Shubman Gill : क्या टेस्ट कप्तानी के लिए वाकई इतने कमजोर दावेदार हैं?

शुभमन गिल को टेस्ट कप्तान बनाने की चर्चाओं के बीच के. श्रीकांत ने उनके प्रदर्शन पर सवाल उठाए हैं। क्या गिल वाकई टेस्ट कप्तानी के लायक नहीं हैं? जानिए उनके टेस्ट करियर का विश्लेषण।

Shubman Gill : क्या टेस्ट कप्तानी के लिए वाकई इतने कमजोर दावेदार हैं?

शुभमन गिल का नाम भारतीय टेस्ट टीम की कप्तानी के संभावित दावेदारों में उछल रहा है, लेकिन इस बीच पूर्व दिग्गज क्रिकेटर के. श्रीकांत ने उनके चयन पर ही संदेह व्यक्त कर दिया है। श्रीकांत का मानना है कि गिल, जिनका टेस्ट टीम में स्थान भी अभी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है, कप्तान बनने के लिए उपयुक्त नहीं हैं। यह बयान क्रिकेट जगत में एक नई बहस को जन्म दे रहा है कि क्या शुभमन गिल वास्तव में इतने बुरे प्रदर्शन कर रहे हैं कि उन्हें टेस्ट कप्तानी की दौड़ से बाहर कर दिया जाए?

के. श्रीकांत ने टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ एक साक्षात्कार में स्पष्ट रूप से अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, "टेस्ट क्रिकेट में शुभमन गिल अभी पक्के खिलाड़ी नहीं हैं। कप्तानी जसप्रीत बुमराह को मिलनी चाहिए। और अगर वह फिट नहीं हैं या उपलब्ध नहीं हैं, तो केएल राहुल या ऋषभ पंत जैसे खिलाड़ियों को इस जिम्मेदारी के लिए विचार किया जाना चाहिए।" श्रीकांत का यह बयान गिल के अब तक के टेस्ट करियर के आंकड़ों पर आधारित हो सकता है, जिसमें युवा बल्लेबाज निरंतरता के साथ प्रदर्शन करने में संघर्ष करते दिखे हैं।

शुभमन गिल का टेस्ट करियर: आंकड़ों की कसौटी पर

शुभमन गिल ने अब तक 32 टेस्ट मैच खेले हैं और उनके बल्ले से 35.05 की औसत से 1893 रन निकले हैं। उनके नाम पांच शतक जरूर दर्ज हैं, लेकिन उनके प्रदर्शन में निरंतरता की कमी साफ दिखाई देती है। यह भी उल्लेखनीय है कि गिल का प्रदर्शन मुख्य रूप से भारतीय पिचों पर ही अच्छा रहा है। उनके पांच शतकों में से चार भारत में आए हैं, जबकि एक शतक उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ लगाया है। ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और वेस्टइंडीज के मुश्किल विदेशी दौरों पर शुभमन गिल का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है।

आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले साल, 2024 में शुभमन गिल ने 43.30 की औसत से 866 रन बनाए थे, जो टेस्ट क्रिकेट में उनका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। हालांकि, इससे पहले के वर्षों, 2021, 2022 और 2023 में उनका टेस्ट औसत 30 से भी कम रहा था। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि गिल को अभी भी टेस्ट फॉर्मेट में खुद को एक स्थापित बल्लेबाज के रूप में साबित करना बाकी है, और यही मुख्य कारण है कि के. श्रीकांत जैसे अनुभवी खिलाड़ी उन पर सवाल उठा रहे हैं।

वरिष्ठ खिलाड़ियों की अनदेखी क्यों?

जहां शुभमन गिल की कप्तानी की दावेदारी पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं चयनकर्ताओं के सामने कुछ और भी महत्वपूर्ण प्रश्न हैं। जसप्रीत बुमराह, जिन्हें उनकी शानदार गेंदबाजी के लिए जाना जाता है, को खराब फिटनेस के कारण कप्तानी की दौड़ से बाहर माना जा रहा है। लेकिन सवाल यह उठता है कि अनुभवी विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत का क्या कसूर है? पंत एक सीनियर खिलाड़ी हैं और उन्होंने लंबे समय से टेस्ट टीम में अपनी जगह बनाए रखी है। उन्होंने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे मुश्किल विदेशी दौरों पर भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। विकेटकीपर होने के साथ-साथ वह अब पूरी तरह से फिट भी हैं, तो फिर चयनकर्ता उन्हें कप्तानी का मौका क्यों नहीं दे रहे हैं?

इसी तरह का सवाल केएल राहुल को लेकर भी पूछा जा रहा है। राहुल भी एक अनुभवी खिलाड़ी हैं और उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में अपनी क्षमता साबित की है। ऐसे में इन सीनियर खिलाड़ियों को नजरअंदाज कर युवा गिल को कप्तानी सौंपना क्या सही फैसला होगा? यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी की जिम्मेदारी आखिरकार किसे सौंपी जाती है। चयनकर्ताओं को युवा प्रतिभा और अनुभव के बीच संतुलन बनाना होगा ताकि टीम को एक स्थिर और सफल नेतृत्व मिल सके। शुभमन गिल निश्चित रूप से एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं, लेकिन क्या उनके मौजूदा टेस्ट करियर के आंकड़े उन्हें कप्तानी की जिम्मेदारी सौंपने के लिए पर्याप्त मजबूत आधार प्रदान करते हैं, यह एक ऐसा सवाल है जिस पर क्रिकेट पंडितों और प्रशंसकों के बीच बहस जारी रहेगी।