बस्ती में यूरिया घोटाला उजागर: किसानों के हक पर डाका डालने वाले कालाबाजारियों पर प्रशासन का शिकंजा
बस्ती के कुदरहा ब्लॉक में यूरिया की बड़े पैमाने पर कालाबाजारी का खुलासा हुआ है। प्रशासन की छापेमारी में स्टॉक में भारी गड़बड़ी मिली, जिसके बाद समिति सचिव राजू मिश्रा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। एक वायरल वीडियो ने इस घोटाले को उजागर करने में अहम भूमिका निभाई।

बस्ती, उत्तर प्रदेश: किसानों के हक पर डाका डालने वाले कालाबाजारियों पर आखिरकार प्रशासन ने शिकंजा कस दिया है। एक बड़े खुलासे ने यूरिया की कालाबाजारी के एक संगठित नेटवर्क को बेनकाब किया है। यह सनसनीखेज मामला बस्ती जिले के कुदरहा ब्लॉक से सामने आया है, जहाँ साधन सहकारी समिति चरकैला में यूरिया की बड़े पैमाने पर कालाबाजारी का खेल चल रहा था।
प्रशासन की ताबड़तोड़ कार्रवाई
जिला प्रशासन की एक तेज-तर्रार टीम ने धमाकेदार छापेमारी की, जिसने इस काले कारोबार की परतें उधेड़ दीं। इस टीम का नेतृत्व खुद एडीएम प्रतिपाल सिंह चौहान और एसडीएम सदर शत्रुघ्न पाठक कर रहे थे। छापेमारी में स्टॉक में भारी गड़बड़ी पकड़ी गई, जिसके बाद समिति के सचिव राजू मिश्रा के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज करने का सख्त आदेश जारी किया गया। इस कार्रवाई से न केवल कालाबाजारियों में हड़कंप मच गया है, बल्कि पूरे बाजार में अफरा-तफरी का माहौल छा गया है।
कैसे शुरू हुआ पूरा मामला?
पूरे मामले की शुरुआत बुधवार दोपहर 3 बजे हुई। प्रशासन की टीम ने अपनी जांच का दायरा बढ़ाते हुए सबसे पहले कुदरहा पेट्रोल पंप के सामने स्थित रामचंद्र क्रय-विक्रय समिति पर छापा मारा। दुकान के मालिक ने जांच टीम को 28 फरवरी का एक पुराना चालान दिखाया। लेकिन, जब अधिकारियों ने ई-पास मशीन में स्टॉक की जांच की, तो आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां कर रहे थे। मशीन में 500 बोरी यूरिया का स्टॉक दर्ज था, जो दिखाए गए भौतिक चालान से मेल नहीं खा रहा था। यह शुरुआती विरोधाभास ही गड़बड़ी की पहली कड़ी थी।
इस पहली अनियमितता को पकड़ते ही, टीम का संदेह पुख्ता हो गया। बिना समय गंवाए, प्रशासनिक टीम सीधे चरकैला की साधन सहकारी समिति पहुँची। लेकिन वहाँ का नजारा और भी चौंकाने वाला था – समिति का कार्यालय ताला बंद मिला! अधिकारी समझ गए कि कुछ बड़ा गड़बड़ है। टीम ने तत्काल समिति के सचिव राजू मिश्रा को फोन कर मौके पर हाजिर होने का निर्देश दिया।
जांच में चौंकाने वाला खुलासा
सचिव के आने के बाद जब जांच आगे बढ़ी, तो एआर कोऑपरेटिव आशीष श्रीवास्तव ने टीम को कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने खुलासा किया कि समिति ने 24 मई को 500 बोरी यूरिया का उठान किया था। लेकिन, जब स्टॉक रजिस्टर का गहन मिलान किया गया, तो चौंकाने वाला घोटाला सामने आया। रजिस्टर में दिखाया गया कि 28-29 अप्रैल को 150 बोरी और 30-31 मई को 200 बोरी यूरिया का वितरण किया गया था। सबसे बड़ी विसंगति यह थी कि इन कथित वितरणों के सामने किसानों के नाम गायब थे! यानी, यह यूरिया कागजों पर तो वितरित दिखा दिया गया था, लेकिन असल में इसे काला बाजार में मोटी कीमत पर बेचा जा रहा था, जिससे गरीब और जरूरतमंद किसान वंचित रह गए।
एडीएम का सख्त रुख
एडीएम प्रतिपाल सिंह चौहान ने इस मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा, "यह कालाबाजारी का पुख्ता सबूत है! किसानों के हक पर कोई डाका डाले, यह हम किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमने तत्काल सचिव राजू मिश्रा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और आसपास के सभी सीसीटीवी फुटेज खंगालने का फरमान सुनाया है।"
वायरल वीडियो ने बिगाड़ा कालाबाजारियों का खेल
छापेमारी के दौरान एक निजी दुकान पर भी स्टॉक में गड़बड़ी पकड़ी गई, जिससे कालाबाजारियों के बीच खलबली मच गई। यह कार्रवाई एक संदेश है कि कोई भी बख्शा नहीं जाएगा। इस पूरे काले कारनामे को उजागर करने में एक वायरल वीडियो ने अहम भूमिका निभाई। सूत्रों के मुताबिक, कुदरहा में ट्रक से यूरिया उतारने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया था। इस वीडियो में यूरिया की हेराफेरी स्पष्ट रूप से दिख रही थी, जिसने पूरे मामले को सबके सामने ला दिया।
इस वीडियो के सामने आने के बाद ही प्रशासन हरकत में आया, और एडीएम की ताबड़तोड़ कार्रवाई ने कालाबाजारियों के होश उड़ा दिए। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इस जांच का दायरा और कितना बढ़ेगा। सीसीटीवी फुटेज और स्टॉक रजिस्टर की गहन जांच से कौन-कौन से बड़े नाम बेनकाब होंगे? क्या समिति सचिव और अन्य दोषियों को उनके किए की कड़ी सजा मिलेगी?