Vat Savitri Vrat 2025: जानें कब रखा जाएगा वट सावित्री व्रत, क्या है पूजा विधि और इसका धार्मिक महत्व
Vat Savitri Vrat 2025 का पर्व 29 मई को मनाया जाएगा। जानें व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और सावित्री-सत्यवान से जुड़ी पौराणिक कथा का महत्व।

[धर्म-आस्था | सम्पन्न भारत न्यूज़]
वट सावित्री व्रत हिन्दू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और पूजनीय पर्व है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और वैवाहिक सौभाग्य की कामना से व्रत रखती हैं। यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है, और इस वर्ष वट सावित्री व्रत 29 मई 2025, गुरुवार को रखा जाएगा।
व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त:
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व्रत तिथि: 29 मई 2025 (गुरुवार)
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अमावस्या तिथि प्रारंभ: 28 मई 2025, रात 9:45 बजे
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अमावस्या तिथि समाप्त: 29 मई 2025, रात 8:20 बजे
वट सावित्री व्रत का पौराणिक महत्व:
वट सावित्री व्रत की कथा सावित्री और सत्यवान की कहानी पर आधारित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, सावित्री ने यमराज से अपने मृत पति सत्यवान का जीवन पुनः प्राप्त कर लिया था। तभी से यह व्रत अखंड सौभाग्य, पति की दीर्घायु और पारिवारिक समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं वट वृक्ष (बरगद) की पूजा करती हैं, जो दीर्घायु, अचलता और स्थायित्व का प्रतीक माना जाता है।
पूजा विधि (Puja Vidhi):
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प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
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वट वृक्ष के नीचे जाकर उसका पूजन करें।
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जल, चंदन, रोली, फल-फूल, अक्षत और सूत (कच्चा धागा) से वट वृक्ष की पूजा करें।
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वट वृक्ष के चारों ओर 108 बार धागा लपेटते हुए परिक्रमा करें।
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सावित्री-सत्यवान की कथा सुनें या पढ़ें।
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ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन व वस्त्र का दान करें।
महिलाओं के लिए विशेष नियम:
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इस दिन काले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए।
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व्रत के दौरान जल, फल या फलाहार से ही उपवास करें।
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वट वृक्ष की छाया में अधिक समय तक बैठकर ध्यान/स्मरण करें।
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