटीं हुमा कुरैशी और सोनाक्षी सिन्हा:
इन फिल्मों के अलावा, 'डी-डे' में रॉ के मिशन में जुटी हुमा कुरैशी, 'फोर्स 2' में इंडियन इंटेलिजेंस एजेंट के रोल में सोनाक्षी सिन्हा या अमेजन प्राइम पर रिलीज हुई 'यशोदा' में अंडरकवर पुलिस बनी साउथ की हीरोइन सामंथा - इन सभी अभिनेत्रियों ने पर्दे पर महिला जासूसों के साहस और पराक्रम को बखूबी जिया है। महिलाओं का जासूस बनना आसान नहीं है, और जासूसी के पेशे में पारंपरिक रूप से पुरुषों का वर्चस्व रहा है, लेकिन मौजूदा और गुजरे जमाने की फिल्मों में कई अभिनेत्रियों ने इन चुनौतीपूर्ण किरदारों को शानदार ढंग से निभाया है।
पचास और साठ के दशक की नींव:
हिंदी फिल्मों में महिला जासूस किरदारों की एक लंबी और समृद्ध परंपरा रही है। ऐसे दिलचस्प किरदार पचास और साठ के दशक की फिल्मों में भी खूब देखने को मिले थे। आर-पार फिल्म के गाने 'बाबू जी धीरे चलना प्यार में जरा संभलना...' या बाजी के 'तकदीर से बिगड़ी हुई तदबीर बना ले...' जैसे गानों में महिला जासूसों के किरदारों की नींव तैयार हो रही थी। इन किरदारों की सफलता का प्रभाव आगे की फिल्मों की कहानियों पर स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। 1968 में दो महत्वपूर्ण फिल्में आईं - 'खिलाड़ी', जिसमें अपने समय की सबसे ग्लैमरस और 'हंटरवाली' के नाम से मशहूर फीयरलेस नाडिया ने एक जासूस का किरदार निभाया था, जो आज भी कई फिल्म प्रेमियों को याद है। नाडिया अपनी हर भूमिका को पर्दे पर एक अलग ही अंदाज में पेश करने के लिए जानी जाती थीं।
इसी साल आई धर्मेंद्र की लोकप्रिय फिल्म 'आंखें' में माला सिन्हा का किरदार एक स्पेशल प्रोजेक्ट पर केंद्रित था। रामानंद सागर की उस फिल्म में उन्होंने धर्मेंद्र के साथ मिलकर चीन के खिलाफ जंग लड़ी थी। तब माला सिन्हा फिल्म इंडस्ट्री की एक मशहूर और ग्लैमरस अभिनेत्री थीं, जिनकी कई फिल्में सुपरहिट हो चुकी थीं। 'आंखें' अपने समय की ब्लॉकबस्टर फिल्म थी। इसी कड़ी में 1971 के युद्ध पर बनी चेतन आनंद की फिल्म 'हिंदुस्तान की कसम' में प्रिया राजवंश का किरदार भी कभी नहीं भुलाया जा सकता। प्रिया राजवंश ने फिल्म में मोहिनी नाम की एक ऐसी महिला का किरदार निभाया था जो पाकिस्तान में भारतीय सेना के लिए गुप्त रूप से काम करती है।
पर्दे पर इन जांबाज महिलाओं की कहानियों ने हमेशा दर्शकों को रोमांचित किया है। अब रीयल लाइफ में ज्योति मल्होत्रा जैसी महिलाओं की संदिग्ध गतिविधियां सामने आने से, पर्दे और हकीकत के बीच की धुंधली रेखा और गहरी होती नजर आती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस वास्तविक जीवन की कहानी का अंत क्या होता है और यह भविष्य में बॉलीवुड की महिला जासूस किरदारों को किस तरह से प्रभावित करती है।