MP Congress में राहुल गांधी का 'संगठन सृजन अभियान': 5 बड़े सियासी संदेश और 'लंगड़े घोड़ों' को रिटायरमेंट!
मध्य प्रदेश में सत्ता के 20 साल के वनवास को खत्म करने के लिए राहुल गांधी ने 'संगठन सृजन अभियान' शुरू किया है। उन्होंने जिला अध्यक्षों को मजबूत करने, नई लीडरशिप को बढ़ावा देने, गुटबाजी खत्म करने और 'काम न करने वाले नेताओं' को बाहर का रास्ता दिखाने का साफ संदेश दिया है।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस पिछले दो दशकों से सत्ता का वनवास झेल रही है और बीजेपी का एकतरफा राज कायम है। इस स्थिति को बदलने और प्रदेश में कांग्रेस को दोबारा खड़ा करने के लिए पार्टी ने अपने संगठन को दुरुस्त करने की कवायद शुरू कर दी है। इसी कड़ी में, राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 'संगठन सृजन अभियान' लॉन्च किया। इस दौरान राहुल गांधी ने कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ छह घंटे बिताए और चार अहम बैठकें कीं। उन्होंने नेताओं और कार्यकर्ताओं को नसीहतें भी दीं और उनकी सलाह को सुनने में कोई संकोच नहीं किया।
भोपाल में ब्लॉक और जिला अध्यक्षों के सम्मेलन में राहुल गांधी ने साफ संकेत दिए कि अब प्रदेश कांग्रेस संगठन के हर एक्शन और कार्य पर उनकी पैनी नज़र होगी। इतना ही नहीं, मध्य प्रदेश में सत्ता के वनवास को खत्म करने के लिए राहुल गांधी ने नई लीडरशिप को बढ़ावा देने, जिला अध्यक्षों को अधिक पावर देने, गुटबाजी खत्म करने और काम न करने वाले नेताओं को 'घर बैठाने' का स्पष्ट संदेश दिया। राहुल ने कांग्रेस नेताओं को पार्टी की विचारधारा से जुड़ने और दलित-पिछड़ों के मुद्दे पर मुखर रहने की सलाह भी दी। इस तरह से राहुल गांधी ने पांच बड़े सियासी मैसेज दिए:
1. जिला अध्यक्ष ही होंगे कांग्रेस का भविष्य
राहुल गांधी ने कांग्रेस जिला अध्यक्ष की नियुक्ति में पूरी पारदर्शिता बरतने के साफ संकेत दिए हैं। राहुल ने कहा, "मैं आपको एक बात कहना चाहता हूं और आप अच्छी तरह सुनिए, जो लोग मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के डिस्ट्रिक्ट प्रेसीडेंट्स बनेंगे, वो ही इस पार्टी को भविष्य में मध्य प्रदेश में चलाने का काम करेंगे।" उन्होंने बताया कि जिला अध्यक्ष की नियुक्ति में पूरी तरह से पारदर्शिता बरती जाएगी, जिसके लिए दिल्ली से ऑब्जर्वर भेजे गए हैं। गुजरात में जिस तरह से अध्यक्षों की नियुक्ति की गई है, उसी तरह से मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस नेताओं के ऑब्जर्वर हर जिले में बात करेंगे, नाम चुनकर दिल्ली भेजेंगे। पुराने और नए नेताओं की लिस्ट देखी जाएगी, और उसके बाद ही जिला अध्यक्षों के नाम पर मुहर लगेगी। उन्होंने चेतावनी भी दी कि अगर ऑब्जर्वर चयन प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी करते हैं तो उन पर भी कार्रवाई की जाएगी।
2. जिला अध्यक्षों को दी जाएगी पावर
राहुल गांधी ने यह साफ कर दिया कि कांग्रेस का उभार जिला संगठन के द्वारा ही संभव है। इसीलिए जिला अध्यक्षों को अधिक पावर देने की रणनीति बनाई गई है। राहुल ने स्पष्ट शब्दों में कहा, "हम मध्य प्रदेश में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं तो ये सिर्फ जिला स्तर तक सीमित नहीं रहेगा। जिला अध्यक्ष का चयन पहला कदम है, इसके बाद हम ब्लॉक और गांव स्तर पर जाएंगे।" उन्होंने जोर दिया कि रणनीति स्थानीय संगठन को मजबूत करने की है, जिसके लिए जिला संगठन को अधिकार दिए जाएंगे।
राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस का नया जिला अध्यक्ष जो बनेगा, वो पुराने जिला अध्यक्ष जैसा नहीं होगा। "फर्क क्या होगा, मैं सिंपल तरीके से बता रहा हूं कि नए जिला अध्यक्ष को हम ऑब्जेक्टिव तरीके से नापेंगे। वोट बढ़ रहे हैं, हां या न? लोकल बॉडी के चुनाव में, एमएलए के चुनाव में, एमपी के चुनाव में वोट बढ़े या घटे - हां या न।" इसके अलावा, लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार चयन में जिला अध्यक्षों की राय को शामिल किया जाएगा। कांग्रेस में अभी तक टिकट वितरण प्रदेश और राष्ट्रीय नेताओं के द्वारा तय किया जाता है। अब कांग्रेस की रणनीति जमीनी स्तर पर फीडबैक जुटाने और जिला अध्यक्षों की राय को अहमियत देने की है।
3. दलित-पिछड़ों पर कांग्रेस का फोकस
कांग्रेस ने अपनी सियासी रणनीति में एक बड़ा बदलाव करने की योजना बनाई है। राहुल गांधी ने साफ कहा कि संगठन में दलित और पिछड़ों को राजनीतिक अहमियत देनी होगी। उन्होंने कहा, "कांग्रेस की विचारधारा पर जब आक्रमण होता है, या फिर किसी दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग, सामान्य वर्ग के किसी गरीब, महिला पर हमला किया जाता है, उन्हें मारा जाता, या फिर दबाया जाता है। ऐसे में कांग्रेस उनके साथ खड़ी है या फिर नहीं। इसको देखा जाएगा और उसके लिहाज से भी संगठन का आकलन किया जाएगा।" साथ ही राहुल गांधी ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय पर होने वाले हमले के खिलाफ हमें मजबूती के साथ खड़े रहना होगा।
4. 'लंगड़ा घोड़ा' और बारात के घोड़े को मिलेगी छुट्टी
राहुल गांधी ने पार्टी में निष्क्रिय नेताओं पर सख्त टिप्पणी की। उन्होंने कहा, "जिला अध्यक्ष जो आए हैं और आप में से ऐसे लोग होंगे, जो पूरी शक्ति के साथ काम करेंगे और कुछ ऐसे हैं, जो सिर्फ टाइम पास कर रहे हैं।" उन्होंने साफ कहा कि अब रेस के घोड़ों और बारात के घोड़ों को अलग तो करना ही पड़ेगा। "पहले मैं कहता था-दो टाइप के हैं। एक- रेस का घोड़ा है, कांग्रेस पार्टी कभी-कभी रेस के घोड़े को बारात में भेज देती है। कभी-कभी बारात के घोड़े को रेस की लाइन में खड़ा कर देती है। उसको जब पीछे से एक चाबुक पड़ता है, वो वहीं बैठ जाता है।"
उन्होंने आगे कहा, "मगर घोड़ों की एक तीसरी कैटेगरी भी है। एक हुआ बारात का, दूसरा रेस का… एक तीसरा भी है जो है लंगड़ा घोड़ा।" उन्होंने कहा कि यह हमें छांटना है कि लंगड़ा कौन सा है, रेस का कौन सा है, बारात का कौन सा है। "बारात वाले को बारात में भेजना है। रेस वाले को रेस में डालना है और लंगड़े वाले को रिटायर करना है। जो लंगड़ा घोड़ा होता है, अगर वो डिस्टर्ब करता है, तो उसके साथ क्या होता है, जानते हो? वो मैं नहीं कहूंगा, तो ये बदलाव लाना है।" इस तरह उन्होंने बताया कि 'लंगड़ा घोड़ा' वह है जो पार्टी में तो हैं, लेकिन काम नहीं करते हैं। कांग्रेस के बड़े नेताओं की सिफारिश पर उन्हें जिला अध्यक्ष की कमान सौंप दी गई थी। राहुल गांधी ने साफ कर दिया है कि ऐसे घोड़े की कांग्रेस को अब कोई जरूरत नहीं है।
5. नई लीडरशिप पर राहुल गांधी का जोर
राहुल गांधी ने कांग्रेस में नई लीडरशिप को खड़ी करने पर विशेष जोर दिया है। उन्होंने कहा, "पार्टी के अंदर हो या पार्टी के बाहर, क्या उन लोगों को जिला में बढ़ावा दिया जा रहा है? क्या डिस्ट्रिक्ट प्रेसीडेंट और वर्कर के बीच में अच्छा संबंध है? क्या डिस्ट्रिक्ट प्रेसीडेंट सबको एक साथ लेकर आगे चल रहा है या अपनी ही राजनीति कर रहा है? ये उसकी जिम्मेदारियां हैं, लेकिन जिम्मेदारी बिना पावर नहीं दी जा सकती है।" राहुल गांधी ने साफ कहा कि कांग्रेस में युवा नेताओं को आगे बढ़ाया जाए, जो पार्टी की विचारधारा से जुड़े हुए हों और कुछ करने का जज्बा रखते हों। इसके अलावा राहुल गांधी ने कहा, "कांग्रेस के जिला अध्यक्षों के लिए कांग्रेस प्रेसीडेंट का, मेरा, केसी वेणुगोपाल का दरवाजा पूरी तरह से खुला है।"
यह अभियान मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए एक नई शुरुआत हो सकता है, जहाँ पार्टी संगठन को मजबूत कर बीजेपी के किले में सेंध लगाने की तैयारी कर रही है।
आपको क्या लगता है, राहुल गांधी के ये सख्त कदम मध्य प्रदेश में कांग्रेस को फिर से सत्ता में लाने में कितने मददगार साबित होंगे?