इजरायल-ईरान तनाव के बीच कजाकिस्तान में रूस के सहयोग से बन रहा पहला परमाणु ऊर्जा सेंटर: वैश्विक भू-राजनीति में नए समीकरण
ईरान परमाणु तनाव के बीच, कजाकिस्तान रूस के सहयोग से अपना पहला परमाणु ऊर्जा सेंटर बना रहा है। पुतिन की रोसाटॉम कंपनी को यह परियोजना मिली है। कजाकिस्तान दुनिया का शीर्ष यूरेनियम उत्पादक है, लेकिन बिजली की कमी का सामना कर रहा है।

मध्य पूर्व में ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर बढ़ते तनाव के बीच, एक और मुस्लिम बहुल देश कजाकिस्तान ने चुपचाप अपने पहले परमाणु ऊर्जा सेंटर पर काम शुरू कर दिया है। इस परियोजना की खास बात यह है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का देश इस परमाणु सेंटर का खुलकर समर्थन कर रहा है, जो वैश्विक भू-राजनीति में नए समीकरणों का संकेत है।
रोसाटॉम की अगुवाई में कजाकिस्तान का परमाणु सपना
यह मुस्लिम देश कजाकिस्तान है, जहाँ रूस की परमाणु ऊर्जा दिग्गज कंपनी रोसाटॉम (Rosatom) देश में पहला परमाणु ऊर्जा सेंटर स्थापित करने में सहयोग करेगी। सेंट्रल एशियन कंट्रीज अथॉरिटी के अधिकारियों ने इस विकास की पुष्टि की है। पूर्व सोवियत गणराज्य की इस परमाणु एजेंसी ने बताया कि कजाकिस्तान में पहले न्यूक्लियर एनर्जी सेंटर के लिए रूस की रोसाटॉम को नामित किया गया है।
यूरेनियम का शीर्ष उत्पादक, फिर भी बिजली की कमी
कजाकिस्तान मध्य एशिया का सबसे ज़्यादा संसाधन संपन्न देश माना जाता है। यह विश्व का शीर्ष यूरेनियम उत्पादक है, जो वैश्विक यूरेनियम खपत का 43 प्रतिशत आपूर्ति करता है। हालांकि, यूरेनियम के विशाल भंडार के बावजूद, यह देश अपनी घरेलू बिजली की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा उत्पादन नहीं करता है। अब इसी कमी को पूरा करने के लिए यह परमाणु ऊर्जा सेंटर एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
2024 में मिली अनुमति, बाल्खश झील के पास हो रहा निर्माण
कजाकिस्तान में इस नए ऊर्जा सेंटर को 2024 में मंज़ूरी मिली थी। इसका निर्माण बाल्खश झील के पास उलकेन नामक एक गाँव में किया जा रहा है। बाल्खश झील देश के दक्षिण-पूर्व में स्थित कजाकिस्तान की दूसरी सबसे बड़ी झील है।
चीन और फ्रांस को पछाड़कर रूस ने जीती बाजी
कजाकिस्तान में बनने वाले इस परमाणु ऊर्जा सेंटर के लिए दुनिया की कई बड़ी शक्तियों ने दिलचस्पी दिखाई थी। चीन, फ्रांस और दक्षिण कोरिया ने भी इस परियोजना के लिए ज़ोरदार पैरवी की थी, लेकिन अंततः बाज़ी रूस के हाथ लगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की नेशनल न्यूक्लियर कॉरपोरेशन, फ्रांस की ईडीएफ (EDF) और दक्षिण कोरिया की हाइड्रो एंड न्यूक्लियर पावर कंपनी ने भी बोली लगाई थी, पर मौका रूस की रोसाटॉम को मिला। कजाकिस्तान के अधिकारियों ने बताया है कि इन तीनों कंपनियों को रोसाटॉम के नेतृत्व वाले संघ में शामिल किया जाएगा, जो एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण दर्शाता है।
कजाख राष्ट्रपति का संतुलन साधने का प्रयास
कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट तोकायेव ने रूस और चीन, दोनों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की बात कही है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि रोसाटॉम ने परियोजना को फाइनेंस करने का प्रस्ताव दिया है। उनका यह बयान तब आया है जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग हाल ही में होने वाली चीन-मध्य एशिया समिट के लिए कजाकिस्तान की यात्रा करने वाले हैं, जो क्षेत्र में बढ़ती रणनीतिक साझेदारी को दर्शाता है।
कजाकिस्तान का परमाणु इतिहास: वापसी की राह
हुर्रियल डेली न्यूज़ के मुताबिक, जब कजाकिस्तान सोवियत संघ का हिस्सा था, तब वहाँ सोवियत परमाणु हथियारों के अलावा कई परमाणु ऊर्जा संयंत्र भी थे। यह सोवियत परमाणु परीक्षण का एक प्रमुख स्थल भी था। 1991 में यूएसएसआर के विघटन के बाद, नए देश ने अन्य पूर्व सोवियत राज्यों जैसे बेलारूस और यूक्रेन के साथ अपने परमाणु हथियार त्याग दिए थे। इसके बाद, सभी न्यूक्लियर एनर्जी सेंटर बंद कर दिए गए थे। अब, दशकों बाद, कजाकिस्तान एक बार फिर परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में वापसी की राह पर है, जो उसकी ऊर्जा सुरक्षा और क्षेत्रीय भूमिका के लिए महत्वपूर्ण होगा।