वाराणसी: भीषण गर्मी में पानी के लिए तरस रहे टिकरी गांव के ग्रामीण
वाराणसी के काशी विद्यापीठ ब्लॉक के टिकरी गांव की कई बस्तियां भीषण गर्मी में पानी की गंभीर समस्या से जूझ रही हैं। विश्व जल पेयजल योजना के तहत पाइपलाइन बिछाने के बावजूद, इन बस्तियों में आपूर्ति नहीं हो रही है और हैंडपंप भी खराब पड़े हैं।

वाराणसी, शनिवार, 17 मई 2025। वाराणसी के काशी विद्यापीठ ब्लॉक के टिकरी गांव की कई बस्तियां भीषण गर्मी में पीने के पानी की गंभीर समस्या से जूझ रही हैं। नोनियापुर, किष्किन्धापुर, काशीपुर खास और मलहीया बस्ती के ग्रामीण विश्व जल पेयजल योजना के तहत पाइपलाइन बिछाए जाने के बावजूद पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि विश्व जल पेयजल योजना के तहत गांव में पानी की आपूर्ति के लिए पाइपलाइन तो बिछाई गई, लेकिन इन बस्तियों में पाइपलाइन डालने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई। इसका खामियाजा यहां रहने वाले लोग भुगत रहे हैं। इन बस्तियों में लगे अधिकांश हैंडपंप खराब होकर बंद पड़े हैं, जिनकी संख्या एक तिहाई से भी ज्यादा है। जो हैंडपंप चालू हालत में हैं और बस्तियों में बचे हुए कुएं ही ग्रामीणों के लिए पानी का एकमात्र सहारा बने हुए हैं। कुछ सक्षम लोगों ने निजी तौर पर बोरिंग करवाकर हैंडपंप और समरसिंबल लगवा लिए हैं, लेकिन अधिकांश गरीब परिवार आज भी पानी की किल्लत से परेशान हैं।
किष्किन्धापुर के रहने वाले विजय गुप्ता, राजू राजभर, वीरेंद्र नोनियापुर के अजित चौहान, कमलेश, काशीपुर खास के पंकज सिंह, राजू तिवारी और मालहिया बस्ती के विजय साहनी, रामनरेश साहनी व गीता ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि पेयजल योजना के तहत पानी के लिए पाइपलाइन गांव के कुछ ही हिस्सों में डाली गई है। उनकी बस्तियों को इस योजना से वंचित रखा गया है। पुराने हैंडपंप खराब हो गए हैं और जो नए हैंडपंप चालू हैं और बचे हुए कुएं ही उनके दैनिक जीवन के लिए पानी का स्रोत हैं।
इस संबंध में जब टिकरी गांव के ग्राम प्रधान सूर्यदेव प्रसाद कुशवाहा से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि जल मिशन योजना के तहत गांव में पाइपलाइन डाली गई है। उन्होंने स्वीकार किया कि पाइपलाइन डालने वाले ठेकेदार ने इन बस्तियों में पाइपलाइन नहीं डाली है। ग्राम प्रधान ने आगे बताया कि इन बस्तियों में पाइपलाइन डलवाने के लिए जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) और जिलाधिकारी को पत्र लिखा गया है। इसके साथ ही, खराब पड़े हैंडपंपों की मरम्मत और रीबोरिंग का कार्य भी प्रगति पर है।
भीषण गर्मी में पानी की समस्या से जूझ रहे इन ग्रामीणों को कब राहत मिलेगी, यह देखना होगा। फिलहाल, वे चालू हैंडपंपों और बचे हुए कुओं के भरोसे अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं।