Varanasi News : पूर्व PRO दीपक राणावत के नाम पर ठगी करने वाला 'मुनफेद' गिरफ्तार, नौकरी दिलाने के बहाने करोड़ों की धोखाधड़ी
वाराणसी पुलिस ने मुनफेद नाम के एक शातिर अपराधी को गिरफ्तार किया है, जो पूर्व उपनिरीक्षक दीपक राणावत की फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर लोगों को सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी कर रहा था। मथुरा निवासी मुनफेद ने कई लोगों से लाखों रुपये और जेवरात ऐंठे हैं।

पुलिस कमिश्नरेट वाराणसी की कैंट पुलिस ने एक शातिर अपराधी को गिरफ्तार किया है, जो पुलिस उपनिरीक्षक दीपक कुमार राणावत की व्यक्तिगत जानकारी और फोटो का इस्तेमाल कर फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर लोगों को सरकारी विभागों, खासकर लोक सेवा आयोग, में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी कर रहा था। आरोपी को वाराणसी पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
ऐसे हुई गिरफ्तारी
पुलिस आयुक्त, अपर पुलिस आयुक्त कमिश्नरेट वाराणसी, पुलिस उपायुक्त वरुणा जोन और सहायक पुलिस आयुक्त कैंट के कुशल निर्देशन में, व०उ०नि० रामकेवल यादव और उनकी टीम (का० विवेक कुमार) तथा उ0नि0 विकास सिंह (चौकी प्रभारी नदेसर) और का० प्रिन्स तिवारी के साथ 'ऑपरेशन चक्रव्यूह' के तहत संदिग्ध व्यक्तियों की चेकिंग कर रहे थे। इसी दौरान, कैंट रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म नंबर 9 की तरफ से एक व्यक्ति आता हुआ दिखाई दिया, जो पुलिस को देखकर सहम गया।
पूछताछ करने पर उसने अपना नाम मुनफेद पुत्र आमीन (उम्र लगभग 26 वर्ष), निवासी ग्राम देवसेरस, थाना गोवर्धन, जनपद मथुरा, बताया। रात में आने का कारण पूछने पर वह हीला-हवाली करने लगा और संदिग्ध लगा।
ठगी का तरीका और स्वीकारोक्ति
कड़ाई से पूछताछ करने पर मुनफेद ने बताया कि वह पुलिस अधिकारियों की फोटो और वीडियो इंटरनेट से निकालकर कूटरचित फर्जी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फर्जी आईडी बनाता था। वह खुद को लोक सेवक बताकर लोगों से बात करता था और उन्हें विश्वास में लेकर सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर बड़ी रकम वसूलता था। वह लोगों को फर्जी नियुक्ति पत्र भी दिखाकर पैसे ऐंठता था।
मुनफेद ने बताया कि वह उपनिरीक्षक दीपक कुमार राणावत को जानता नहीं है, बल्कि फेसबुक के माध्यम से उनकी फोटो का इस्तेमाल किया। उसने यह भी खुलासा किया कि उसने उपनिरीक्षक अभिजीत सिंह (गोरखपुर में नियुक्त) का भी फर्जी परिचय पत्र बनाया था।
किन-किन से की ठगी?
मुनफेद ने स्वीकार किया कि उसने इन लोगों से ठगी की है:
- अनीता यादव (जिला मैनपुरी): ₹16,00,000/- (सोलह लाख रुपये)
- पूनम अरेला (जिला आगरा): ₹50,000/- (पचास हजार रुपये)
- कविता जायसवाल (पलवल, हरियाणा): ज्वैलरी (जो उसके पास से बरामद हुई है)
- उदिता शर्मा (जिला मथुरा): ₹27,00,000/- (सत्ताईस लाख रुपये)
- प्रीती जाटव (जिला बलिया): ₹30,000/- (तीस हजार रुपये)
- रिकी यादव (टुंडला, जिला आगरा): ₹30,000/- (तीस हजार रुपये)
मुनफेद ने कबूल किया कि ये सभी पैसे उसने नौकरी दिलाने के नाम पर लिए और इस पूरी प्रक्रिया में उसने उपनिरीक्षक दीपक कुमार राणावत के परिचय पत्र और उनके फेक फेसबुक अकाउंट का इस्तेमाल किया। उसने अपनी गलती स्वीकार करते हुए अपने जुर्म का इकबाल किया।
अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज होने के बाद काफी खोजबीन के बाद पुलिस ने मुनफेद को हिरासत में लिया और अब उसे जेल भेज दिया गया है।