ISRO PSLV-C61 मिशन क्यों हुआ फेल? राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कितना था अहम?
ISRO ka PSLV-C61 mission 18 May ko fail ho gaya, jismein ek nigrani upgrah target orbit mein nahi pahunch saka. Teesri stage mein pressure drop wajah thi. Yeh mission national security ke liye bahut important tha. (ISRO's PSLV-C61 mission failed on May 18th, in which a surveillance satellite could not reach its target orbit. Pressure drop in the third stage was the reason. This mission was very important for national security.)

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को 18 मई की सुबह उस समय बड़ा झटका लगा, जब उसका भरोसेमंद प्रक्षेपण यान पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) का मिशन C61 विफल हो गया। यह मिशन एक महत्वपूर्ण निगरानी उपग्रह को उसकी लक्षित कक्षा में स्थापित करने में असफल रहा। इसरो के 101वें मिशन और पिछले 32 वर्षों में PSLV से जुड़ी यह केवल तीसरी विफलता थी, जिसने अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़े लोगों को निराश किया। शुरुआती जांच में तीसरे चरण के चैंबर प्रेशर में गिरावट को इस विफलता का मुख्य कारण माना जा रहा है, जिसके चलते उपग्रह अपनी निर्धारित कक्षा तक नहीं पहुंच सका।
सबसे पहले जानते हैं क्या था PSLV C-61 मिशन?
ISRO का PSLV-C61 मिशन एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (Earth Observation Satellite - EOS-09) को सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा (Sun-Synchronous Polar Orbit - SSO) में स्थापित करना था। इस प्रकार की कक्षा का उपयोग आमतौर पर अवलोकन और टोही मिशनों के लिए किया जाता है। EOS-09, जिसे RISAT-1B के नाम से भी जाना जाता है, उन्नत सी-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (Advanced C-Band Synthetic Aperture Radar) से लैस था।
EOS-09 को लॉन्च करने का उद्देश्य क्या था?
EOS-09 का मुख्य उद्देश्य सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) के माध्यम से हर मौसम में पृथ्वी का अवलोकन करना था। इस उपग्रह से कृषि, वन, मिट्टी की नमी और आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए निरंतर रिमोट सेंसिंग डेटा प्राप्त करना था। इसके अतिरिक्त, इसका लक्ष्य रिमोट सेंसिंग डेटा की आवृत्ति और विश्वसनीयता में वृद्धि करना भी था।
किस तकनीकी गड़बड़ी से मिशन फेल हो गया?
मिशन के पहले और दूसरे चरण ने सामान्य रूप से प्रदर्शन किया था। हालांकि, तीसरे चरण में पहुंचने के बाद चैंबर प्रेशर में अचानक गिरावट देखी गई। इसी तकनीकी खराबी के कारण PSLV-C61 उपग्रह को उसकी निर्धारित कक्षा में पहुंचाने में विफल रहा। अब इस विफलता के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए एक गहन जांच की जाएगी। संभावित कारणों में ईंधन के जलने की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले खराब आंतरिक इन्सुलेशन या फिर कोई दोषपूर्ण नोजल शामिल हो सकते हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से कितना महत्वपूर्ण था यह मिशन?
PSLV-C61 मिशन राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण था। इसका उद्देश्य देश भर में तात्कालिक समय पर होने वाली घटनाओं की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना था। इस प्रकार की त्वरित और सटीक जानकारी सीमा सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और अन्य सुरक्षा संबंधी चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसरो के अनुसार, 1696.24 किलोग्राम वजनी पृथ्वी अवलोकन उपग्रह-09 वर्ष 2022 में प्रक्षेपित EOS-04 के समान क्षमताओं वाला था। EOS-09 की मिशन अवधि 5 वर्ष निर्धारित की गई थी।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि उपग्रह को उसकी प्रभावी मिशन अवधि के बाद कक्षा से बाहर निकालने के लिए पर्याप्त मात्रा में ईंधन भी आरक्षित किया गया था। योजना यह थी कि इसे दो वर्षों के भीतर कक्षा में नीचे लाया जाएगा, जिससे अंतरिक्ष में मलबा (space debris) जमा होने से बचाया जा सके और एक सुरक्षित मिशन सुनिश्चित किया जा सके।
इसरो प्रमुख ने क्या कहा?
मिशन की विफलता पर प्रतिक्रिया देते हुए इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने कहा, "आज हमने PSLV-C61 के प्रक्षेपण का प्रयास किया। इसमें 4 चरण होते हैं। पहले 2 चरणों में अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन रहा। तीसरे चरण के दौरान हमने अवलोकन देखा... मिशन पूरा नहीं हो सका। हम संपूर्ण प्रदर्शन का अध्ययन कर रहे हैं, हम जल्द से जल्द वापस आएंगे।"
फेल्योर एनालिसिस कमेटी बनेगी: इसरो
मिशन की विफलता के तुरंत बाद इसरो ने घोषणा की है कि एक फेल्योर एनालिसिस कमेटी (Failure Analysis Committee - FAC) का गठन किया जाएगा। यह कमेटी उड़ान के दौरान प्राप्त सभी जानकारियों और आंकड़ों की गहन जांच करेगी। इस विस्तृत विश्लेषण के बाद ही असफलता के वास्तविक कारणों का पता चल पाएगा और भविष्य में इस प्रकार की त्रुटियों से बचने के लिए आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाए जा सकेंगे।
PSLV भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहा है और इसकी विफलता निश्चित रूप से एक झटका है। हालांकि, इसरो के पास पिछली विफलताओं से सीखने और भविष्य के मिशनों को सफल बनाने का एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड है। फेल्योर एनालिसिस कमेटी की रिपोर्ट महत्वपूर्ण होगी, जिससे न केवल इस विशेष विफलता के कारण पता चलेंगे, बल्कि भविष्य के प्रक्षेपणों की विश्वसनीयता और सफलता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सुधार भी किए जा सकेंगे। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इस प्रकार के पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों की महत्ता को देखते हुए, इसरो जल्द ही इस चुनौती से पार पाकर अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम की गति को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध होगा।