जगन्नाथ रथ यात्रा 2025: भगवान जगन्नाथ को चैन से सुलाने के लिए हनुमान जी ने लगाई थी ये अनोखी 'जुगत', जो आज भी है एक रहस्य!
पुरी के जगन्नाथ मंदिर का एक अद्भुत रहस्य! जानें कैसे हनुमान जी ने एक अनोखी 'जुगत' लगाकर समुद्र की आवाज़ को मंदिर तक पहुँचने से रोका, ताकि भगवान जगन्नाथ चैन से सो सकें। यह पौराणिक कथा और मंदिर का अनसुलझा रहस्य आज भी भक्तों को हैरान करता है।

पुरी, ओडिशा: पुरी का भगवान जगन्नाथ मंदिर रहस्यों का खजाना है। इस मंदिर से जुड़े अनेकों किस्से और कहानियाँ हैं, जो भक्तों को आज भी हैरान करती हैं। इन्हीं में से एक पौराणिक कथा भगवान जगन्नाथ और भगवान हनुमान से जुड़ी हुई है, जो आज भी सत्य प्रतीत होती है क्योंकि इससे जुड़ा मंदिर का एक ऐसा रहस्य है, जो सदियों से अनसुलझा है। तो चलिए जानते हैं क्या है वो कथा और वो रहस्य जो विज्ञान को भी अचंभित करता है।
जगन्नाथ मंदिर का अनसुलझा रहस्य
हमारा देश विविधताओं का देश है, और धर्म व आस्था इसकी धुरी हैं। भक्तों की ऐसी ही आस्था का केंद्र है पुरी का जगन्नाथ मंदिर, जिससे न जाने कितने सुलझे-अनसुलझे किस्से जुड़े हुए हैं। इसके पीछे की पौराणिक कथाएँ लोगों को आज भी हैरानी में डाल देती हैं। इतना ही नहीं, मंदिर के रहस्य भी आपको आस्था की तरफ झुकने पर मजबूर कर देंगे।
इस मंदिर से जुड़ा एक ऐसा ही पौराणिक रहस्य है: आपको जानकर हैरानी होगी कि मंदिर के समुद्र से घिरा होने के बावजूद भी मंदिर परिसर में समुद्र की लहरों की आवाज़ नहीं पहुँचती, जबकि मंदिर से बाहर निकलते ही आपको उसकी लहरों की आवाज़ स्पष्ट सुनाई दे जाएगी।
जगन्नाथ मंदिर और हनुमान जी की कथा
इसके पीछे एक पौराणिक कथा है, जो बजरंगबली हनुमान से जुड़ी हुई है। इस कथा के अनुसार, एक बार भगवान जगन्नाथ समुद्र की तेज़ आवाज़ से परेशान हो गए थे और वह चैन से सो नहीं पा रहे थे। भगवान जगन्नाथ ने हनुमान जी को समुद्र को नियंत्रित करने का काम सौंपा था।
हनुमान जी ने समुद्र से शांत हो जाने की प्रार्थना की, लेकिन समुद्र ने कहा, "मैं ऐसा नहीं कर सकता, यह मेरे वश में नहीं है। पवन के वेग के साथ मेरी आवाज़ भी मंदिर तक पहुँचेगी। आप चाहें तो अपने पिता (पवन देव) से अनुरोध कर सकते हैं कि वे विपरीत दिशा में बहें, तो यह आवाज़ मंदिर तक नहीं पहुँचेगी।"
हनुमान जी की अनोखी 'जुगत'
हनुमान जी ने वैसा ही किया। उन्होंने पवन देव का आह्वान किया और उनसे पूछा कि क्या वे उल्टी दिशा में बह सकते हैं। पवन देव ने कहा, "मेरे लिए यह संभव नहीं है, लेकिन तुम चाहो तो ऐसा कर सकते हो। तुम अपनी तेज़ी से एक वायु चक्र बना सकते हो।"
हनुमान जी ने वैसा ही किया। हनुमान जी मंदिर के चारों तरफ इतनी तेज़ी और वेग के साथ चक्कर लगाने लगे कि वहाँ एक शक्तिशाली वायु चक्र बन गया, जिससे पवन देव को उसी वेग में बहना पड़ा। इसी वायु चक्र के वेग की वजह से समुद्र की आवाज़ भी मंदिर तक नहीं पहुँच पाई। वायु के इस वेग ने समुद्र की आवाज़ को वहीं रोक लिया।
फिर चैन से सो सके भगवान जगन्नाथ
इसके बाद, समुद्र की आवाज़ मंदिर में प्रवेश न कर पाने के कारण भगवान जगन्नाथ चैन से सो सके, और हनुमान जी की यह अनोखी 'जुगत' काम कर गई। भगवान हनुमान की यह 'जुगत' आज भी इस मंदिर में एक रहस्य की तरह काम कर रही है, क्योंकि मंदिर के अंदर समुद्र की तेज़ लहरों की आवाज़ बिल्कुल सुनाई नहीं देती। यह भक्तों को भगवान और उनके भक्तों की असीम शक्ति पर विश्वास करने के लिए प्रेरित करता है।