चीन की विस्तारवादी नीति को चुनौती: भारत 14 जून से मंगोलिया में करेगा युद्धाभ्यास, बीजिंग के प्रभाव को करेगा कम
भारत, चीन की विस्तारवादी महत्वाकांक्षाओं का मुकाबला करने और मंगोलिया से संबंध मजबूत करने के लिए 14 से 28 जून तक मंगोलिया में युद्धाभ्यास करेगा। भारतीय सेना इसके लिए मंगोलिया पहुंच चुकी है। यह कदम चीन के क्षेत्रीय प्रभाव को संतुलित करने की भारत की रणनीति का हिस्सा है।

भारत का पड़ोसी मुल्क चीन अपनी विस्तारवादी नीति पर काम करता है। मध्य एशिया का अहम देश मंगोलिया उसकी इसी महत्वाकांक्षाओं के लक्ष्यों में से एक है। चीन की नज़र मंगोलिया पर बनी रहती है और वह किसी भी तरह उस पर कब्जा करना चाहता है। अपने पाले में रखने के लिए वह मंगोलिया को आर्थिक मदद देता है। भारत इसे अच्छी तरह समझता है और यही वजह है कि वह मंगोलिया को उतना ही महत्व देता है, जितना चीन। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद यह देखा भी गया है।
इसी को जारी रखते हुए भारत भौगोलिक लिहाज़ से महत्वपूर्ण मंगोलिया में युद्धाभ्यास करने जा रहा है। इसकी शुरुआत 14 जून को होगी और समापन 28 जून को होगा। भारतीय सेना इसके लिए मंगोलिया पहुंच भी चुकी है।
चीन के प्रभाव को कम करने की कोशिश
मंगोलिया क्षेत्रीय प्रभाव के लिए एक महत्वपूर्ण धुरी के रूप में उभरा है। उसके साथ संबंधों को मजबूत करके भारत चीन के माध्यम से पारंपरिक बिजनेस रूट से बचकर कोकिंग कोल, तांबा और अन्य महत्वपूर्ण खनिजों को सुरक्षित करने के लिए उत्सुक है। भारत कॉरिडोर के रूप में रूस का उपयोग करने पर विचार कर रहा है।
चीन के दूसरे सबसे बड़े सरकारी मीडिया आउटलेट चाइना न्यूज सर्विस में कई साल पहले एक आर्टिकल छपा था, जिसका शीर्षक था, "चीन अगले 50 साल में 6 युद्ध लड़ेगा"। इस लेख में 1840-42 के ओपियम वॉर (Opium War) में हाथ से निकले क्षेत्रों को फिर से हासिल करने के लिए बीजिंग के संकल्प का खुलासा किया गया था। इसमें बताया गया है कि मंगोलिया भी चीन की विस्तारवादी महत्वाकांक्षाओं के लक्ष्यों में से एक है। आर्टिकल में कहा गया कि चीन 2045 से 2050 के बीच मंगोलिया पर आक्रमण करके कब्जा करेगा।
दलाई लामा के दौरे से बौखलाया था चीन
इस लेख में बताया गया कि मंगोलिया, जिसे आउटर मंगोलिया कहा जाता है, चीन का अभिन्न अंग है। 2016 में दलाई लामा की मंगोलिया के उलानबटार यात्रा के बाद चीन ने मंगोलिया के साथ बॉर्डर को बंद कर दिया था। उसने मंगोलिया के साथ कमोडिटी शिपमेंट पर नए टैरिफ भी लगाए।
एक तरफ यह सब होता रहा, तो दूसरी ओर मंगोलिया आर्थिक परेशानियों को दूर करने के लिए चीन से लोन चाह रहा था। लेकिन बीजिंग ने इस पर चर्चा के लिए वार्ता ही रद्द कर दी। मंगोलिया को बीजिंग से $4.2 बिलियन का लोन मिलने की उम्मीद थी।
चीन पर निर्भर रहा है मंगोलिया, भारत बढ़ा रहा संबंध
मंगोलिया चीन पर बहुत ज़्यादा निर्भर रहा है। मंगोलियाई अर्थव्यवस्था के लिए आयात का सबसे बड़ा स्रोत वही रहा है। चीन के प्रभाव के बीच भारत मंगोलिया से अपने संबंध मजबूत करता रहा है। मंगोलिया ने भी चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए भारत के साथ रणनीतिक संबंधों को बढ़ावा देने की कोशिश की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2015 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान मंगोलिया का दौरा किया था और मंगोलिया को $1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का लोन दिया था। उस दौरे पर पीएम मोदी ने रविवार के दिन मंगोलियाई संसद को संबोधित किया था और छुट्टी के दिन मंगोलियाई संसद को संबोधित करने वाले एकमात्र विदेशी नेता बने थे।
2019 में भारत और मंगोलिया ने नागरिक उद्देश्यों और आपदा प्रबंधन से संबंधित समझौतों पर हस्ताक्षर किए। भारत मंगोलिया के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर ज़ोर दे रहा है ताकि क्षेत्र में चीनी हितों और प्रभाव को संतुलित किया जा सके।
रक्षा सहयोग और सांस्कृतिक संबंध
2009 से ही भारत और मंगोलिया का परमाणु समझौता है और रक्षा सहयोग के लिए दोनों देशों के बीच सालाना बैठक होती है। मंगोलिया के सैन्य अधिकारी भारत में ट्रेनिंग हासिल करते हैं। वे संयुक्त सैन्य अभ्यास में हिस्सा लेते हैं, जिसका नाम नोमैडिक एलीफेंट (Nomadic Elephant) है। भारतीय सैनिक भी मंगोलिया में खान क्वेस्ट (Khaan Quest) नाम के अभ्यास में हिस्सा लेते हैं। इसी में हिस्सा लेने के लिए भारतीय सैनिक मंगोलिया पहुंचे हैं।
चीन भले ही दावा करता है कि भारत और मंगोलिया के बीच कोई ऐतिहासिक संबंध नहीं हैं, लेकिन बौद्ध धर्म को लेकर दोनों के संबंध शुरू से ही मजबूत रहे हैं। भारत के सबसे प्रमुख बौद्ध नेताओं में से एक कुशोक बकुला को मंगोलिया में बौद्ध धर्म को फिर से जीवित करने का श्रेय दिया जाता है। वह 1990 से 2000 तक मंगोलिया में भारत के राजदूत भी रहे। उनके कार्यकाल के दौरान भारतीय उच्चायोग में न केवल वीजा आवेदन के लिए लंबी कतारें लगी रहती थीं, बल्कि उनका आशीर्वाद पाने के लिए भी लाइन लगी रहती थी।