बैंकों में पड़े ₹78 हजार करोड़ से ज़्यादा लावारिस धन पर सरकार गंभीर: सही दावेदारों को वापसी के निर्देश
भारत में बैंकों में ₹78,213 करोड़ से ज़्यादा की लावारिस राशि जमा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने RBI और अन्य नियामकों को इन पैसों को सही दावेदारों तक पहुंचाने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए जिला स्तर पर विशेष कैंप लगाए जाएंगे और KYC प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा।

देश के बैंकों में हजारों करोड़ रुपये ऐसे ही लावारिस पड़े हुए हैं, जिन पर अभी तक किसी ने दावा नहीं किया है। इस गंभीर मुद्दे को संज्ञान में लेते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने सभी वित्तीय नियामकों और संबंधित विभागों को निर्देश दिया है कि सही दावेदारों को इन पैसों की वापसी सुनिश्चित की जाए। ऐसे में, यह खबर उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है जो यह जानना चाहते हैं कि कहीं यह पैसा उनके किसी करीबी या उनका तो नहीं है।
बैंकों के पास ₹78 हजार करोड़ से अधिक की लावारिस राशि
वित्त मंत्रालय के अनुसार, केवाईसी (KYC) प्रक्रिया को सरल बनाकर आम नागरिकों को वित्तीय सेवाओं का सहज अनुभव देने की तैयारी की जा रही है। इसमें विशेष रूप से उन लोगों का ध्यान रखा गया है जो तकनीकी जानकारी या प्रक्रिया की जटिलता के कारण अपने ही पैसों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ताजा रिपोर्ट बताती है कि मार्च 2024 तक बैंकों में बिना दावे के जमा राशि ₹78,213 करोड़ तक पहुंच चुकी है, जो पिछले साल के मुकाबले 26% अधिक है। इन लावारिस फंड्स में न सिर्फ बैंक जमा बल्कि शेयर, लाभांश, बीमा और पेंशन से जुड़े फंड भी शामिल हैं।
जिला स्तर पर लगेंगे विशेष कैंप, जानें किसे मिलेगा पैसा
अब सरकार ने तय किया है कि इन रकम को rightful owners (सही मालिकों) तक पहुंचाने के लिए देशभर में जिला स्तर पर विशेष कैंप लगाए जाएंगे। यह अभियान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), सेबी (SEBI), बीमा नियामक (IRDAI), पेंशन नियामक (PFRDA) और बैंकों के संयुक्त सहयोग से चलाया जाएगा।
वित्त मंत्री की इस बैठक में वित्तीय सेवा सचिव, सेबी प्रमुख तुहिन कांत पांडे, आईबीबीआई अध्यक्ष समेत तमाम वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। सभी ने इस बात पर सहमति जताई कि केवाईसी प्रणाली को डिजिटल और आसान बनाने के साथ-साथ जनता को जागरूक भी किया जाना चाहिए, ताकि लोग अपने हक के पैसों तक आसानी से पहुंच सकें।
यह पहल उन लाखों लोगों के लिए बड़ी राहत साबित हो सकती है, जिनके परिवार के सदस्यों के लावारिस फंड बैंकों में पड़े हैं। सरकार का यह कदम वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।