World Para Shooting : वर्ल्ड पैरा शूटिंग पैरों ने नहीं दिया साथ, काशी की बेटी ने रचा इतिहास; कोरिया में जीता कांस्य

वाराणसी की रहने वाली सुमेधा पाठक, जिनके पैरों ने साथ नहीं दिया, ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और निशानेबाजी के हुनर से इतिहास रच दिया है। उन्होंने दक्षिण कोरिया में आयोजित वर्ल्ड पैरा निशानेबाजी प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीतकर देश और काशी का मान बढ़ाया है।

World Para Shooting : वर्ल्ड पैरा शूटिंग  पैरों ने नहीं दिया साथ, काशी की बेटी ने रचा इतिहास; कोरिया में जीता कांस्य

Varanasi Sumedha Pathak : वाराणसी की बेटी सुमेधा पाठक ने विपरीत परिस्थितियों में भी हार न मानने का जज्बा दिखाते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को गौरवान्वित किया है। मानस नगर एक्सटेंशन की रहने वाली सुमेधा ने दक्षिण कोरिया में आयोजित वर्ल्ड पैरा निशानेबाजी प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया है।

उनके पिता बृजेश कुमार पाठक ने बताया कि सुमेधा ने अब तक 10 मीटर शूटिंग में 15 पदक जीते हैं। सुमेधा को बचपन में दसवीं कक्षा तक चलने-फिरने में कोई परेशानी नहीं थी और वह सामान्य बच्चों की तरह पढ़ाई और खेलकूद में हिस्सा लेती थीं। हालांकि, 2013 में दसवीं की पढ़ाई के दौरान उन्हें मल्टी ड्रग ट्यूबरक्लॉसिस नामक गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया, जिसके कारण उनके कमर से नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया।

इस बीमारी के बाद सुमेधा का जीवन संघर्षों से भर गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। परिवार के प्रोत्साहन से उन्होंने निशानेबाजी को अपना लक्ष्य बनाया। 2018 में प्री-स्टेट शूटिंग में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। इसके बाद स्टेट प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन करते हुए मद्रास में आयोजित जीवी मावलंकर प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता। 2021 में दूसरे पैरा नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में उन्होंने व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल किया। तीसरे और चौथे पैरा नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण पदक जीतकर सुमेधा ने काशी का मान बढ़ाया। 2022 में फ्रांस के सेटूरेक्स वर्ल्ड कप और कोरिया में टीम स्पर्धा में उन्होंने रजत पदक जीता था। 2023 में चीन में आयोजित एशियन गेम्स की शूटिंग प्रतियोगिता के फाइनल में पहुंचकर उन्होंने सातवां स्थान प्राप्त किया था।

पैरों का साथ न मिलने के बावजूद सुमेधा ने अपनी मेहनत और लगन से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कांस्य पदक जीतकर यह साबित कर दिया कि सच्ची प्रतिभा और दृढ़ संकल्प के आगे कोई भी बाधा टिक नहीं सकती। उनकी इस उपलब्धि से न केवल उनके परिवार में बल्कि पूरे वाराणसी में खुशी का माहौल है और वे युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गई हैं।