जब नीम करोली बाबा के एक इशारे पर रुक गई थी ट्रेन, और बन गया एक नया रेलवे स्टेशन!

एक अद्भुत किस्से में, संत नीम करोली बाबा के कहने पर एक बार ट्रेन बीच रास्ते में रुक गई थी और तब तक नहीं चली जब तक वहाँ एक नया रेलवे स्टेशन नहीं बन गया। इसी घटना के बाद बाबा को "नीम करोली बाबा" के नाम से प्रसिद्धि मिली।

जब नीम करोली बाबा के एक इशारे पर रुक गई थी ट्रेन, और बन गया एक नया रेलवे स्टेशन!
नीम करोली बाबा

संत नीम करोली बाबा के चमत्कारों और उनकी करुणा के कई किस्से प्रचलित हैं। ऐसा ही एक किस्सा तब का है, जब उनकी इच्छाशक्ति के आगे एक पूरी ट्रेन रुक गई थी और इसके परिणामस्वरूप एक नए रेलवे स्टेशन का निर्माण हुआ।


बिना टिकट यात्रा और ट्रेन से उतारा जाना

यह घटना तब की है जब बाबा नीम करोली बिना टिकट के ट्रेन के फर्स्ट क्लास कंपार्टमेंट में यात्रा कर रहे थे। जब एक टिकट चेकर (TC) आया, तो उसने बाबा को बिना टिकट पाया और उन्हें बीच रास्ते में ही, नीब करौली गाँव के पास, ट्रेन से उतार दिया। बाबा बिना किसी शिकवे के ट्रेन से उतर गए और थोड़ी दूर जाकर अपना चिमटा धरती में गाड़कर बैठ गए और अपनी साधना में लीन हो गए।


चमत्कारिक रूप से रुकी ट्रेन

टीसी ने ट्रेन को आगे बढ़ने के लिए हरी झंडी दिखाई, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, ट्रेन अपनी जगह से एक इंच भी नहीं हिली। ड्राइवर और रेलवे अधिकारियों ने ट्रेन को चलाने के लिए सभी संभव प्रयास किए, लेकिन उनकी सभी कोशिशें नाकाम रहीं। ट्रेन टस से मस नहीं हुई।

यह देख ट्रेन में बैठे यात्रियों और आसपास के लोगों ने इसे बाबा का चमत्कार बताया। तभी वहाँ एक स्थानीय मजिस्ट्रेट भी पहुंचे, जो बाबा को जानते थे। उन्होंने अधिकारियों को समझाया कि यह किसी साधारण व्यक्ति का प्रताप नहीं है। जब रेलवे अधिकारियों ने बात की गंभीरता को समझा, तो उन्होंने तुरंत बाबा से माफी मांगी और उनसे ट्रेन में वापस बैठने का आग्रह किया।


बाबा की दो शर्तें और नया रेलवे स्टेशन

नीम करोली बाबा ने अधिकारियों के सामने दो शर्तें रखीं:

  1. पहली शर्त: "ट्रेन तभी आगे बढ़ेगी जब यहाँ एक रेलवे स्टेशन बनवाओ और सरकारी कागजों में मंजूरी दिलवाओ।" उन्होंने यह भी कहा कि इस जगह पर स्टेशन बनवाने से आसपास के गाँव के लोगों को सुविधा होगी, क्योंकि उन्हें ट्रेन पकड़ने के लिए मीलों दूर पैदल चलना पड़ता था।
  2. दूसरी शर्त: साधु-संतों का सम्मान किया जाए और उनके साथ कोई भी अपमानजनक व्यवहार न किया जाए।

रेलवे अधिकारियों ने बाबा की सभी शर्तें मान लीं और उन्हें सम्मानपूर्वक ट्रेन में बैठाया। जैसे ही बाबा ट्रेन में बैठे और उन्होंने चालक को आशीर्वाद दिया, ट्रेन तुरंत चल पड़ी।

बाबा की इस शर्त के अनुसार, रेलवे ने फर्रुखाबाद के नीब करौली गाँव में एक रेलवे स्टेशन बनवाया, जिसे आज भी नीब करोली रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाता है। इसी घटना के बाद से बाबा को “नीम करोली बाबा” के नाम से प्रसिद्धि मिली और वे दुनिया भर में पहचाने जाने लगे। यह किस्सा बाबा की चमत्कारी शक्तियों, उनकी करुणा और जन कल्याण की भावना को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।