दिल्ली में दिनदहाड़े हमला: दोस्ती बनी जानलेवा, बहन के प्रेमी पर किया गया चाकू से जानलेवा वार

दिल्ली के समयपुर बादली में नाबालिगों ने बहन से दोस्ती करने पर एक युवक पर दिनदहाड़े 14 बार चाकू से हमला किया। लविश की हालत नाजुक बनी हुई है। घटना सीसीटीवी में कैद, पुलिस ने हत्या के प्रयास का केस दर्ज कर जांच शुरू की।

दिल्ली में दिनदहाड़े हमला: दोस्ती बनी जानलेवा, बहन के प्रेमी पर किया गया चाकू से जानलेवा वार

दिल्ली के समयपुर बादली इलाके में मंगलवार को दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जिसने न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि समाज में पनप रही असहिष्णुता की भी एक झलक दिखाई। एक युवक को इसलिए मौत के घाट उतारने की कोशिश की गई क्योंकि वह एक लड़की से दोस्ती करता था—जो हमलावरों की बहन थी। हमले की यह वारदात इतनी क्रूर थी कि पीड़ित को एक-दो नहीं, बल्कि पूरे 14 बार चाकू मारा गया

दिनदहाड़े खुलेआम हमला

घटना मंगलवार दोपहर की है, जब 24 वर्षीय लविश अपनी दुकान पर मौजूद था। इसी दौरान तीन नाबालिग लड़के, जिनमें एक लड़की का भाई भी शामिल था, दुकान में घुसे और लविश पर चाकुओं से ताबड़तोड़ हमला कर दिया। आरोपी हमला करते हुए दुकान से बाहर सड़क पर भी निकल आए और वहीं पर कई वार किए। लविश को गंभीर अवस्था में बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत अब भी नाजुक बनी हुई है।

पुरानी रंजिश और पहले से मिली थी धमकी

पुलिस जांच में सामने आया है कि लविश की दोस्ती इलाके की एक युवती से थी, जो शालीमार बाग स्थित एक ब्लड सेंटर में काम करती है। युवती के भाइयों को यह दोस्ती रास नहीं आई। उन्होंने पहले भी लविश को बहन से दूर रहने की धमकी दी थी। लेकिन जब लविश ने उनके दबाव को नजरअंदाज कर संबंध बनाए रखे, तो बात हिंसा तक पहुंच गई।

सीसीटीवी बना अहम सुराग

हमले की पूरी वारदात एक सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई है, जिसमें तीनों आरोपी लविश पर हमला करते और बाद में भागते नजर आ रहे हैं। यही फुटेज अब पुलिस के लिए मुख्य सुराग बन गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और कई टीमों का गठन कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है।

समाज के लिए चेतावनी

यह घटना महज एक आपराधिक मामला नहीं है, बल्कि समाज के उस असहिष्णु चेहरे को भी सामने लाती है, जहां भाई अपनी बहन की पसंद को स्वीकार नहीं कर पाते और नाबालिग उम्र में ही हत्या जैसे गंभीर अपराध करने को तैयार हो जाते हैं। यह सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर बच्चों के भीतर इतनी नफरत और हिंसा की भावना कहां से आ रही है?

कानून की सख्ती और समाज की जिम्मेदारी

इस केस ने एक बार फिर यह साबित किया है कि किशोर न्याय अधिनियम के तहत नाबालिगों के प्रति उदार रवैया कई बार अपराध को बढ़ावा देता है। ऐसे गंभीर मामलों में आवश्यक है कि आरोपियों को उनकी उम्र नहीं, बल्कि अपराध की गंभीरता के आधार पर सजा दी जाए।

समाज को भी introspection करने की जरूरत है—कहीं हमारी परवरिश, हमारी सोच और हमारे नैतिक मूल्य युवाओं को गलत रास्ते पर तो नहीं ले जा रहे?