कौन बनेगा सीबीआई का नया बॉस? जानें कैसे होती है देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी के निदेशक की नियुक्ति
"कौन बनेगा CBI का नया चीफ? जानें कैसे होती है देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी के निदेशक की नियुक्ति, पीएम मोदी, राहुल गांधी और CJI की बैठक में नहीं बनी सहमति।"

देश की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित जांच एजेंसी, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के नए निदेशक की नियुक्ति को लेकर इन दिनों सरगर्मियां तेज हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और देश के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, लेकिन इस बैठक में किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पाई। अब हर किसी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आखिर सीबीआई का अगला मुखिया कौन होगा और इस पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया क्या है?
आइए, आज हम आपको बताते हैं कि देश की इस सबसे बड़ी जांच एजेंसी के निदेशक की नियुक्ति कैसे होती है:
कैसे होता है CBI डायरेक्टर का चुनाव?
सीबीआई निदेशक का चुनाव केंद्र सरकार द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय नियुक्ति समिति की सिफारिश पर किया जाता है। इस महत्वपूर्ण समिति में तीन प्रमुख सदस्य शामिल होते हैं:
- प्रधानमंत्री: जो इस समिति के अध्यक्ष होते हैं।
- लोकसभा में विपक्ष के नेता: जो सरकार के दृष्टिकोण के साथ एक अलग राय भी रखते हैं।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI): जो न्यायपालिका का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इन तीनों सदस्यों की सहमति के बाद ही नए निदेशक के नाम की घोषणा की जाती है। इस प्रक्रिया में, देश के सबसे वरिष्ठ भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारियों के नामों का एक पैनल चयन समिति को सौंपा जाता है। इस पैनल में संभावित अधिकारियों का पिछला प्रदर्शन रिकॉर्ड भी शामिल होता है, जिससे समिति को सही निर्णय लेने में मदद मिलती है।
इस बार कौन है CBI डायरेक्टर की रेस में?
इस बार सीबीआई निदेशक के पद के लिए कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम चर्चा में हैं। वरिष्ठता के आधार पर देखें तो 1988 बैच के तीन प्रमुख आईपीएस अधिकारी इस दौड़ में शामिल बताए जा रहे हैं:
- संजय अरोड़ा: जो वर्तमान में दिल्ली पुलिस के कमिश्नर हैं।
- मनोज यादव: जो रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के महानिदेशक हैं।
- कैलाश मकवाना: जो मध्य प्रदेश पुलिस के प्रमुख के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो सोमवार को समिति को सौंपी गई नामों की सूची में कुछ और वरिष्ठ अधिकारियों के नाम भी शामिल थे, जैसे डीजी एसएसबी अमृत मोहन प्रसाद, डीजी बीएसएफ दलजीत चौधरी, डीजी सीआईएसएफ आरएस भट्टी और डीजी सीआरपीएफ जीपी सिंह।
कितना होता है CBI डायरेक्टर का कार्यकाल?
सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के प्रमुखों का कार्यकाल अब अधिकतम पांच साल तक हो सकता है। पहले, सुप्रीम कोर्ट ने शुरुआती नियुक्ति के लिए दो साल की निश्चित अवधि तय की थी, जिसे बाद में नियुक्ति समिति की सिफारिश पर एक-एक साल करके बढ़ाया जा सकता था।
एक महत्वपूर्ण नियम यह भी है कि सुप्रीम कोर्ट के 2019 के निर्देशों के अनुसार, जिस अधिकारी के पास छह महीने से कम का कार्यकाल बचा हो, उसे सीबीआई निदेशक के पद के लिए विचार नहीं किया जा सकता है।
अगर सहमति न बने तो क्या होगा?
अगर नियुक्ति समिति नए निदेशक के नाम पर किसी आम सहमति पर नहीं पहुंच पाती है, तो ऐसी स्थिति में मौजूदा निदेशक को ही सेवा विस्तार दिया जा सकता है। ताजा खबरों के अनुसार, वर्तमान सीबीआई निदेशक प्रवीण सूद को एक साल का सेवा विस्तार मिल सकता है, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी, चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बीच नए प्रमुख के नाम पर सहमति नहीं बन पाई है।
माना जा रहा है कि कार्यकाल विस्तार से संबंधित अधिसूचना जल्द ही जारी की जा सकती है। प्रवीण सूद का दो साल का कार्यकाल 25 मई, 2025 को समाप्त हो रहा है। कर्नाटक कैडर के 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी सूद ने 25 मई, 2023 को इस प्रतिष्ठित जांच एजेंसी के निदेशक का पदभार संभाला था। इससे पहले वे कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) थे।
यह देखना दिलचस्प होगा कि देश की इस शीर्ष जांच एजेंसी का अगला मुखिया कौन बनता है और नियुक्ति प्रक्रिया किस दिशा में आगे बढ़ती है। फिलहाल, सबकी निगाहें नियुक्ति समिति के अगले फैसले पर टिकी हुई हैं।