कहां गई पाकिस्तानी शुमायला खान? पहलगाम अटैक के बाद फिर चर्चा में, यूपी पुलिस के लिए बनी सिरदर्द
पाकिस्तानी नागरिक शुमायला खान 9 साल तक यूपी के सरकारी स्कूल में टीचर रही और अब पहलगाम आतंकी हमले के बाद से लापता है। यूपी पुलिस और खुफिया एजेंसियां उसकी तलाश में जुटी हैं, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला है।

देश में 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तान से आए नागरिकों को वापस भेजने का आदेश जारी किया है। इसी बीच एक नाम एक बार फिर चर्चा में आ गया है—शुमायला खान उर्फ फुरकाना। यह वही महिला है, जिसने पाकिस्तानी नागरिक होते हुए उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में 9 साल तक टीचर की नौकरी की और अब गायब है। उसकी तलाश में यूपी पुलिस और खुफिया एजेंसियां सक्रिय हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस सुराग नहीं मिला है।
■ नौकरी के नाम पर फर्जीवाड़ा
शुमायला खान का नाम सबसे पहले बरेली जिले के फतेहगंज पश्चिमी क्षेत्र के माधौपुर प्राथमिक विद्यालय में बतौर शिक्षिका सामने आया था। जांच में सामने आया कि वह पाकिस्तान की नागरिक है और अवैध रूप से रामपुर में अपनी मां के साथ रह रही थी। वर्ष 1992 में उसे फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी दी गई थी।
तीन साल पहले एलआईयू की जांच में उसकी असली पहचान सामने आने के बाद विभाग ने उसे बर्खास्त कर दिया। साथ ही फतेहगंज पश्चिमी थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया गया। लेकिन तब से वह गायब है।
■ पारिवारिक पृष्ठभूमि से खुला राज
शुमायला की मां फरजाना उर्फ माहिरा अख्तर, मूल रूप से रामपुर की रहने वाली हैं। उन्होंने 17 जून 1979 को पाकिस्तान के सिबगत अली से निकाह किया था और पाकिस्तान जाकर वहां की नागरिकता भी ले ली थी। दो बेटियों—फुरकाना (शुमायला) और आलिमा—को जन्म देने के बाद पति से तलाक लेकर वह दोनों बच्चियों के साथ वापस भारत आ गईं और रामपुर में रहने लगीं।
हालांकि, वीजा अवधि समाप्त होने पर 1983 में उनके खिलाफ विदेशी अधिनियम की धारा 14 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। कोर्ट ने उन्हें 1985 में मामूली सजा भी सुनाई थी।
■ दोबारा क्यों चर्चा में आई शुमायला?
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ, जिसमें पाकिस्तानी कनेक्शन की जांच के बाद केंद्र सरकार ने देश में रह रहे सभी पाकिस्तानियों को वापस भेजने का आदेश दिया। इसी क्रम में शुमायला खान का मामला फिर से सक्रिय हो गया। खुफिया एजेंसियों और पुलिस ने उसकी तलाश शुरू कर दी है, लेकिन अब तक उसका कोई पता नहीं चला है।
एक टीम को रामपुर में संभावित ठिकानों की तलाशी के लिए भेजा गया है, लेकिन नतीजा शून्य है। पुलिस के लिए शुमायला एक सिरदर्द बन गई है, क्योंकि अगर वह अब भी देश में है, तो सुरक्षा के लिहाज से यह गंभीर मसला है।
■ जांच में और भी बड़े खुलासों की आशंका
जानकारों का मानना है कि शुमायला को सरकारी शिक्षक बनाने में कुछ अधिकारियों और नेताओं की भूमिका भी संदिग्ध रही है। यह पूरा मामला अब एक संवेदनशील सुरक्षा मसले का रूप ले चुका है, जिस पर उच्चस्तरीय जांच की जरूरत है।
निष्कर्ष:
शुमायला खान का गायब रहना न सिर्फ उत्तर प्रदेश प्रशासन बल्कि पूरे देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चुनौती है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या यह सिर्फ पहचान छुपाने का मामला है या इसके पीछे कोई सुनियोजित साजिश भी है? जवाब अभी बाकी है।
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