पाकिस्तान में 'बाल विवाह रोको' कानून पर संग्राम, मौलाना बनाम सरकार

पाकिस्तान में बाल विवाह पर रोक लगाने के शहबाज शरीफ सरकार के कानून का कट्टरपंथी मौलाना विरोध कर रहे हैं, इसे इस्लामिक काउंसिल से मंजूरी के बिना पारित करने का विरोध हो रहा है।

पाकिस्तान में 'बाल विवाह रोको' कानून पर संग्राम, मौलाना बनाम सरकार

पाकिस्तान में एक नए कानून को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार ने देश में बाल विवाह की कुप्रथा पर लगाम कसने के लिए एक विधेयक पेश किया है, जिसके तहत 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों की शादी को अपराध घोषित किया जाएगा। लेकिन, सरकार के इस प्रगतिशील कदम का कट्टरपंथी धार्मिक नेताओं ने कड़ा विरोध शुरू कर दिया है, जिससे देश में तलवारें खिंच गई हैं।

इस विरोध की अगुवाई कर रहे हैं पूर्व गृह मंत्री और प्रभावशाली मौलाना फजल उर रहमान। उनका तर्क है कि सरकार को इस संवेदनशील मुद्दे पर कानून बनाने से पहले इस्लामिक काउंसिल (इस्लामी विचारधारा परिषद) से अनिवार्य रूप से मंजूरी लेनी चाहिए थी। उनका कहना है कि यदि इस्लामिक काउंसिल इस कानून को इस्लामी सिद्धांतों के अनुरूप पाती है, तो उन्हें इसे पारित कराने में कोई आपत्ति नहीं होगी।

गौरतलब है कि पाकिस्तान में बाल विवाह एक गंभीर सामाजिक समस्या है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, देश में लगभग 1.9 करोड़ लड़कियां बाल वधू के रूप में जीवन जी रही हैं, जो इस कुप्रथा की भयावहता को दर्शाता है। सरकार इस स्थिति को बदलने के लिए दृढ़ संकल्पित दिखती है, लेकिन उसे धार्मिक गुटों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

मौलाना फजल उर रहमान ने संसद में इस कानून का विरोध करते हुए इसे ऐसे समय में लाया गया कदम बताया है जब देश को एकजुट रहने की आवश्यकता है, खासकर भारत के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच। उन्होंने चेतावनी दी है कि यह कानून देश को धार्मिक आधार पर विभाजित कर सकता है और आम जनता इसे स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने सरकार से तत्काल इस विधेयक को वापस लेने की मांग की है, अन्यथा सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करने की धमकी भी दी है।

जमात-ए-इस्लामी पार्टी के प्रमुख के तौर पर फजल उर रहमान की पाकिस्तान की राजनीति में एक मजबूत पकड़ है और उन्हें एक कट्टरपंथी नेता के रूप में जाना जाता है। उनके इस आह्वान के बाद देश में धार्मिक और राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ने की आशंका है। अब देखना यह है कि शहबाज शरीफ की सरकार इस दबाव के आगे झुकती है या बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई के खिलाफ अपने कदम को मजबूती से आगे बढ़ाती है। यह टकराव न केवल कानून के भविष्य को तय करेगा, बल्कि पाकिस्तान के सामाजिक ताने-बाने पर भी गहरा प्रभाव डालेगा।