'मालगुडी डेज': ओटीटी के शोर में 39 साल पुरानी शांति की फुहार, आज भी 9.4 रेटिंग का जादू
ओटीटी के इस दौर में अगर आप कुछ सुकून भरे और पारिवारिक कंटेंट की तलाश में हैं, तो 39 साल पहले दूरदर्शन पर आए सुपरहिट सीरियल 'मालगुडी डेज' को जरूर देखें। आरके नारायण की कहानियों पर आधारित यह शो 9.4 की शानदार रेटिंग के साथ आज भी दर्शकों के दिलों में बसा हुआ है।

आज जब ओटीटी प्लेटफॉर्म पर हर तरह के कंटेंट की बाढ़ आई हुई है, और दर्शक कुछ नया और चटपटा ढूंढते रहते हैं, तो क्यों न हम 39 साल पीछे लौट चलें? उस दौर में दूरदर्शन पर एक ऐसा सीरियल आता था, जिसने पूरे परिवार को एक साथ बैठाकर कहानियों के सरल लेकिन गहरे संसार में डुबो दिया था - 'मालगुडी डेज'।
1986 में टीएस नरसिम्हा द्वारा निर्देशित यह सीरियल, महान भारतीय लेखक आर के नारायण के उसी नाम के उपन्यास पर आधारित था। कन्नड़ सिनेमा के दिग्गज शंकर नाग ने इस शो का निर्देशन किया और इसमें अभिनय भी किया। 'मालगुडी डेज' सिर्फ एक टीवी सीरियल नहीं था, बल्कि यह एक अनुभव था - भारत के एक काल्पनिक छोटे से गांव मालगुडी की मासूमियत, वहां के सीधे-सादे लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी और उनकी छोटी-बड़ी परेशानियां।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में, जहां हर कहानी में एक बड़ा ट्विस्ट या सस्पेंस ढूंढने की कोशिश होती है, 'मालगुडी डेज' अपनी सरलता से ताजगी का एहसास कराता है। मालगुड़ी कोई साधारण गांव नहीं था; यह आर के नारायण की कल्पना की उर्वर भूमि थी, जहां हर किरदार अपनी विशिष्टता और मानवीयता के साथ जीता था। उस गांव में एक पढ़ा-लिखा लड़का आता है, जो आधुनिक विचारों से गांव के लोगों के जीवन में बदलाव लाने की कोशिश करता है, और इसी ताने-बाने में बुनी गई कहानियां दर्शकों को हंसाती भी थीं और सोचने पर मजबूर भी करती थीं।
इस सीरियल की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि IMDb पर इसे 10 में से 9.4 की शानदार रेटिंग मिली हुई है। यह रेटिंग उन लोगों के प्यार और प्रशंसा का सबूत है, जिन्होंने इस शो को देखा और महसूस किया है। आज भी, जब आप अमेजन प्राइम वीडियो पर इसका कोई एपिसोड देखते हैं, तो आपको वही सुकून और अपनापन महसूस होता है जो पहली बार दूरदर्शन पर इसे देखते हुए होता था।
अगर आपके पास अमेजन प्राइम का सब्सक्रिप्शन नहीं है, तो भी निराश होने की जरूरत नहीं है। यूट्यूब पर 'मालगुडी डेज' के सभी एपिसोड्स मुफ्त में उपलब्ध हैं, हालांकि उनकी प्रिंट क्वालिटी थोड़ी पुरानी हो सकती है, लेकिन कहानियों का जादू आज भी वैसा ही है।
'मालगुडी डेज' सिर्फ एक सीरियल नहीं, बल्कि एक यात्रा है - एक ऐसे समय में वापस जाना जब जीवन सरल था, रिश्ते गहरे थे और कहानियों में मानवीय मूल्यों की महक थी। शंकर नाग के निर्देशन और गिरीश कर्नाड, वैशाली कर्सावली, देवेन भोजनी और दीना पाठक जैसे कलाकारों के शानदार अभिनय ने इन कहानियों को जीवंत कर दिया था।
तो, अगर आप ओटीटी के इस कोलाहल में कुछ शांत और सार्थक देखना चाहते हैं, तो 'मालगुडी डेज' आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है। यह सिर्फ एक सीरियल नहीं, बल्कि एक विरासत है जिसे आज की पीढ़ी को भी जानना और महसूस करना चाहिए। यह आपको याद दिलाएगा कि अच्छी कहानियां, चाहे कितनी भी पुरानी हों, हमेशा दिलों को छू जाती हैं।