भारत-पाक संघर्षविराम पर ट्रंप का दावा: “अगर अमेरिका न होता, होता परमाणु युद्ध”
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्षविराम को अपनी कूटनीतिक सफलता बताया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के हस्तक्षेप ने संभावित परमाणु युद्ध को रोका।

वॉशिंगटन/नई दिल्ली, 12 मई 2025 — अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर सुर्खियों में आने वाला बयान दिया है। उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्षविराम को अपनी कूटनीतिक जीत बताया है। ट्रंप ने कहा कि अगर अमेरिका समय पर हस्तक्षेप न करता, तो यह टकराव परमाणु युद्ध में बदल सकता था।
ट्रंप का दावा: अमेरिका ने रुकवाई जंग
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा,
"शनिवार को मेरे प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान के बीच एक पूर्ण और तत्काल संघर्षविराम करवाया। मुझे लगता है यह स्थायी रहेगा। दोनों देशों के पास न्यूक्लियर हथियार हैं, यह एक खतरनाक स्थिति थी जिसे हमने समय रहते रोका।"
ट्रंप ने यह भी बताया कि उन्होंने दोनों देशों को साफ तौर पर कहा था कि
"अगर संघर्ष नहीं रुका तो अमेरिका उनके साथ व्यापार खत्म कर देगा।"
उनके अनुसार, व्यापार को कूटनीतिक दबाव के रूप में इस्तेमाल करना “Game Changer” साबित हुआ।
दुनिया भर से प्रतिक्रियाएं
???????? अमेरिकी मीडिया: ट्रंप की सफलता या देर से उठाया कदम?
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न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे “अनिश्चित संघर्षविराम” बताया और ट्रंप प्रशासन की देर से हुई प्रतिक्रिया पर सवाल उठाए।
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वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा कि अमेरिका का हस्तक्षेप महत्वपूर्ण था, लेकिन इसकी टाइमिंग पर बहस हो सकती है।
???????? चीन: हालात अब भी नाजुक
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साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने अमेरिका की भूमिका को सराहा, लेकिन यह भी कहा कि “क्षेत्र में हालात अब भी नाजुक हैं।”
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ग्लोबल टाइम्स ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की टिप्पणी छापी, जिसमें उन्होंने चीन और सऊदी अरब का धन्यवाद किया, जिससे संकेत मिलता है कि अमेरिका अकेला खिलाड़ी नहीं था।
मिडिल ईस्ट: अभी भी चिंता
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अल जज़ीरा और अरब न्यूज ने संघर्षविराम के तुरंत बाद भी कश्मीर और गुजरात में ड्रोन हमलों व गोलीबारी की खबरों पर चिंता जताई।
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उन्होंने इसे “अस्थिर युद्धविराम” करार दिया और लिखा कि दोनों देश एक-दूसरे पर उल्लंघन का आरोप लगा रहे हैं।
क्या परमाणु युद्ध की आशंका वाकई थी?
ट्रंप के दावों के पीछे एक बड़ा सवाल यह है कि क्या सच में भारत और पाकिस्तान परमाणु युद्ध के करीब थे? विशेषज्ञों का मानना है कि:
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तनाव चरम पर था, लेकिन दोनों देशों की सैन्य और राजनीतिक स्थिति इतनी अस्थिर नहीं थी कि वह तुरंत परमाणु हथियारों का सहारा लेते।
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अमेरिका समेत वैश्विक शक्तियों की कूटनीतिक कोशिशों ने तनाव को नियंत्रित किया, लेकिन ट्रंप का दावा अति-आत्मप्रशंसा हो सकता है।
ट्रंप की व्यापार नीति: हथियार या सहयोग?
ट्रंप ने यह भी कहा कि
“अब जब संघर्षविराम हुआ है, मैं दोनों देशों के साथ व्यापार बढ़ाना चाहूंगा।”
उनका यह बयान स्पष्ट करता है कि अमेरिका जियो-पॉलिटिकल दबाव के साथ आर्थिक रणनीति का उपयोग कर रहा है। लेकिन यह रणनीति दोनों देशों के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप के रूप में भी देखी जा रही है।