ED पर सियासी हमला: '98% मामले विपक्ष के खिलाफ', साकेत गोखले का बड़ा आरोप

टीएमसी नेता साकेत गोखले ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ईडी के 98 प्रतिशत मामले विपक्षी नेताओं के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि जो बचे हैं, वे बीजेपी में शामिल हो गए हैं।

ED पर सियासी हमला: '98% मामले विपक्ष के खिलाफ', साकेत गोखले का बड़ा आरोप

                                                                                     ईडी की सक्रियता में आई तेजी

कोलकाता | 3 मई 2025
टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) के नेता साकेत गोखले ने एक बार फिर मोदी सरकार और प्रवर्तन निदेशालय (ED) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया है कि ईडी द्वारा दर्ज किए गए 98 प्रतिशत मामले विपक्षी नेताओं के खिलाफ हैं और जो बाकी दो प्रतिशत हैं, वे वे लोग हैं जो बाद में भाजपा में शामिल हो गए


2014 के बाद अचानक बढ़े मामले

साकेत गोखले ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट शेयर करते हुए कहा,

"2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद ईडी द्वारा दर्ज मामलों की संख्या में भारी उछाल आया है।"
उन्होंने यह भी दावा किया कि पिछले 11 वर्षों में कुल 5,297 मामले ईडी ने दर्ज किए, लेकिन केवल 47 मामलों को अदालत तक ले जाया गया


 ईडी प्रमुख के बयान पर उठाए सवाल

साकेत गोखले का यह बयान ईडी निदेशक राहुल नवीन के उस वक्तव्य के बाद आया जिसमें उन्होंने कहा था कि 2014 से पहले धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) काफी हद तक निष्क्रिय था और 2014 के बाद इसके तहत मामलों में तेज़ी आई है

गोखले ने इसे राजनीतिक हथियार के रूप में पेश करते हुए कहा,

"ईडी को विपक्ष को डराने और नियंत्रित करने का औज़ार बना दिया गया है।"
उन्होंने कहा कि यह संस्था अब निष्पक्ष नहीं रही और इसका इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है।


 "भाजपा में आने से खत्म हो जाती है जांच?"

टीएमसी नेता ने तीखा कटाक्ष करते हुए लिखा:

"जिन पर जांच शुरू होती है, अगर वे भाजपा में शामिल हो जाएं तो सारे आरोप और केस रद्द हो जाते हैं।"
यह टिप्पणी हाल ही में भाजपा में शामिल हुए कुछ विपक्षी नेताओं के खिलाफ जांचों के अचानक शांत हो जाने की घटनाओं के संदर्भ में कही गई।


विपक्षी दलों की मांग: जांच एजेंसियों की स्वतंत्रता

कांग्रेस, टीएमसी, आम आदमी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों का आरोप है कि ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स जैसी एजेंसियां केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रही हैं। इन दलों की मांग है कि इन संस्थाओं की संवैधानिक स्वतंत्रता सुनिश्चित की जाए ताकि वे निष्पक्ष तरीके से कार्य कर सकें।


 केवल 47 केस पहुंचे अदालत

गोखले के अनुसार,

"5,297 मामलों में केवल 47 अदालत में ले जाए गए यानी सिर्फ 0.8% मामलों में ही जांच को अंजाम तक पहुंचाया गया। इसका मतलब है कि शेष 99% मामलों का उपयोग सिर्फ राजनीतिक दबाव बनाने के लिए किया गया।"


 निष्कर्ष

टीएमसी नेता साकेत गोखले के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में फिर से एक ईडी की निष्पक्षता को लेकर बहस छेड़ दी है। जहां सरकार इसे कानून के तहत उठाए गए उचित कदम मानती है, वहीं विपक्ष इसे लोकतंत्र की आवाज़ दबाने का हथियार बता रहा है।