आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति: भारत ने कैसे समझाया दुनिया को अपना रुख
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने दुनिया को सीमापार आतंकवाद के खिलाफ अपने जीरो टॉलरेंस रुख से अवगत कराया। विदेश मंत्री जयशंकर की कूटनीतिक पहल से भारत को वैश्विक समर्थन मिला।

7 मई को ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपने सख्त रुख को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेबाकी से रखा। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने इसे “जीरो टॉलरेंस” की नीति करार देते हुए स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अब आतंक के खिलाफ किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा। इस नीति को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने के लिए भारत ने एक संगठित और आक्रामक डिप्लोमैटिक अभियान चलाया।
ऑपरेशन सिंदूर: एक निर्णायक कदम
पहल्गाम में निर्दोष नागरिकों पर हुए हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया। इस सैन्य कार्रवाई का उद्देश्य न केवल आतंकवादियों को जवाब देना था, बल्कि दुनिया को यह बताना भी था कि भारत अपनी संप्रभुता और नागरिकों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
ऑपरेशन के बाद विदेश मंत्री ने सोशल मीडिया पर संदेश दिया — “Zero tolerance to terrorism must be global.” यानी आतंक के खिलाफ सख्ती केवल भारत की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की नीति होनी चाहिए।
डिप्लोमैटिक स्तर पर व्यापक संवाद
भारत ने ऑपरेशन के तुरंत बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सभी स्थायी और अस्थायी सदस्य देशों को ब्रीफ किया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने करीब 13 देशों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर भारत की कार्रवाई के पीछे के तथ्य साझा किए। यह बताया गया कि हमला सीमापार आतंकवाद से प्रेरित था, और भारत की प्रतिक्रिया पूरी तरह से टारगेटेड और मापी-तुली थी।
वहीं, विदेश मंत्री जयशंकर ने भी फ्रांस, जापान, जर्मनी, स्पेन और कतर जैसे प्रमुख देशों के अपने समकक्षों से बात की। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई आत्मरक्षा में की गई और भारत आतंकवाद को लेकर कोई नरमी नहीं बरतेगा।
वैश्विक समर्थन और सहानुभूति
भारत को पहलगाम हमले के बाद विश्वभर से समर्थन मिला। अमेरिका, फ्रांस, रूस जैसे शक्तिशाली देशों ने न केवल हमले की निंदा की बल्कि भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को भी मान्यता दी। कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन कर अपनी सहानुभूति और समर्थन व्यक्त किया।
इस माहौल का फायदा उठाते हुए भारत ने दिल्ली स्थित सभी विदेशी दूतावासों के प्रतिनिधियों से भी बैठक कर अपने दृष्टिकोण को साझा किया। इसका मकसद था — पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर अलग-थलग करना।
UNSC में पाकिस्तान की फजीहत
पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के खिलाफ चर्चा की मांग की थी, लेकिन यह चाल उल्टी पड़ गई। बंद कमरे में हुई बैठक में पाकिस्तान से तीखे सवाल पूछे गए, लेकिन कोई भी बयान या निष्कर्ष नहीं निकला। किसी भी सदस्य देश ने बैठक के बाद प्रेस वार्ता करने की जरूरत नहीं समझी, जिससे यह संकेत गया कि पाकिस्तान की बात को गंभीरता से नहीं लिया गया।
निष्कर्ष
भारत ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि आतंकवाद को लेकर उसका रुख स्पष्ट, कठोर और समझौताविहीन है। ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद का डिप्लोमैटिक आउटरीच एक मजबूत विदेश नीति की मिसाल है, जिसने भारत को न केवल वैश्विक समर्थन दिलाया, बल्कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर निराश किया।