क्या IRCTC के तत्काल सिस्टम में होता है तगड़ा फ्रॉड? इस सर्वे में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
National survey reveals that a significant number of passengers fail to book Tatkal tickets online, raising concerns about potential fraud and the effectiveness of the IRCTC system.

भारतीय रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए तत्काल टिकट सेवा शुरू की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य अचानक यात्रा की आवश्यकता वाले लोगों को आसानी से और पारदर्शी तरीके से टिकट उपलब्ध कराना था। इसका लक्ष्य दलालों को रोकना और ऑनलाइन बुकिंग के माध्यम से सभी यात्रियों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना था। हालांकि, अब कई यात्रियों का अनुभव इसके विपरीत है। उनका कहना है कि ऑनलाइन तत्काल टिकट प्राप्त करना लगभग नामुमकिन हो गया है। समय पर लॉग इन करने और तेजी से भुगतान करने के बावजूद, अक्सर टिकट बुक नहीं होते और यात्रियों को वेटिंग लिस्ट या बिना टिकट के यात्रा करनी पड़ती है।
क्या कहीं कोई फ्रॉड हो रहा है?
बड़ी संख्या में यात्रियों का मानना है कि ट्रैवल एजेंट विशेष सॉफ्टवेयर या अंदरूनी मिलीभगत के जरिए तत्काल टिकट तेजी से बुक कर लेते हैं। लोकल सर्किल के एक सर्वे के अनुसार, एक नियमित यात्री ने दावा किया कि 2014 में तत्काल टिकट मिलने की संभावना 90% से अधिक थी, जो अब घटकर मात्र 1-5% रह गई है। 2015 में भी नियमित टिकट बुकिंग को लेकर ऐसी ही शिकायतें आई थीं, जिसके बाद रेल मंत्रालय ने जांच की थी। जांच में पाया गया था कि कुछ एजेंट और रेलवे कर्मचारी फर्जी नामों का उपयोग करके सीटें ब्लॉक करने के लिए सिस्टम की खामियों का फायदा उठा रहे थे और बाद में नाम बदलकर टिकट अधिक कीमत पर बेच रहे थे। उस खामी को ठीक कर दिया गया था, लेकिन यात्रियों को अब डर है कि कुछ ऐसा ही फिर से हो रहा है।
तत्काल टिकट से रेलवे की भारी कमाई:
2019 से 2024 तक भारतीय रेलवे ने माल ढुलाई से 7.02 लाख करोड़ रुपये और यात्रियों से 2.41 लाख करोड़ रुपये कमाए। इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा तत्काल और प्रीमियम तत्काल टिकटों से आया। इन अत्यधिक मांग वाले टिकटों की कीमत सामान्य किराए से तीन गुना तक अधिक हो सकती है। यात्रियों के लिए तत्काल टिकट अब एक बोझ बन चुका है, खासकर तब जब सरकार इससे भारी राजस्व अर्जित करती है। इसका मुख्य कारण बुकिंग प्रक्रिया का अत्यधिक निराशाजनक होना है।
सर्वे के चौंकाने वाले नतीजे:
लोकलसर्किल्स द्वारा किए गए एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में 396 जिलों से 55,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं एकत्र की गईं, जिसके नतीजे चौंकाने वाले हैं:
- पिछले साल 10 में से 4 यात्री तत्काल टिकट बुक करने में पूरी तरह से विफल रहे।
- केवल 10% यात्री ही हमेशा बुकिंग करने में सफल रहे।
- 29% ने कहा कि वे 25% से भी कम समय में सफल हुए।
- अन्य 29% ने कहा कि वे कभी भी तत्काल टिकट बुक करने में सफल नहीं हुए।
- 10 में से 7 लोगों को बुकिंग खुलते ही समस्याओं का सामना करना पड़ा।
- 73% लोगों ने कहा कि सभी टिकटें पहले मिनट में ही बुक हो गईं।
- इतने ही (73%) लोगों ने कहा कि टिकट उपलब्ध तो दिख रहे थे, लेकिन भुगतान के दौरान गायब हो गए।
- केवल 14% लोगों ने कहा कि उन्हें किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा।
तत्काल टिकट पाने का 'सबसे अच्छा' तरीका:
जब लोगों से पूछा गया कि वे तत्काल टिकट कैसे प्राप्त करना पसंद करते हैं, तो कई तरह के जवाब मिले:
- 32% ट्रैवल एजेंट के माध्यम से टिकट लेते हैं।
- 8% कई अकाउंट और डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं।
- 40% अभी भी नियमित ऑनलाइन बुकिंग सिस्टम का उपयोग करने की कोशिश करते हैं।
- 6% सीधे रेलवे स्टेशन जाते हैं।
- 7% सांसद, विधायक या रेलवे कर्मचारियों से मदद लेने की कोशिश करते हैं।
सर्वे के ये आंकड़े तत्काल टिकट बुकिंग प्रणाली में व्याप्त निराशा और संभावित अनियमितताओं की ओर इशारा करते हैं, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।