पाकिस्तान के लिए 'काल' प्रीडेटर ड्रोन... 5000 आतंकी ढेर, F-16 भी हुए बेदम, अब IAF की बेजोड़ ताकत!

भारत-पाकिस्तान के बीच ड्रोन युद्ध शुरू! भारत के प्रीडेटर ड्रोन पाकिस्तान के लिए 'काल', 5000 आतंकी मारे, F-16 भी हुए बेदम। जानें IAF की नई ताकत।

पाकिस्तान के लिए 'काल' प्रीडेटर ड्रोन... 5000 आतंकी ढेर, F-16 भी हुए बेदम, अब IAF की बेजोड़ ताकत!

नई दिल्ली: पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले के बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है, जिससे पूरे पाकिस्तान में दहशत का माहौल है। इस बीच, खबर है कि भारत और पाकिस्तान के बीच एक अघोषित 'ड्रोन युद्ध' छिड़ गया है। सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने वाली पाकिस्तानी मिसाइलों को भारत के अचूक S-400 डिफेंस सिस्टम ने हवा में ही ढेर कर दिया है। वहीं, पाकिस्तान पर जवाबी हमलों में भारत के मिलिट्री ड्रोन एक निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं, जिससे इस लड़ाई में भारत को स्पष्ट बढ़त मिलती दिख रही है। आइए जानते हैं इस 'ड्रोन युद्ध' की पूरी कहानी।

ड्रोन के मुकाबले में भारत पाकिस्तान से कहीं आगे:

विशेषज्ञों की मानें तो अगले दो से चार सालों में भारत के पास लगभग 5,000 सैन्य ड्रोन होंगे, जबकि पाकिस्तान के पास भारत की तुलना में काफी कम ड्रोन हैं, जिनकी संख्या 10 से 11 अलग-अलग डिजाइनों तक ही सीमित है। वर्तमान में, भारतीय सेना के पास लगभग 50 MALE (मीडियम-एल्टीट्यूड, लॉन्ग-एंड्योरेंस) ड्रोन मौजूद हैं, जिनका इस्तेमाल निगरानी और दुश्मन के ठिकानों की पहचान के लिए किया जाता है। इनमें इजरायल के हेरॉन मार्क-I, मार्क-II और सर्चर-II जैसे उन्नत ड्रोन शामिल हैं।

और अब, भारत को जल्द ही अमेरिका से 31 অত্যাধুনিক MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन मिलने वाले हैं। माना जा रहा है कि ये ड्रोन दुश्मन के लिए किसी 'काल' से कम नहीं होंगे। MQ-9B ड्रोन भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना का हिस्सा बनेंगे। इस महत्वपूर्ण डील का रोडमैप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ मिलकर तैयार किया था और माना जा रहा है कि अक्टूबर तक इस पर अंतिम मुहर भी लग गई थी। भारतीय नौसेना को 15 सी गार्जियन ड्रोन मिलेंगे, जबकि भारतीय वायु सेना (IAF) और भारतीय सेना को 8-8 स्काई गार्जियन ड्रोन प्राप्त होंगे।

AI का ऐसा इस्तेमाल कि दुश्मन सौ बार सोचेगा:

भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को अपनी सैन्य शक्ति का अभिन्न अंग बना लिया है। 2019 में हरियाणा के हिसार सैन्य स्टेशन में आयोजित 'सप्त शक्ति' आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेमिनार में इस बात पर जोर दिया गया था कि भारतीय सेना अगले तीन वर्षों में AI को पूरी तरह से अपना लेगी। आज इसका परिणाम सबके सामने है। सेना और सुरक्षा बलों ने डेटा विश्लेषण, समस्याओं की मॉडलिंग और त्वरित कार्रवाई के लिए AI को अपना 'बिग ब्रदर' बना लिया है। लद्दाख में चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) और कश्मीर में पाकिस्तान से सटी नियंत्रण रेखा (LOC) की निगरानी अब AI आधारित ड्रोन, विमान और रोबोटिक डॉग्स भी कर रहे हैं। इन आधुनिक ड्रोनों की तैनाती से दुश्मन भी हमला करने से पहले सौ बार सोचने पर मजबूर हो जाएगा।

दुश्मन के लिए कितना बड़ा 'काल' है यह ड्रोन:

GA-ASI द्वारा निर्मित MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन, MQ-9 'रीपर' का ही एक उन्नत रूप है। इसे हाई-एल्टीट्यूड, लॉन्ग-एंड्योरेंस अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV) कहा जाता है। आसान शब्दों में कहें तो यह बहुत ऊंचाई पर उड़ने वाला और लंबे समय तक हवा में रहने वाला मानव रहित हवाई जहाज है। यह ड्रोन एक बार में लगभग 40 घंटे तक उड़ान भर सकता है और 50,000 फीट से भी ज्यादा ऊंचाई तक जा सकता है। MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन में चार हेलफायर मिसाइलें और लगभग 450 किलोग्राम तक के बम ले जाए जा सकते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह ड्रोन दुश्मन के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है!

MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन: खूबियां जो बनाती हैं इसे खास:

MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन एक मानवरहित यूएवी है, जिसे जमीन पर बैठे दो पायलटों द्वारा रिमोट से संचालित किया जाता है। इसके दो मुख्य वर्जन हैं: सी-गार्जियन और स्काई गार्जियन। ये ड्रोन जमीन, आसमान और समुद्र से भी लॉन्च किए जा सकते हैं। MQ-9B ड्रोन को 'प्रीडेटर्स' के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि ये घातक हथियारों से लैस होते हैं।

50 हजार फीट की ऊंचाई से सीमाओं का रखवाला:

MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स के अनुसार, यह शिकारी ड्रोन 50,000 फीट की ऊंचाई से सीमाओं की प्रभावी निगरानी कर सकता है। 950 शाफ्ट हॉर्सपावर (712 किलोवाट) के शक्तिशाली इंजन से लैस यह ड्रोन तेज गति से उड़ान भरता है। कंपनी के मुताबिक, प्रीडेटर ड्रोन या रीपर को मुख्य रूप से जमीन या समुद्र पर मल्टी-मिशन इंटेलिजेंस, निगरानी और टोह लेने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

1700 किलो के बम और मिसाइलें बरसाने में सक्षम:

MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन के दोनों वर्जन, स्काई गार्जियन और सी गार्जियन, अपने साथ 1,746 किलोग्राम तक के बम और मिसाइलें ले जा सकते हैं। इसमें लगी मिसाइलों की अचूक मारक क्षमता इसे जंगल में छिपे दुश्मनों को भी ध्वस्त करने में सक्षम बनाती है। जमीन पर यह ऊंचे लक्ष्यों को नष्ट कर सकता है, तो समुद्र में यह गहराई तक मार करने की क्षमता रखता है।

जहां F-16 हुए फेल, वहां 'एनाकोंडा' ने मचाई थी तबाही:

अमेरिका ने अफगानिस्तान में तालिबानी आतंकियों को निशाना बनाने के लिए 'ऑपरेशन एनाकोंडा' चलाया था। 2002 में बंकरों में छिपे तालिबानियों को मारने में अमेरिका के F-15 और F-16 जैसे जंगी विमान भी विफल हो गए थे। तब इसी प्रीडेटर ड्रोन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

पाकिस्तान में छिपे 5000 आतंकियों को किया ढेर:

प्रीडेटर ड्रोन के बारे में यह भी कहा जाता है कि इसने पाकिस्तान में छिपे बैठे आतंकियों को ढूंढ-ढूंढकर मारा है। पाकिस्तानी मीडिया इसे 'ड्रोन वॉर' तक कहता है। 2004 से 2018 के बीच अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने प्रीडेटर ड्रोन से खैबर पख्तूनख्वा इलाके में छिपे 5,059 आतंकवादियों को मार गिराया था। इनमें अफगान तालिबान के कमांडर बैतुल्लाह मेहसूद, हकीमुल्लाह मेहसूद और अख्तर मंसूर जैसे खूंखार आतंकी भी शामिल थे। यह नीति बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल तक जारी रही थी, जिस पर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भी आपत्ति जताई थी।

बगदादी और मोहम्मद आतिफ भी हुए शिकार:

अमेरिकी सेनाओं के लिए एक विश्वसनीय हथियार साबित हुए इस प्रीडेटर ड्रोन ने इस्लामिक स्टेट के सरगना अबु बकर अल बगदादी और उसके सैन्य कमांडर मोहम्मद आतिफ को भी मौत की नींद सुला दिया था। ये सभी ड्रोन से किए गए मिसाइल हमलों में मारे गए थे। इसके अलावा, कई अलकायदा के शीर्ष नेता भी प्रीडेटर ड्रोन के हमलों में मारे जा चुके हैं।

दुश्मन पर बिजली की तरह टूटता है, सटीक मारक क्षमता:

प्रीडेटर ड्रोन को इटली, इजराइल और तुर्की की सेनाएं भी इस्तेमाल करती हैं। इसकी सटीक मारक क्षमता के कारण जान-धन की हानि कम होती है, जिससे दुनियाभर में इस अमेरिकी ड्रोन की मांग अधिक रहती है। हालांकि, यह आसानी से सभी देशों को उपलब्ध नहीं होता है। अमेरिकी कांग्रेस की अनुमति के बाद ही इसे किसी देश को सौंपा जा सकता है।

AI और ड्रोन के इस्तेमाल से और ताकतवर बनी सेना:

भारतीय सेना अपनी शक्ति और युद्ध क्षमताओं को लगातार बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का इस्तेमाल एक महत्वपूर्ण कदम है। AI के प्रयोग से मानव रहित टैंक, ड्रोन और अत्यधिक क्षमताओं वाले रोबोटिक हथियारों से लैस भारतीय सेना भविष्य में और भी घातक साबित होगी। AI की सहायता से कम समय में डेटा विश्लेषण, मॉडलिंग और सिमुलेशन के क्षेत्र में माइक्रो लेवल पर लॉन्ग टर्म में सटीक ऑपरेशन चलाने में मदद मिलेगी।

सेना में AI का हो रहा है व्यापक इस्तेमाल:

वर्तमान में, AI को कमांड और नियंत्रण, खुफिया जानकारी, निगरानी, रसद, स्वास्थ्य सेवा, सूचना युद्ध, साइबर युद्ध, प्रशिक्षण और सिमुलेशन, स्वायत्त प्रणालियों और घातक स्वायत्त हथियारों जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में शामिल किया जा रहा है। इन तकनीकों का प्रभावी इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों पर अंकुश लगाने और दुश्मन देशों को मुंहतोड़ जवाब देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

भारत का बढ़ता ड्रोन बेड़ा और AI का प्रभावी इस्तेमाल निसंदेह रूप से भारतीय सेना को भविष्य के युद्धक्षेत्र में एक निर्णायक बढ़त दिलाएगा और दुश्मन देशों के लिए एक कड़ी चुनौती पेश करेगा।