Chandauli : चंदौली पुलिस का बड़ा कदम! घटनास्थल के चिन्हीकरण के लिए पुलिसकर्मियों को मिला विशेष प्रशिक्षण

चंदौली पुलिस अधीक्षक आदित्य लांग्हे ने गंभीर घटनाओं के बाद घटनास्थल के निरीक्षण और साक्ष्य संकलन को बेहतर बनाने के लिए सभी थानों पर पुलिसकर्मियों के लिए कार्यशाला आयोजित की।

Chandauli : चंदौली पुलिस का बड़ा कदम! घटनास्थल के चिन्हीकरण के लिए पुलिसकर्मियों को मिला विशेष प्रशिक्षण

चन्दौली, शुक्रवार, 16 मई 2025। चन्दौली के पुलिस अधीक्षक श्री आदित्य लांग्हे ने आज एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए जनपद के सभी थानों पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य गंभीर अपराधों के घटित होने के बाद घटनास्थल को सही ढंग से चिन्हित करने और महत्वपूर्ण साक्ष्यों को सुरक्षित रूप से एकत्र करने के लिए पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान करना था।

पुलिस अधीक्षक आदित्य लांग्हे ने बताया कि घटनास्थल का चिन्हीकरण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसका अर्थ है उस विशिष्ट स्थान की पहचान करना जहां कोई अपराध या घटना हुई हो। इसे घटनास्थल का अवलोकन या मूल्यांकन भी कहा जाता है। यह किसी भी जांच का पहला और सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है, जिसमें सुरक्षा और प्राथमिक सहायता के बाद घटनास्थल की सही पहचान सुनिश्चित की जाती है।

प्रशिक्षण के दौरान पुलिसकर्मियों को निम्नलिखित महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी गई:

  • घटनास्थल का अवलोकन: पुलिसकर्मियों को सिखाया गया कि घटनास्थल का सावधानीपूर्वक निरीक्षण कैसे करें, ताकि घटना की प्रकृति और संभावित कारणों का पता लगाया जा सके।
  • साक्ष्य का संकलन: घटनास्थल पर मौजूद हर प्रकार के साक्ष्य, चाहे वह भौतिक हो या परिस्थितिजन्य, को सही तरीके से एकत्र करने और सुरक्षित रखने के महत्व पर जोर दिया गया। इसका उद्देश्य जांच में मदद मिल सके।
  • सुरक्षा: घटनास्थल पर सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के तरीकों पर प्रशिक्षण दिया गया, ताकि किसी भी व्यक्ति को कोई नुकसान न पहुंचे और साक्ष्यों से छेड़छाड़ न हो सके।
  • सहायता: घटना से प्रभावित व्यक्तियों, जैसे पीड़ित या गवाह, को आवश्यक सहायता (चिकित्सा या कानूनी) प्रदान करने के महत्व को समझाया गया।
  • घटना की सूचना: घटना की सूचना तत्काल पुलिस नियंत्रण कक्ष और अन्य संबंधित अधिकारियों को देने की प्रक्रिया को दोहराया गया।

घटनास्थल के चिन्हीकरण के विभिन्न तरीकों पर भी प्रशिक्षण दिया गया, जिनमें शामिल हैं:

  • भौतिक साक्ष्य: घटनास्थल पर मौजूद उंगलियों के निशान, खून के धब्बे, बाल, फाइबर और अन्य भौतिक वस्तुओं को वैज्ञानिक तरीके से एकत्र करने और संरक्षित करने की तकनीकें सिखाई गईं।
  • प्रत्यक्षदर्शियों के बयान: घटनास्थल पर मौजूद चश्मदीदों के बयानों को ध्यान से सुनने, रिकॉर्ड करने और उनका विश्लेषण करने के महत्व पर प्रकाश डाला गया।
  • फॉरेंसिक जाँच: घटनास्थल की वैज्ञानिक और तकनीकी तरीकों से जांच करने की आवश्यकता और प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी दी गई, ताकि घटना से संबंधित अधिक से अधिक तथ्य सामने आ सकें।
  • सीसीटीवी फुटेज: यदि घटनास्थल पर सीसीटीवी कैमरे लगे हों, तो उनकी फुटेज को सुरक्षित रखने और उसका विश्लेषण करने के तरीकों पर प्रशिक्षण दिया गया।

पुलिस अधीक्षक आदित्य लांग्हे ने उम्मीद जताई कि इस प्रशिक्षण से जनपद के पुलिसकर्मियों को गंभीर अपराधों की जांच में घटनास्थल का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने और महत्वपूर्ण साक्ष्यों को एकत्र करने में अधिक सहूलियत मिलेगी, जिससे अपराधियों को पकड़ने और पीड़ितों को न्याय दिलाने में मदद मिलेगी।